सामाजिक जवाबदेही | 25 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये:

सामाजिक जवाबदेही 

मेन्स के लिये:

सामाजिक जवाबदेही के सिद्धांत, आवश्यकता और उनका महत्त्व 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में राजस्थान में अगले विधानसभा सत्र में सामाजिक जवाबदेही (Social Accountability) कानून पारित कराने की मांग को लेकर राज्यव्यापी अभियान चलाया गया है।

  • वर्ष 2019 में सरकार द्वारा सामाजिक जवाबदेही विधेयक (Social Accountability Bill) के प्रारूप पर सलाह देने हेतु पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त, राम लुभया (Ram Lubhaya) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था तथा समिति द्वारा वर्ष 2020 में मसौदा प्रस्तुत किया गया था।
  • राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम (Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Service Act), 2011 तथा राजस्थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम (Rajasthan Right to Hearing Act), 2012 पहले ही लागू हो चुके हैं, लेकिन कुछ प्रमुख मुद्दों के कारण उन्हें निरस्त कर दिया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • सामाजिक जवाबदेही:
    • इसे जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया गया है जो नागरिकों के आपसी जुड़ाव पर निर्भर करता है अर्थात, जिसमें सामान्य नागरिक और नागरिक समूह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जवाबदेही को तय करने में भाग लेते हैं। 
    • सार्वजनिक क्षेत्र के संदर्भ में सामाजिक जवाबदेही का तात्पर्य उन कार्यों और तंत्रों की एक विस्तृत शृंखला से है जिनका उपयोग नागरिक, समुदाय, स्वतंत्र मीडिया और नागरिक समाज संगठन तथा सार्वजनिक अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने हेतु किया जाता है। 
    • जब उन्हें संस्थागत रूप प्रदान किया जाता है तो सामाजिक जवाबदेही तंत्र की प्रभावशीलता और स्थिरता में सुधार होता है। इसमें दो चीजें शामिल हैं:
      • राज्य को व्यापक जवाबदेही परियोजना में एक 'इच्छुक सहयोगी' (Willing Accomplice) के रूप में अपने स्वयं के ‘आंतरिक’ तंत्र को इस प्रकार प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है जो इसे संरचनात्मक रूप से जवाबदेही हेतु उत्तरदायी बनाता है।
      • राज्य को नागरिक जुड़ाव और भागीदारी को सुविधाजनक बनाने तथा मज़बूत करने हेतु तंत्र को पहचानने व अपनाने की ज़रूरत है।
    • सामाजिक जवाबदेही अभ्यास के घटकों में सूचना का संग्रह, विश्लेषण और प्रसार, जनता का समर्थन जुटाना, परिवर्तन के लिये सिफारिश एवं बातचीत शामिल है।
      • सामाजिक लेखापरीक्षा सामाजिक जवाबदेही और पारदर्शिता का एक उपकरण है।
  • सामाजिक जवाबदेही के प्रमुख सिद्धांत:
    • जानकारी (सूचना)
    • भागीदारी (नागरिकों की भागीदारी)
    • कार्यवाही (समयबद्ध कार्यवाही)
    • सुरक्षा (नागरिकों की सुरक्षा)
    • सुनवाई (नागरिकों को सुनवाई का अधिकार)
    • जनता का मंच (सामूहिक मंच)
    • प्रसार (सूचनाओं का प्रसार)
  • आवश्यकता:
    • ऐसे कई नागरिक हैं जो अपने अधिकारों तक पहुँचने में असमर्थ हैं और उनकी शिकायतों का निवारण समयबद्ध तरीके से किया जाता है, जबकि ‘गलती करने वाले सरकारी अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं’ होती है।
  • महत्त्व:
    • यह प्रत्येक व्यक्ति को नागरिक के रूप में अधिकार प्रदान करने के लिये सरकारी संस्थानों और अधिकारियों की जवाबदेहिता सुनिश्चित करता है।
    • यह कानून के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और अगले विधानसभा सत्र में विधेयक को पारित करने के पक्ष में निरंतर वकालत करता है।
      • शिकायतों के निवारण की व्यवस्था ग्राम पंचायतों से शुरू होगी और इसमें ब्लॉक स्तर पर जन सुनवाई शामिल होगी।
    • यह कुशल प्रशासन, वर्द्धित सेवा वितरण और नागरिक सशक्तीकरण के माध्यम से विकास प्रभावशीलता को बढ़ाने में योगदान दे सकता है।

Social-Accuontability

  • भारत में सामाजिक जवाबदेही प्रथाओं के उदाहरण:
    • भागीदारी योजना और नीति निर्माण (केरल)
    • सहभागी बजट विश्लेषण (गुजरात)
    • सहभागी व्यय ट्रैकिंग प्रणाली (दिल्ली, राजस्थान)
    • नागरिक सर्वेक्षण/नागरिक रिपोर्ट कार्ड (बंगलूरू, महाराष्ट्र)
    • नागरिक घोषणापत्र (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक)
    • सामुदायिक स्कोर कार्ड (महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश)

स्रोत: द हिंदू