अंतरिक्ष कचरा | 03 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

अंतरिक्ष कचरा, केसलर सिंड्रोम, NETRA परियोजना, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन कमेटी (IADC), बाहरी अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग।

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष कचरे से संबंधित संभावित खतरे, अंतरिक्ष कचरे पर अंकुश लगाने की पहल।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत सरकार ने घोषणा की है कि 111 पेलोड और 105 अंतरिक्ष मलबे को पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली भारतीय वस्तुओं के रूप में पहचाना गया है। 

  • सभी परिक्रमा कर रहे मलबे बाहरी अंतरिक्ष और भविष्य के मिशनों को प्रभावित करेंगेभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) भी अंतरिक्ष पर्यावरण पर बढ़ते अंतरिक्ष मलबे के प्रभाव को लेकर कई अध्ययन कर रहा है। 

Space-Junk

अंतरिक्ष मलबा:    

  • परिचय:  
    • अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित वस्तुओं को संदर्भित करता है जो अब किसी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है। 
    • अंतरिक्ष मलबे में प्रयोग किये गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष निकायों के टुकड़े और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न मलबा शामिल होता है। 
  • संभावित खतरे:  
    • परिचालन उपग्रहों हेतु खतरा:  
      • तैरता हुआ अंतरिक्ष मलबा परिचालन उपग्रहों हेतु संभावित खतरा है क्योंकि इन  मलबों से टकराने से उपग्रह नष्ट हो सकते हैं।
        • केसलर सिंड्रोम अंतरिक्ष में वस्तुओं और मलबे की अत्यधिक मात्रा को संदर्भित करता है।
    • कक्षीय स्लॉट की कमी:  
      • विशिष्ट कक्षीय क्षेत्रों में अंतरिक्ष मलबे का संचय भविष्य के मिशनों हेतु वांछित कक्षीय स्लॉट की उपलब्धता को सीमित कर सकता है।
    • अंतरिक्ष स्थिति के प्रति जागरूकता:  
      • अंतरिक्ष कचरे की बढ़ती मात्रा उपग्रह संचालकों एवं अंतरिक्ष एजेंसियों के लिये अंतरिक्ष में वस्तुओं की कक्षाओं को सटीक रूप से ट्रैक करने तथा भविष्यवाणी करने के संदर्भ में और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देती है।
  • अंतरिक्ष कचरे पर अंकुश लगाने से संबंधित पहल:  
    • भारत:  
      • वर्ष 2022 में ISRO ने टकराव के खतरों वाली वस्तुओं की लगातार निगरानी करने, अंतरिक्ष मलबे के विकास की संभावनाओं का आकलन करने और अंतरिक्ष कचरे से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिये सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS 4 OM) की स्थापना की।
        • ISRO ने अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ टकराव से बचने के लिये वर्ष 2022 में भारतीय परिचालन अंतरिक्ष संपत्तियों की सहायता से 21 टकराव परिहार अभ्यास भी किये।  
      • 'नेत्रा परियोजना' भारतीय उपग्रहों को कचरे और अन्य खतरों का पता लगाने के लिये अंतरिक्ष में स्थापित एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है।
    • वैश्विक: 
      • अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (Inter-Agency Space Debris Coordination Committee- IADC) एक अंतर्राष्ट्रीय सरकारी मंच है जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गई थी ताकि अंतरिक्ष मलबे के मुद्दे को प्रस्तुत करने के लिये अंतरिक्ष अन्वेषण करने वाले देशों के बीच प्रयासों को समन्वित किया जा सके। 
      • संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने के साथ ही बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिये दिशा-निर्देश विकसित करने हेतु बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति (Committee on the Peaceful Uses of Outer Space- COPUOS) की स्थापना की है।
      • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency -ESA) ने अंतरिक्ष मलबे की मात्रा को कम करने और सतत् अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वच्छ अंतरिक्ष (Clean Space) पहल शुरू की है।

आगे की राह

  • बेहतर ट्रैकिंग और निगरानी: अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने और निगरानी की क्षमता में सुधार से परिचालन उपग्रहों और मानव अंतरिक्ष मिशनों के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन: एकल-उपयोग रॉकेट के बजाय पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहनों का उपयोग करने से उत्पन्न नए अपशिष्ट की मात्रा को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • सामग्री और डिज़ाइन में सुधार: अधिक टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करना और अंततः डी-ऑर्बिटिंग के लिये उपग्रहों को डिज़ाइन करना, लंबी अवधि में उत्पन्न अपशिष्ट की मात्रा को कम कर सकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न.1 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है?  (2010)

 (A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
 (B) चंद्रयान-द्वितीय के लिये अगले चंद्रमा प्रभाव जाँच को दिया गया नाम
 (C) भारत की 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल (Geoportal)
 (D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

 उत्तर: (C)


प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा?  (मुख्य परीक्षा- 2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।  इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की?  (मुख्य परीक्षा- 2016)

स्रोत: पी.आई.बी.