‘स्मार्ट’ सौर हरित गृह की अवधारणा एवं विकास से संबद्ध पक्ष | 07 Nov 2017

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों द्वारा 'स्मार्ट' सौर हरितगृहों का विकास किया गया है, जिसके माध्यम से अब पौधों के विकास को अवरुद्ध किये बिना अक्षय ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, पारंपरिक हरित गृह में उगाए गए टमाटर एवं खीरे की तुलना मेंऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम सौर-सघन हरित गृह द्वारा उत्पादित टमाटर और खीरे की पहली फसल अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ पाई गई।

यह किस प्रकार कार्य करता है?

  • विद्युत उत्पन्न करने में सक्षम सौर हरित गृह द्वारा तरंग-दैर्ध्य चयनात्मक फोटोवोल्टेइक सिस्टम्स (Wavelength-Selective Photovoltaic Systems - WSPVs) का प्रयोग किया जाता है।
  • यह एक नई तकनीक है। इस तकनीक के अंतर्गत अधिक कुशल बिजली के निर्माण के साथ-साथ पारंपरिक फोटोवोल्टेइक प्रणालियों की तुलना में कम कीमत पर कार्य किया जाता है।
  • ये हरित गृह उज्ज्वल मेजेन्टा लुमिनेन्सेंट डाई (magenta luminescent dye) से संबद्ध पारदर्शी छत पैनलों से ढके होते हैं, जो कि प्रकाश को अवशोषित करके उसे ऊर्जा के रूप में संकीर्ण फोटोवोल्टेइक स्ट्रिप्स (photovoltaic strips) में स्थानांतरित कर देते हैं। इन फोटोवोल्टेइक स्ट्रिप्स में ही बिजली का उत्पादन होता है।
  • डब्ल्यू.एस.पी.वी. प्रकाश के कुछ नीले और हरे रंग के तरंग दैर्ध्य को अवशोषित कर लेते हैं, लेकिन बाकी के सभी तरंग दैर्ध्य को पौधों की वृद्धि के लिये छोड़ देते हैं।

खोज से संबंधित प्रमुख बिंदु

  • डब्लू.पी.एस.वी. प्रौद्योगिकी को स्यू कार्टर (Sue Carter) और ग्लेन एलर्स (Glenn Alers) नामक भौतिक विज्ञान के दो प्रोफेसरों द्वारा विकसित किया गया, जिन्होंने इस प्रौद्योगिकी को बाज़ार में लाने के लिये वर्ष 2012 में सोलिकल्चर (Soliculture) की स्थापना की थी।
  • उल्लेखनीय है कि इस खोज के लिये शोधकर्त्ताओं द्वारा तकरीबन 20 प्रकार के टमाटर, खीरे, नींबू, मिर्च, स्ट्रॉबेरी और तुलसी की किस्मों को मेजेन्टा हरित गृह में विकसित किया गया। 
  • इसके बाद इनकी प्रकाश संश्लेषण गतिविधि और फल उत्पादन की बराबर निगरानी की गई, ताकि इनकी संवृद्धि के विषय में सटीक जानकारी प्राप्त हो सके।
  • अधिक परंपरागत हरित गृहों में पौधों को समान मात्रा में वृद्धि करने के लिये सामान्य की अपेक्षा पाँच प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • पौधें केवल प्रकाश की गहनता के प्रति संवेदनशील नहीं होते है बल्कि रंग के प्रति भी होते हैं। लेकिन, यह पौधों की संख्या में वृद्धि भी करते हैं।
  • इसकी पहली प्राथमिकता हरित गृह द्वारा ऊर्जा की खपत को कम करना है, क्योंकि खाद्य उत्पादन के लिये हरित गृहों के वैश्विक उपयोग में पिछले 20 वर्षों में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज़ की गई है।
  • हरित गृह के अंतर्गत तापमान के साथ-साथ विद्युत चालित पंखों, लाइटों और अन्य निगरानी प्रणालियों को नियंत्रित करने के लिये बिजली का उपयोग किया जाता है।
  • पारंपरिक सिलिकॉन-आधारित फोटोवोल्टिक कोशिकाओं की प्रति-वाट लागत की तुलना में WSPV प्रौद्योगिकी की लागत प्रतिवाट तकरीबन 40 प्रतिशत कम है।
  • अगर हरित गृह साइट पर ही बिजली पैदा कर लेते हैं, तो इससे ऊर्जा के निर्माण के लिये बाहरी स्रोत की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे हरित गृह गैस के उत्सर्जन में कमी आने में मदद मिलती है।