दक्षिणी महासागर कार्बन विसंगति | 24 Dec 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन एक उल्लेखनीय दक्षिणी महासागर कार्बन विसंगति को उजागर करता है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि 2000 के दशक की शुरुआत से दक्षिणी महासागर निरंतर अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करता आ रहा है, जबकि पहले के जलवायु मॉडलों में इसके कार्बन-सिंक क्षमता के कमज़ोर पड़ने की भविष्यवाणी की गई थी।

सारांश

  • नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन दर्शाता है कि दक्षिणी महासागर CO₂ का अवशोषण निरंतर करता जा रहा है, जो जलवायु मॉडलों की भविष्यवाणियों के विपरीत है। इसका कारण सतही स्तरीकरण है, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन-समृद्ध गहरा जल सतह तक नहीं पहुँच पाता और निचले स्तरों में संचित रहता है।
  • एक प्रमुख वैश्विक कार्बन एवं ऊष्मा अवशोषक (सिंक) होने के कारण, स्तरीकरण के कमज़ोर पड़ते ही संचित कार्बन के मुक्त होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे दक्षिणी महासागर के कार्बन अवशोषक से उत्सर्जक बनने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

Southern_Ocean

दक्षिणी महासागर कार्बन विसंगति क्या है?

  • मॉडल पूर्वानुमानों के विपरीत: जलवायु मॉडलों के अनुसार, बढ़ती ग्रीनहाउस गैस सांद्रता और ओज़ोन परत के पतन के संयुक्त प्रभाव से दक्षिणी महासागर के ऊपर पश्चिमी पवनों की तीव्रता बढ़ने तथा उनके ध्रुवों की दिशा में स्थानांतरित होने की संभावना व्यक्त की गई थी।
    • वायुमंडलीय परिसंचरण में इस परिवर्तन से महासागरीय अपवेलिंग (गहरे, कार्बन-समृद्ध जल को सतह के निकट लाने की प्रक्रिया) के बढ़ने की संभावना थी।
      • इसके परिणामस्वरूप, तीव्र मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन से ये कार्बन-युक्त गहरे जल वायुमंडल के संपर्क में आ जाते, जिससे दक्षिणी महासागर की कार्बन सिंक के रूप में भूमिका कमज़ोर पड़ने की आशंका जताई गई थी।
    • हालाँकि, 2000 के दशक की शुरुआत से किये गए दीर्घकालिक अवलोकनों से पता चलता है कि दक्षिणी महासागर निरंतर अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करता रहा है, क्योंकि कार्बन-समृद्ध परिक्रमणीय गहरा जल सतह से लगभग 100–200 मीटर नीचे संचित हैं, जिससे उनका वायुमंडल में उत्सर्जन नहीं हो पाता।
  • स्तरीकरण की भूमिका: अधिक वर्षा, अंटार्कटिक हिम के पिघलने तथा समुद्री हिम के स्थानांतरण/आवागमन के परिणामस्वरूप महासागर की सतही परत में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ गई है। स्वच्छ जल, लवणीय जल की तुलना में हल्का होता है, इसलिये यह ऊपर एक स्थिर परत बना लेता है।
    • यह परतदार संरचना, जिसे स्तरीकरण (Stratification) कहा जाता है, एक ढक्कन की तरह कार्य करती है, जो सतही जल और नीचे स्थित कार्बन-समृद्ध गहरे जल के बीच ऊर्ध्वाधर मिश्रण को रोकती है। इसके परिणामस्वरूप कार्बन नीचे ही संग्रहित रहता है, CO₂ वायुमंडल में निकलने से रुक जाती है और दक्षिणी महासागर एक कार्बन अवशोषक (कार्बन सिंक) के रूप में कार्य करता रहता है।
  • महत्त्व: अध्ययन चेतावनी देता है कि यह स्थिति अस्थायी हो सकती है। यदि भविष्य में सतही स्तरीकरण कमज़ोर पड़ता है तो संग्रहित कार्बन तेज़ी से वायुमंडल में उत्सर्जित हो सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की गति और तीव्र हो जाएगी।
    • 2010 के दशक की शुरुआत से, दक्षिणी महासागर के कुछ हिस्सों में सतही स्तरीकरण के पतला होने और लवणता बढ़ने से पवनों के लिये गहरे, कार्बन-समृद्ध जल को ऊपर मिलाना आसान हो गया है, जिससे इसके कार्बन सिंक से कार्बन स्रोत में बदलने का जोखिम बढ़ गया है।

