एशिया में जलवायु स्थिति, 2021 | 29 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

एशिया में वर्ष 2021 में जलवायु की स्थिति, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, ESCAP, आकस्मिक बाढ़, चक्रवात, समुद्र के स्तर में वृद्धि, ला नीना, मैंग्रोव

मेन्स के लिये:

बढ़ती आपदा से संबंधित मुद्दे और आवश्यक कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) और एशिया एवं प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific- ESCAP) द्वारा एशिया में जलवायु की स्थिति 2021 रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • वर्ष 2021 में एशिया में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़ और चक्रवात 80% का योगदान था।
    • प्राकृतिक आपदाओं के कारण वर्ष 2021 में एशियाई देशों को 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तीय नुकसान हुआ। बाढ़ "मानवीय और आर्थिक क्षति के मामले में एशिया में अब तक की सबसे ज़्यादा प्रभावशाली" घटना थी।।
    • इससे पता चला कि ऐसी आपदाओं का आर्थिक प्रभाव पिछले 20 वर्षों के औसत की तुलना में अधिक है।
  • भारत को बाढ़ के कारण कुल 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ और देश को जून तथा सितंबर 2021 के बीच मानसून के मौसम में भारी वर्षा और फ्लैश फ्लड (अचानक आई बाढ़) का सामना करना पड़ा।
    • इन घटनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 1,300 लोग मारे गए और इससे फसलों और संपत्तियों को नुकसान पहुँचा।
    • इस संबंध भारत एशियाई महाद्वीप में चीन के बाद दूसरे स्थान पर था।
  • इसी तरह चक्रवातों से भी काफी आर्थिक क्षति हुई जिसमें सबसे ज़्यादा क्षति भारत (4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को हुई और इसके बाद चीन (3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और जापान (2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का स्थान है।
  • इसके अतिरिक्त, 2021 में, देश के विभिन्न हिस्सों में आंँधी और आकाशीय बिजली से लगभग 800 लोगों की जान चली गई।।
    • वर्ष 2021 के दौरान भारत में ≥ 34 समुद्री मील की अधिकतम वायु की गति वाले पाँच चक्रवावों (ताउते, यास, गुलाब, शाहीन, जवाद) ने भारत को प्रभावित किय।
      • इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में देश के विभिन्न हिस्सों में आंँधी और आकाशीय बिजली से लगभग 800 लोगों की जान गई थी।
  • अरब सागर और क्यूरोशियो धारा का तेज़ी से गर्म होना:
    • अरब सागर और क्यूरोशियो धारा के तेज़ी से गर्म होने के कारण, ये क्षेत्र औसत वैश्विक समुद्री सतही तापमान की तुलना में तीन गुना तेज़ी से गर्म हो रहे हैं।
      • महासागर के गर्म होने से समुद्र का जल स्तर बढ़ सकता है चक्रवात की दिशा और महासागर की धाराओं का पैटर्न बदल सकता है।
      • महासागर की ऊपरी सतह का गर्म होना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह संवहन धाराओं, वायु , चक्रवातों आदि के रूप में वातावरण को प्रत्यक्ष रुप से प्रभावित करता है।
      • महासागर का नितल, वातावरण को प्रत्यक्ष रुप स प्रभावित नहीं करता है।
    • अरब सागर इस संदर्भ में अद्वितीय है क्योंकि यह वायुमंडलीय टनल और ब्रिज के माध्यम से अतिरिक्त ऊष्मा को ग्रहण करने का माध्यम है और विभिन्न महासागरों से मिश्रित गर्म जल भी इसमें आकर मिलता है।
    • लेकिन क्यूरोशियो धारा प्रणाली में उष्णकटिबंधीय जलसतह से गर्म जल ग्रहण करती है और इससे इसका तापमान बढ़ जाता है
  • ला नीना:
    • पिछले दो वर्ष ला नीन से प्रभावित थे और इस दौरान भारत में स्थापित दबाव पैटर्न उत्तर से दक्षिण की ओर शिफ्ट हो जाता है, जो यूरेशिया और चीन से परिसंचरण को संचालित करता है।
    • यह भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा पैटर्न का कारण बन सकता है, विशेष रूप से दक्षिणी प्रायद्वीप में, जहाँ पूर्वोत्तर मानसून आता है। पिछले वर्ष की अधिकता ला नीना दबाव पैटर्न से संबंधित थी।
  • अनुकूलन में निवेश:
    • जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिये भारत को वार्षिक 46.3 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश करने की आवश्यकता होगी (जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.7% है)।
      • आम तौर पर GDP की तुलना अनुकूलन में निवेश करने के लिये किसी देश की क्षमता को दर्शाती है।
    • कुछ अनुकूलन प्राथमिकताएँ जिनके लिये उच्च निवेश की आवश्यकता होती है, उनमें लचीला बुनियादी ढाँचा, शुष्क भूमि कृषि में सुधार, लचीली जल बुनियादी ढाँचा, बहु-जोखिम प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और प्रकृति-आधारित समाधान शामिल हैं।
    • भारत के तटीय राज्यों के लिये, जहाँ चक्रवात के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, प्रकृति-आधारित समाधान महत्त्वपूर्ण हैं जैसे मैंग्रोव की रक्षा से चक्रवातों के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • अनुकूलन निधि:
    • भारत के पास अलग से अनुकूलन निधि नहीं है, लेकिन यह वित्त कृषि, ग्रामीण और पर्यावरण क्षेत्रों की कई योजनाओं में अंतर्निहित है।
    • उदाहरण के लिये, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजा जैसी प्रमुख परियोजनाओं, जिनका वर्ष 2020 में 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वार्षिक बजट था, को आपदा-प्रवण क्षेत्रों में अनुकूलन को संबोधित करना चाहिये।
      • इसके बजट का लगभग 70% प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में जाने और लचीले बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये चिह्नित किया गया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. उच्च तीव्रता वाली वर्षा के कारण शहरी बाढ़ की आवृत्ति वर्षों से बढ़ रही है। शहरी बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने की तैयारी के तंत्र पर प्रकाश डालिये। (2016)

प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017)

स्रोत: डाउन टू अर्थ