सोलर सुनामी कर सकता है सनस्पॉट साइकिल को सक्रिय | 19 Mar 2019

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने पाया है कि सूर्य के 11 साल के चक्र को सक्रिय करने के लिये सौर सुनामी ज़िम्मेदार है। यह माना जाता है कि ‘सोलर डायनमो’ सनस्पॉट की उत्पत्ति से संबद्ध है।

सोलर डायनमो

  • सोलर डायनमो एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जेनरेटर है जो सूर्य में विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।

सन स्पॉट

  • सन स्पॉट ऐसे क्षेत्र होते हैं जो सूर्य की सतह पर काले दिखाई देते हैं। वे गहरे (dark) इसलिये दिखाई देते हैं क्योंकि वे सूर्य की सतह के अन्य भागों की तुलना में अधिक ठंडे होते हैं।
  • सन स्पॉट का तापमान अभी भी लगभग 6,500 डिग्री फ़ारेनहाइट के आसपास है।
  • सन स्पॉट अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं। यह इसलिये है क्योंकि वे उन क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ चुंबकीय क्षेत्र विशेष रूप से मज़बूत होते हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र इतने मज़बूत होते हैं कि सूर्य के भीतर की कुछ ऊष्मा को सतह तक पहुँचने से रोकते हैं।
  • सूर्य की सतह तक उठने वाले चुंबकीय प्रवाह की मात्रा सौर चक्र में समय के साथ बदलती रहती है। यह चक्र औसतन 11 साल तक चलता है। इस चक्र को कभी-कभी सन स्पॉट चक्र भी कहा जाता है।

सौर सुनामी

  • सौर सुनामी चुंबकीय क्षेत्र की तरंगें हैं और सूर्य से लगभग 400 किमी. प्रति सेकंड की गति से गर्म, आयनीकृत गैस के रूप में गति करती हैं।
  • एक कोरोनल मास इजेक्शन (Cronal Mass Ejection-CME) नामक पदार्थ के अंतरिक्ष में उत्पन्न होने के बाद सुनामी उत्पन्न होती है।
  • सोलर सुनामी की खोज 1997 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (Europen Space Agency) के SOHO (सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी) द्वारा की गई थी।

कोरोनल मास इजेक्शन

  • कोरोनल मास इजेक्शन (CME) प्लाज्मा और सौर कोरोना से चुंबकीय क्षेत्र के साथ एक महत्त्वपूर्ण रिलीज़ होता है। इसमें अक्सर सौर चमक (Solar Flare) होती है।
  • पृथ्वी में पहुँचने पर सौर फ़्लेयर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ प्रतिक्रिया कर भव्य प्रकाश दिखाई देने का कारण बनता है जिसे ऑरोरा (Aurora) कहा जाता है।
  • सोलर फ्लेयर्स रेडियो प्रसारण को भी बाधित कर सकते हैं और उपग्रहों को कक्षा में नुकसान पहुँचा सकते हैं।

सोलर सुनामी सन स्पॉट की ओर कैसे बढ़ती है?

  • चरम तापमान और दाब की स्थिति जो सूर्य की सतह से लगभग 20,000 किमी. नीचे रहती है, के कारण एक प्लाज्मा का निर्माण होता है जिसमें अत्यधिक आयनीकृत अवस्था में मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम होते हैं।
  • प्लाज्मा सूर्य के अंदर विशाल चुंबकीय क्षेत्रों में सीमित होता है। इन्हें अपने स्थान पर बने रहने के लिये यह आवश्यक है कि अतिरिक्त अक्षांश से बैंड पर धकेलने वाला अतिरिक्त द्रव्यमान (प्लाज्मा द्रव्यमान) मौजूद हो।
  • इस प्रकार एक चुंबकीय बांध बनता है जो प्लाज्मा के एक बड़े द्रव्यमान का भंडारण करता है। एक सौर चक्र के अंत में यह चुंबकीय बांध टूट सकता है तथा ध्रुवों की ओर सुनामी की तरह भारी मात्रा में प्लाज्मा उत्पन्न होता है।
  • ये सुनामी जैसी लहरें लगभग 1,000 किमी. प्रति घंटे की उच्च गति से चलती हैं, जो अतिरिक्त प्लाज्मा को मध्य अक्षांशों तक ले जाती हैं।
  • वहाँ वे चुंबकीय प्रवाह के विस्फोट को जन्म देती हैं। इन्हें चमकीले पैच के रूप में देखा जाता है जो सन स्पॉट के अगले चक्र की शुरुआत का संकेतक होता है।

स्रोत : द हिंदू