सूर्य ग्रहण | 27 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये

ग्रहण, सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण

मेन्स के लिये

सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण के लिये आवश्यक परिस्थितियाँ

चर्चा में क्यों?

26 दिसंबर, 2019 को वलयाकार सूर्य ग्रहण की स्थिति बनी जिसे पृथ्वी के पूर्वी गोलार्द्ध में देखा गया। भारत में यह सूर्य ग्रहण केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में देखा गया।

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse):

  • जब पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्से पर दिन में अँधेरा छा जाता है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
  • यदि चंद्रमा एक निश्चित वृत्तीय कक्षा तथा समान कक्षीय समतल पर परिक्रमा कर रहा होता तो प्रत्येक अमावस्या को सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती।
  • किंतु चंद्रमा का कक्षीय समतल (Orbital Plane) पृथ्वी के कक्षीय समतल (Ecliptic Plane) से 5o का कोण बनाता है जिसके कारण चंद्रमा की परछाई पृथ्वी पर हमेशा नहीं पड़ती।
  • सूर्य ग्रहण तभी होता है जब चंद्रमा अमावस्या को पृथ्वी के कक्षीय समतल के निकट होता है।

Solar-Eclipse

चंद्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा की रात को होता है, जबकि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या की रात को होता है।

  • सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं- पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण तथा वलयाकार सूर्य ग्रहण।

पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse):

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में हों।
  • इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह अँधेरा छा जाता है तथा जो व्यक्ति पूर्ण सूर्य ग्रहण को देख रहा होता है वह इस छाया क्षेत्र के केंद्र में स्थित होता है।
  • यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा, पृथ्वी के निकट होता है।
  • ध्यातव्य है कि चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार कक्षा में परिक्रमा करता है इसलिये पृथ्वी से उसकी दूरी में परिवर्तन होता रहता है।
  • सूर्य की तुलना में चंद्रमा का आकार 400 गुना छोटा है लेकिन दोनों समान आकार के दिखाई देते हैं क्योंकि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी पृथ्वी से सूर्य की दूरी की तुलना में 400 गुना कम होती है।

आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse):

  • जब चंद्रमा की परछाई सूर्य के पूरे भाग को ढकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढके तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse):

  • ग्रहण की यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है।
  • इसकी वजह से चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढक नहीं पाता और सूर्य एक अग्नि वलय (Ring of Fire) की भाँति प्रतीत होता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान निर्मित ‘अग्नि वलय’ क्या है?

  • सभी प्रकार के सूर्य ग्रहण के दौरान अग्नि वलय नहीं दिखाई देता। इसका निर्माण केवल उस स्थिति में होता है जब सूर्य का केंद्र चंद्रमा से इस प्रकार ढक जाए कि सूर्य का केवल बाहरी किनारा ही दिखाई दे।
  • इस प्रकार दिखाई देने वाला सूर्य का बाहरी किनारा एक आग के छल्ले की भाँति प्रतीत होता है जिसे वलय कहते हैं।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण से निर्मित अग्नि वलय पृथ्वी पर स्थित सभी स्थानों से नहीं दिखाई देता। इसलिये अलग-अलग स्थानों पर यह आंशिक सूर्य ग्रहण की भाँति दिखाई देता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण कब बनता है?

  • सभी सूर्य ग्रहणों में अग्नि वलय का निर्माण नहीं होता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण के निर्माण के लिये निम्नलिखित तीन परिस्थितियाँ अनिवार्य हैं-
  1. अमावस्या
  2. चंद्रमा की स्थिति चंद्र नोड (Lunar Nod) पर या उसके निकट हो ताकि सूर्य, पृथ्वी तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में हों।
  3. चंद्रमा पृथ्वी से दूरस्थ बिंदु (Apogee) पर स्थित हो।
  • सूर्य ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी पर चंद्रमा की दो परछाइयाँ बनती हैं जिसे छाया (Umbra) तथा उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं।
    • छाया: इसका आकार पृथ्वी पर पहुँचते हुए छोटा होता जाता है तथा इस क्षेत्र में खड़े व्यक्ति को पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।
    • उपच्छाया: इसका आकार पृथ्वी पर पहुँचते हुए बड़ा होता जाता है तथा इस क्षेत्र में खड़े व्यक्ति को आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।
  • सूर्य की बाहरी परत कोरोना के अध्ययन के लिये वलयाकार सूर्य ग्रहण एक आदर्श स्थिति होती है क्योंकि चंद्रमा के बीच में आ जाने से सूर्य की तेज़ रोशनी अवरोधित हो जाती है तथा खगोलीय यंत्रों द्वारा इसका अध्ययन आसानी से किया जा सकता है।

सूर्य ग्रहण देखने में सावधानी:

  • एक पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आँखों से देखा जा सकता है किंतु आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण को बिना आवश्यक तकनीकी तथा यंत्रों के नहीं देखा जा सकता।
  • सूर्य ग्रहण को आँखों में बिना कोई उपकरण लगाए देखना खतरनाक साबित हो सकता है जिससे स्थायी अंधापन या रेटिना में जलन हो सकती है जिसे सोलर रेटिनोपैथी (Solar Retinopathy) कहते हैं।
  • सूर्य से उत्सर्जित खतरनाक पराबैंगनी किरणें रेटिना में मौजूद उन कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं जिनका कार्य रेटिना की सूचनाएँ मस्तिष्क तक पहुँचाना होता है। इसके कारण अंधापन, वर्णांधता (Colour Blindness) तथा दृश्यता (Vision) नष्ट हो सकती है।

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse):

जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है तब सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाता तथा चंद्रमा की सतह पर अँधेरा छा जाता है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस