एक आवश्यक वस्तु के रूप में सोया मील | 28 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

आवश्यक वस्तु, आवश्यक वस्तु अधिनियम

मेन्स के लिये:

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने 30 जून, 2022 तक 'सोया मील' को आवश्यक वस्तु घोषित करने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत एक आदेश अधिसूचित किया है।

  • इस कदम से बाज़ार में किसी भी अनुचित व्यवहार (जैसे ज़माखोरी, कालाबाज़ारी आदि) को रोका जा सकेगा, जिससे सोया मील की कीमतों में वृद्धि की संभावना हो।
  • यह पोल्ट्री फार्म और मवेशियों के भोजन के निर्माताओं जैसे उपभोक्ताओं के लिये उपलब्धता में वृद्धि करेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • सोयाबीन मील:
    • सोयाबीन मील सबसे महत्त्वपूर्ण प्रोटीन स्रोत है जिसका उपयोग कृषि में संलग्न जानवरों को खिलाने के लिये किया जाता है। इसका उपयोग कुछ देशों में मानव उपभोग के लिये भी किया जाता है।
    • यह प्रोटीन फीडस्टफ के कुल विश्व उत्पादन के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें अन्य सभी प्रमुख तेल भोजन और मछली भोजन शामिल हैं।
    • सोयाबीन मील सोयाबीन तेल के निष्कर्षण का उप-उत्पाद है।
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955
    • भूमिका: ईसीए अधिनियम 1995 ऐसे समय में बनाया गया था जब देश खाद्यान्न उत्पादन के लगातार निम्न स्तर के कारण खाद्य पदार्थों की कमी का सामना कर रहा था।
      • देश आबादी की खाद्य आपूर्ति हेतु आयात और सहायता (जैसे पीएल-480 के तहत अमेरिका से गेहूँ का आयात) पर निर्भर था।
      • खाद्य पदार्थों की ज़माखोरी और कालाबाज़ारी को रोकने के लिये1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था।
    • आवश्यक वस्तु: आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में आवश्यक वस्तुओं की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है।
      • धारा 2 (ए) में कहा गया है कि "आवश्यक वस्तु" का अर्थ अधिनियम की अनुसूची में निर्दिष्ट वस्तु है।
    • कानूनी क्षेत्राधिकार: अधिनियम केंद्र सरकार को अनुसूची में किसी वस्तु को जोड़ने या हटाने का अधिकार देता है।
      • केंद्र, यदि संतुष्ट है कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक है, तो राज्य सरकारों के परामर्श से किसी वस्तु को आवश्यक रूप में अधिसूचित कर सकता है।
    • उद्देश्य: ईसीए 1955 का उपयोग केंद्र को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में व्यापार के राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रण को सक्षम करने की अनुमति देकर मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिये किया जाता है।
    • कार्यान्वयन एजेंसी: इस अधिनियम को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय लागू करता है।
    • प्रभाव: किसी वस्तु को आवश्यक घोषित करके सरकार उस वस्तु के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित कर सकती है और स्टॉक की सीमा तय कर सकती है।
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से संबंधित मुद्दे:
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ईसीए 1955 के तहत सरकारी हस्तक्षेप ने अक्सर कृषि व्यापार को विकृत किया है, जबकि यह मुद्रास्फीति को रोकने में पूरी तरह से अप्रभावी रहा।
      • इस तरह के हस्तक्षेप से किराए की मांग और उत्पीड़न के अवसर बढ़ते’ हैं। किराया मांगना अर्थशास्त्रियों द्वारा भ्रष्टाचार सहित अनुत्पादक आय का वर्णन करने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।
    • व्यापारी अपनी सामान्य क्षमता से बहुत कम खरीदारी करते हैं और किसानों को अक्सर खराब होने वाली फसलों के अतिरिक्त उत्पादन के दौरान भारी नुकसान होता है।
    • इसकी वजह से कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश की कमी के कारण किसानों को बेहतर मूल्य नहीं मिल पा रहा था।
    • इन मुद्दों के चलते संसद ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया। हालाँकि, किसानों के विरोध के कारण सरकार को इस कानून को निरस्त करना पड़ा।

आगे की राह 

  • ECA 1955 तब लाया गया था जब भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। हालाँकि अब भारत में अधिकांश कृषि-वस्तुओं में अधिशेष की स्थिति है और ECA 1955 में संशोधन सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने तथा व्यवसाय करने में आसानी के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

स्रोत: पी.आई.बी.