हीलियम भंडार का दोहन | 03 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

हीलियम, कार्बन फुटप्रिंट, रेडियोधर्मी तत्त्व, परमाणु चुंबकीय अनुनाद (NMR)

मेन्स के लिये:

हीलियम गैस का महत्त्व, हीलियम का उपयोग, हीलियम की कमी।

चर्चा में क्यों?

हाल के एक नए अध्ययन से पता चला है कि हीलियम भंडार, जिनके कार्बन फुटप्रिंट नहीं हैं, पृथ्वी के नीचे भूगर्भीय संरचनाओं में मौजूद होने की संभावना है। शोधकर्त्ताओं ने संबंधित संकट के निदान हेतु हीलियम भंडार के दोहन हेतु एक नया मॉडल प्रस्तावित किया है।

  • हीलियम उत्पादन में उच्च कार्बन फुटप्रिंट है क्योंकि यह ड्रिल किये गए प्राकृतिक गैस या तेल से प्राप्त होता है।

हीलियम भंडार का दोहन करने हेतु प्रस्तावित मॉडल: 

  • यह गैस क्रिस्टलीय चट्टानों में उत्पादित और संग्रहीत होने में सक्षम है, ये चट्टान सघन हैं जो मेंटल से लेकर निकट-सतह तक फैले हुए हैं।
    • इन चट्टानों में यूरेनियम और थोरियम मौजूद हैं, जिनके प्राकृतिक रूप से क्षय के कारण हीलियम बनता है।
  • ये चट्टानें 30-40 किलोमीटर मोटी होती हैं। ये लाखों या अरबों वर्षों से मौजूद हैं, जिससे बड़ी मात्रा में हीलियम का उत्पादन और भंडारण किया जा सकता है।
  • साथ ही ये चट्टानें हाइड्रोजन का स्रोत भी हो सकती हैं। इस मॉडल से संकेत मिले हैं कि यूरेनियम और थोरियम के रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न ऊर्जा जल को हाइड्रोजन में विभाजित कर सकती है।

हीलियम गैस का महत्त्व:  

  • परिचय:  
    • हीलियम एक नोबल गैस है और इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्लोज़्ड शेल जैसा होता है, जो इसे स्थिर और अक्रियाशील बनाता है।
    • इसका क्वथनांक और गलनांक (Boiling and Melting Point) सबसे कम होता है तथा चरम परिस्थितियों के अतिरिक्त केवल गैस के रूप में पाया जाता है।
  • हीलियम की खोज:
    • वर्ष 1868 में फ्राँसीसी खगोलशास्त्री जूल्स जानसेन और ब्रिटिश खगोलशास्त्री जोसेफ नॉर्मन लॉकयर द्वारा पहली बार हीलियम की खोज की गई थी, सूर्य ग्रहण के दौरान उन्होंने सूर्य द्वारा उत्सर्जित प्रकाश में एक पीली वर्णक्रमीय रेखा (Spectral line) देखी।
    • हीलियम का नाम ग्रीक शब्द "हेलिओस" से लिया गया है, जिसका अर्थ है सूर्य
  • हीलियम के स्रोत और इसका निष्कासन
    • हाइड्रोजन के बाद हीलियम दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्त्व है। हालाँकि यह पृथ्वी पर दुर्लभ है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग पृथ्वी की भू-पर्पटी में रेडियोधर्मी तत्त्वों के क्षय द्वारा निर्मित होता है।
    • प्राकृतिक गैस पृथ्वी पर हीलियम का प्राथमिक स्रोत है।
      • हीलियम को क्रायोजेनिक आसवन नामक प्रक्रिया का उपयोग कर प्राकृतिक गैस से प्राप्त किया जाता है।
  • भंडार और उत्पादन:
    • वर्ष 2022 तक विश्व स्तर पर हीलियम का सबसे बड़ा भंडार संयुक्त राज्य अमेरिका में है, जिसके बाद अल्जीरिया और रूस का स्थान है। 
    • झारखंड में भारत का राजमहल ज्वालामुखी बेसिन अरबों वर्षों से हीलियम का भंडार रहा है। 
  • हीलियम का उपयोग:
    • बैलून्स और हवाई पोत (क्योंकि यह हवा से हल्का होता है और अन्य तत्त्वों के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं करता है)।
    • अर्द्धचालक और फाइबर ऑप्टिक केबलों के उत्पादन में वेल्डिंग, शीतलन और एक सुरक्षात्मक गैस के रूप में औद्योगिक अनुप्रयोग। 
    • चिकित्सा अनुप्रयोग जैसे- MRI का सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट के लिये कूलिंग एजेंट के रूप में उपयोग।
    • इसका उपयोग परमाणु चुंबकीय अनुनाद (NMR) स्पेक्ट्रोस्कोपी और गैस क्रोमैटोग्राफी में वाहक गैस के रूप में भी किया जाता है।
  • हीलियम की कमी: 
    • वर्तमान में विश्व भर में हीलियम की कमी है, जिसकी मांग आपूर्ति से ज़्यादा है। 
    • इसकी कमी का कारण कुछ हीलियम संयंत्रों का बंद होना, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में हीलियम की बढ़ती खपत और हीलियम के नए स्रोतों की कमी है।
      • हीलियम की कमी के चलते गुब्बारों और वायुयानों के साथ-साथ चिकित्सा एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों में इसके उपयोग को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

निष्कर्ष:   

  • हाइड्रोजन उत्पादन के अतिरिक्त लाभ के साथ कार्बन मुक्त हीलियम भंडार तक पहुँच के लिये सुझाई गई विधि वर्तमान हीलियम की कमी का दीर्घकालिक, किफायती समाधान प्रदान कर सकती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