नए उद्यमों के वित्त पोषण पर सेबी की नज़र | 10 Aug 2017

संदर्भ 
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) स्टार्ट-अप्स को अनियमित संस्थाओं के माध्यम से वित्त पोषित किये जाने के तरीकों से चिंतित है।

यह उस तरीके की जाँच कर रहा है, जिससे कि ऐसे सौदे में पारदर्शिता एवं नियामक निरीक्षण लाने के लिये  वैकल्पिक फंड-जुटाने वाले मंचों एवं भीड़-फंडिंग (crowd funding) उद्यमों को विनियमित किया जा सके। 

प्रमुख बिंदु

  • सेबी ने हाल में इस मुद्दे पर नज़र रखने के लिये इंफोसिस के पूर्व सी.एफ.ओ., टी.वी. मोहनदास पाई की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है, जिसे यह सुनिश्चित करना  है कि निवेशक संरक्षण और बाज़ार अखंडता की कीमत पर बाज़ार में व्यवधान नहीं आने  चाहिये।

सेबी: एक नज़र

  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, भारत में प्रतिभूति बाज़ार का प्रमुख  नियामक है। 
  • इसकी स्थापना 1988 में की गई थी तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992 के तहत 12 अप्रैल, 1992 को इसे वैधानिक दर्ज़ा प्रदान किया गया।
  • इसका मुख्यालय मुंबई में है। 
  • इसका प्रमुख कार्य भारतीय स्टॉक निवेशकों के हितों का संरक्षण करना और शेयर बाज़ार का विनियमन करना है। 
  • शेयर बाज़ार में अनुचित व्यापार व्यवहारों को रोकना।
  •  प्रतिभूति बाज़ार के बारे में लोगों को प्रशिक्षित करना तथा निवेशकों को जागरूक करना।
  • भेदिया कारोबार पर रोक लगाना।


फ्रेमवर्क की आवश्यकता क्यों ?

  • यद्यपि प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम की धारा 28 की अधिसूचना के तहत वैकल्पिक निवेश प्लेटफार्मों को कानूनी मान्यता प्रदान करना एक स्वागत योग्य कदम है, परंतु लेन-देन के समाशोधन और निपटान और लेखा परीक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक ढाँचे पर यह बहुत कुछ निर्भर करेगा। 

 ‘स्टार्ट-अप’ : एक नज़र 

  • ‘स्टार्ट-अप’ का अर्थ एक नए उद्यम से है।
  • किसी भी नए विचार को व्यवसाय के रूप में आरंभ करना स्टार्ट-अप कहलाता है। 
  • स्टार्ट-अप भारत की पहल उन लोगों के लिये एक वरदान है, जो कम पैसे या कई अन्य कारणों से अपने विचारों को मूर्त रूप नहीं दे पाते।  ऐसे लोगों के लिये सरकार बहुत सी सुविधाएँ लेकर आई है।
  • स्टार्ट-अप आरंभ करने के तीन वर्ष तक कोई भी जाँच अधिकारी उस व्यवसाय पर जाँच के लिये नहीं आएगा।
  • स्टार्ट-अप से होने वाले लाभ पर तीन वर्ष तक कोई कर नहीं चुकाना होगा। 
  • देश के सभी प्रमुख शहरों में  नि:शुल्क सलाह के लिये व्यवस्था उपलब्ध ।
  • स्टार्ट-अप योजना के लिये अलग से  2500 करोड़ रूपए का कोष रखा गया है। 
  • स्टार्ट-अप के लिये  सरकार ने सार्वजनिक –निजी भागीदारी की व्यवस्था की है।
  • इसके पेटेंट शुल्क में 80 फीसदी की कटौती की व्यवस्था है।