दक्षिणी महासागर के संदर्भ में प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • भौगोलिक विस्तार: दक्षिणी महासागर (या अंटार्कटिक महासागर) को अंटार्कटिका के चारों ओर के जलक्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है, जो सामान्यतः अंटार्कटिक तट से उत्तर की ओर 60° दक्षिण अक्षांश तक फैला होता है। इस सीमा को इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गनाइज़ेशन (IHO) ने वर्ष 2000 में स्थापित किया था और इसे अंटार्कटिक सर्कम्पोलर कर्रेंट (ACC) द्वारा चिह्नित किया गया है, जो अटलांटिक, पैसिफिक और हिंद महासागरों के कुछ हिस्सों को जोड़ता है।
    • यह विशेष है क्योंकि इसे भूमि द्वारा नहीं बल्कि एक धारा (कर्रेंट) द्वारा परिभाषित किया गया है और यह वैश्विक जलवायु में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ
    • सबसे संकीर्ण मार्ग (Narrowest chokepoint): दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के बीच ड्रेक पैसिज (Drake Passage), जिसकी चौड़ाई लगभग 1,000 किमी है।
    • दक्षिणी महासागर में वेड्डेल सी, रॉस सी, अमुंडसेन सी, बेलिंग्सहाउसन सी और स्कॉटिया सी के कुछ हिस्से शामिल हैं।
    • कोई महाद्वीपीय भूभाग इसके प्रवाह को बाधित नहीं करता।
  • आकार और कवरेज: क्षेत्रफल के हिसाब से यह प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर के बाद चौथा सबसे बड़ा महासागर है तथा आर्कटिक महासागर से बड़ा है।
    • यह वैश्विक महासागरों के लगभग 25–30% क्षेत्र को कवर करता है और पृथ्वी के कुल महासागर आयतन का लगभग 5.4% हिस्सा है।
  • कार्बन सिंक की भूमिका: दक्षिणी महासागर विश्व के महासागरों द्वारा अवशोषित सभी मानवजनित CO₂ का लगभग 40% अपने भीतर समाहित करता है। यह ग्लोबल वार्मिंग के विरुद्ध एक महत्त्वपूर्ण संतुलनकारी भूमिका निभाता है।
    • यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा का लगभग 75% अवशोषित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • महासागरीय परिसंचरण: दक्षिणी महासागर का परिसंचरण अंटार्कटिक सर्कम्पोलर कर्रेंट द्वारा नियंत्रित होता है, जो विश्व की सबसे तीव्र धारा है। यह अंटार्कटिका के चारों ओर पूर्व की दिशा में बहती है और अटलांटिक, हिंद तथा प्रशांत महासागरों को जोड़ती है।
    • ठंडी और सघन अंटार्कटिक जल धारा महासागर के तल के साथ उत्तर की दिशा में बहती है, जबकि अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर की गर्म सतही जल दक्षिण की ओर बहती है ताकि उनका स्थान ले सके तथा ये धारा अंटार्कटिक कन्वर्जेंस पर मिलती हैं।
      • यह क्षेत्र उच्च फाइटोप्लांकटन उत्पादकता का समर्थन करता है, जिसमें मुख्य रूप से डायाटम्स होते हैं। अंटार्कटिक क्रिल (Antarctic krill) इस खाद्य जाल का केंद्र बनाते हैं, जो मछली, समुद्री पक्षियों, सील और व्हेल को पोषण प्रदान करता है।
    • महासागर वैश्विक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (MOC) का केंद्रबिंदु है, जिसे प्राय: महासागरों की ‘कन्वेयर बेल्ट’ के रूप में जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. दक्षिणी महासागर कार्बन विसंगति क्या है?
यह 2000 के दशक की शुरुआत से दक्षिणी महासागर द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है, जो जलवायु मॉडलों की अवशोषण क्षमता कम होने की भविष्यवाणियों के विपरीत है।

2. दक्षिणी महासागर कार्बन सिंक में स्तरीकरण (Stratification) की क्या भूमिका है?
वर्षा और हिम के पिघलने से सतही परत में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ गई, जो हल्का होता है और ऊर्ध्वाधर मिश्रण को रोकता है। इससे कार्बन-समृद्ध जल सतह से लगभग 100–200 मीटर नीचे संचित रहता है।

3. अंटार्कटिक सर्कम्पोलर कर्रेंट क्यों महत्त्वपूर्ण है?
यह विश्व की सबसे तीव्र महासागरीय धारा है, जो अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ती है तथा वैश्विक ऊष्मा, पोषक तत्त्व एवं कार्बन के प्रवाह को नियंत्रित करती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये:

  1. पृध्वी का आवर्तन 
  2. वायु दाब और हवा 
  3. महासागरीय जल का घनत्व 
  4. पृथ्वी का परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन-से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं? (2012)

(a) केवल 1 और 2

(b) 1, 2 और 3

(c) 1 और 4

(d) 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. महासागरीय लवणता में विभिन्नताओं के कारण बताइये तथा इसके बहु-आयामी प्रभावों की विवेचना कीजिये। (250 शब्द) (2017)