प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का दूसरा चरण | 08 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana-PMKVY) का अगला चरण वर्ष 2020 से वर्ष 2025 के मध्य पूरा किया जाएगा और केंद्र सरकार ने योजना के इस चरण को राज्य सरकारों की बेहतर भागीदारी और अन्य मंत्रालयों में चल रहे समान कार्यक्रमों के साथ मिलाकर और अधिक व्यापक तथा संगठित करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु :

  • भारत में लगभग सभी मंत्रालयों द्वारा कौशल विकास के अलग-अलग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, परंतु ये सभी कार्यक्रम किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में ही प्रशिक्षित करने का काम करते हैं।
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship-MSDE) की स्थापना के पश्चात् केंद्र सरकार सभी मंत्रालयों की ऐसी योजनाओं को एक छत के नीचे लाने का प्रयास कर रही है।
  • अनेक मंत्रालयों द्वारा चलाई जा रहीं कौशल विकास परियोजनाएँ संरचना, प्रशिक्षण के घंटे और रोज़गार प्रदान करने की भूमिका जैसे कारकों की दृष्टि से कमोबेश समान ही हैं और इतनी समानताओं के कारण यह प्रश्न उठना अनिवार्य है कि इन्हें एक साथ क्यों न रखा जाए?
  • इसी के साथ PMKVY के अगले चरण में भिन्न-भिन्न मंत्रालयों को भी महत्त्वपूर्ण भूमिका देने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि अलग-अलग योजनाओं के कार्यान्वन से सभी मंत्रालयों ने काफी अनुभव प्राप्त किया है और यह अनुभव एक बड़ी योजना (PMKVY) के कार्यान्वयन में काफी लाभदायक साबित हो सकता है।
  • ज्ञातव्य है कि यह योजना अभी अपने पहले चरण (2016-2020 के बीच) में है और इसके माध्यम से तक़रीबन 10 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

(Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana-PMKVY)

  • क्या है PMKVY?
    • युवाओं को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से इस योजना का शुभारंभ वर्ष 2015 में किया गया था।
    • यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) का प्रमुख कार्यक्रम है तथा इसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • इस योजना ने पिछली मानक प्रशिक्षण आकलन एवं पारितोषिक (Standard Training Assessment and Reward-STAR) योजना का स्थान लिया था।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के उद्देश्य
    • बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, रोज़गार प्राप्त करने योग्य बनाकर जीविकोपार्जन के लिये सक्षम बनाना और इसके लिये प्रेरित करना।
    • प्रमाणन प्रक्रिया में मानकीकरण को प्रोत्साहन देना और कौशल पंजीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत करना।
    • वर्तमान में मौजूद श्रमबल को बढ़ाना और आवश्यकतानुसार लोगों को प्रशिक्षित करना।
  • PMKVY के कार्यान्वयन की चुनौतियाँ
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी का अभाव : वर्ल्ड बैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में केवल 36 प्रतिशत कंपनियाँ ही अपने कर्मचारियों को औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराती हैं।
    • इस योजना के उद्देश्य की पूर्ति के लिये कौशल विकास के साथ संबंधित क्षेत्र में रोज़गार का सृजन होना भी आवश्यक है।
    • जुलाई 2015 के बाद से नियोजन के निराशाजनक आँकड़े इस योजना की सफलता पर संदेह उत्पन्न करते हैं।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)