दक्षिणी महासागर और वैश्विक जलवायु | 03 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

साइंस एडवांसेज (Science Advances) में प्रकाशित एक अध्ययन में दक्षिणी महासागर और वैश्विक जलवायु के अंतर्संबंधों को स्पष्ट किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • नए अध्ययन में दक्षिणी महासागर और अंटार्कटिका द्वारा वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित करने संबंधी पुरानी अवधारणा को नए शोध द्वारा चुनौती दी गई है।
  • अध्ययन के अनुसार मौजूदा धारणाओं के विपरीत वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित करने में समुद्र में होने वाली जैविक प्रक्रियाएंँ सबसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं, जो निर्धारित करती हैं कि समुद्र कार्बन डाइऑक्साइड को किस प्रकार अवशोषित करता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड महासागरों की सतह और गहरे समुद्रों द्वारा लंबे समय के दौरान अवशोषित कर ली जाती है।
  • दक्षिणी महासागर द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल से अवशोषित करने की प्रक्रिया वैज्ञानिकों को अतीत के नाटकीय जलवायु संक्रमण, अंटार्कटिका में बर्फ की आयु की व्याख्या करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के वर्तमान स्तर और भविष्यगामी प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी में भी मदद करती है।
  • अध्ययन में कहा गया है कि कार्बन के वायुमंडल या समुद्र में प्रवेश से समुद्री जल का घनत्व प्रभावित होता है, जिससे समुद्री सतह का तापमान प्रभावित होता है।
  • साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय (University of Southampton), ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (British Antarctic Survey), यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंज्लिया (University of East Anglia) और जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट (Alfred Wegener Institute) के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पूर्व में स्थित एक क्षेत्र वेडेल गाॅयर (Weddell Gyre) में महासागरीय परिसंचरण और कार्बन संकेंद्रण (Concentration) का अध्ययन किया है।
  • इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने ANDREX (Antarctic Deep water Rates of Export) परियोजना के तहत वेडेल गाॅयर (Weddell Gyre) क्षेत्र के वर्ष 2008 और 2010 के बीच जल के भौतिक, जैविक और रासायनिक गुणों के डेटा का भी प्रयोग किया है।
  • वैज्ञानिकों ने तर्क दिया कि वेडेल गाॅयर (Weddell Gyre) के केंद्र में फाइटोप्लैंकटन के बढ़ने और घटने से समुद्र में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन और अवशोषण प्रभावित होता है जिसके परिणामस्वरूप वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा प्रभावित होती है। इस प्रक्रिया को जैविक कार्बन पंप (Biological Carbon Pump) कहा जाता है।
  • वायुमंडल से कार्बन को ग्रहण करने की प्रक्रिया अंटार्कटिका के समीप के उथले समुद्रों के साथ ही खुले समुद्र से भी संबंधित है।
  • साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि अंटार्कटिक महाद्वीप और दक्षिणी महासागर हज़ारों वर्षों से वायुमंडलीय कार्बन एवं वैश्विक जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं।

निष्कर्षतः इस प्रकार के अध्ययन से पहले हुए जलवायु परिवर्तन की हमारी समझ और विकसित होगी साथ ही भविष्य के जलवायु परिवर्तन का अधिक सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।

स्रोत: द हिंदू