स्काईग्लो: प्रकाश प्रदूषण | 03 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

प्रकाश प्रदूषण, स्काईग्लो

मेन्स के लिये:

प्रकाश प्रदूषण के घटक, प्रभाव कारण

चर्चा में क्यों?

हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि बीटल जैसे कीट जो अपने कम्पास के रूप में आकाशगंगा की प्राकृतिक चमक पर निर्भर थे, स्काईग्लो (प्रकाश प्रदूषण के परिणामस्वरूप किसी क्षेत्र में रात के दौरान आकाश में चमक) के कारण पृथ्वी की कृत्रिम रोशनी पर निर्भर हैं।

Energy-Waste

प्रमुख बिंदु

स्काईग्लो के बारे में:

  • स्काईग्लो शहरों में और उनके आस-पास रात के समय आकाश में प्रकाश की एक सर्वव्यापी चादर है जो सबसे चमकीले सितारों को छोड़कर सभी को अवरुद्ध कर सकती है।
  • रात के समय रिहायशी इलाकों में आसमान का चमकना स्ट्रीट लाइट, सुरक्षित फ्लडलाइट और बाहरी सजावटी रोशनी स्काईग्लो का कारण बनता है।
  • यह प्रकाश सीधे रात्रिचर (रात में सक्रिय जीव) की आँखों में जाता है तथा उन्हें मार्ग से भटकाने का कार्य करता है।
  • स्काईग्लो' प्रकाश प्रदूषण के घटकों में से एक है।

प्रकाश प्रदूषण:

  • प्रकाश प्रदूषण के बारे में:
    • कृत्रिम प्रकाश का अनुचित या अत्यधिक उपयोग- जिसे प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution- LP) के रूप में जाना जाता है, के मानव, वन्य जीवन और जलवायु के लिये गंभीर पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं।
    • प्रकाश प्रदूषण के घटकों में शामिल हैं:
      • चकाचौंध (Glare): अत्यधिक चमक जो दृश्यता में अवरोध का कारण बनती है।
      • स्काईग्लो (Skyglow): रिहायशी इलाकों में रात में आसमान का चमकना।
      • प्रकाश अतिचार (Light Trespass): प्रकाश का उस स्थान पर गिरना जहांँ इसकी आवश्यकता नहीं हो।
      • अव्यवस्थित (Clutter): प्रकाश स्रोतों का चमकीला, भ्रमित और अत्यधिक समूह।
  • कारण:
    • LP औद्योगीकरण का एक साइड इफेक्ट है।
    • इसके स्रोतों में इमारतों की बाहरी और आंतरिक प्रकाश व्यवस्था, विज्ञापन, वाणिज्यिक संपत्तियों, कार्यालयों, कारखानों, स्ट्रीटलाइट्स तथा खेल स्थलों का निर्माण शामिल है।
  • प्रभाव:
    • ऊर्जा और धन की बर्बादी:
      • जब प्रकाश बहुत अधिक मात्रा में उत्सर्जित होता है या जब और जहांँ इसकी आवश्यकता नहीं होती है, उन स्थानों पर इसकी चमक बेकार है। ऊर्जा की बर्बादी में के भारी आर्थिक व पर्यावरणीय परिणाम होते हैं।
    • पारिस्थितिकी तंत्र और वन्य जीवन को बाधित करना:
      • प्रजनन, पोषण, नींद और शिकारियों से सुरक्षा जैसे जीवन-निर्वाह व्यवहारों को नियंत्रित करने हेतु पौधे व जानवर पृथ्वी पर दिन एवं रात के प्रकाश दैनिक चक्र पर निर्भर करते हैं।
      • वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि रात में कृत्रिम प्रकाश उभयचरों, पक्षियों, स्तनधारियों, कीड़ों और पौधों सहित कई जीवों पर नकारात्मक एवं घातक प्रभाव डालता है।
        • उदाहरण: एक अध्ययन से पता चला है कि कैसे रात्रिचर गोबर भृंग (Dung Beetles) रात्रिकालीन प्राकृतिक प्रकाश से मार्गनिर्देश न प्राप्त कर पाने की स्थिति में अपने आस-पास के वातावरण में संकेतों की खोज करने के लिये मजबूर होते हैं।
    • मानव स्वास्थ्य को नुकसान:
      • पृथ्वी पर अधिकांश जीवों की तरह मनुष्य एक सर्कैडियन विधि का पालन करते हैं जिसे हम जैविक घड़ी या दिन-रात चक्र द्वारा शासित नींद-जागने के एक पैटर्न के रूप में उपयोग करते हैं। रात में कृत्रिम प्रकाश उस चक्र को बाधित कर सकता है।

समाधान:

  • जानवरों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रकाश प्रदूषण के अनुभव को कम करने के लिये एक उल्लेखनीय सरल उपाय है: रात में अनावश्यक प्रकाश बंद कर दें।
  • जहाँ रोशनी को बंद नहीं किया जा सकता है, उन्हें संरक्षित किया जा सकता है ताकि वे आसपास के वातावरण और आकाश में प्रकाश का उत्सर्जन न करें।
  • इंटरनेशनल डार्क-स्काईज़ एसोसिएशन ने 130 से अधिक 'इंटरनेशनल डार्क स्काई प्लेसेस' को प्रमाणित किया है, जहाँ कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था को स्काईग्लो और प्रकाश अतिचार को कम करने के लिये समायोजित किया गया है। हालाँकि लगभग सभी उत्तरी गोलार्ध में स्थित विकसित देशों में पाए जाते हैं।
  • कम विकसित क्षेत्र अक्सर दोनों प्रजातियों के लिये समृद्ध होते हैं और वर्तमान में जहाँ के प्रकाश कम प्रदूषणकारी होते हैं, जिससे जानवरों को गंभीर रूप से प्रभावित होने से पूर्व प्रकाश जैसी समस्याओं के समाधान में निवेश करने का अवसर मिलता है।

स्रोत : डाउन टू अर्थ