जैव-विविधता सम्मेलन (सीबीडी) पर भारत की छठी रिपोर्ट | 31 Dec 2018

चर्चा में क्यों?


29 दिसंबर 2018 को भारत ने जैव विविधता सम्मेलन (सीबीडी) की छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा आयोजित राज्य जैव विविधता बोर्डों की 13वीं राष्ट्रीय बैठक के द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत की गयी।

संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने ‘‘भारत की राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों पर प्रगति: एक पूर्वावलोकन” दस्तावेज भी जारी किया।
  • इस बैठक में बताया गया कि भारत विश्व के पहले पांच देशों में; एशिया में पहला तथा जैव विविधता समृद्ध मेगाडायवर्स देशों में भी पहला देश है, जिसने सीबीडी सचिवालय को छठी राष्ट्रीय रिपोर्ट सौंपी है।
  • इस बात पर चर्चा हुई कि एक तरफ जहाँ विश्व भर में जैव विविधता पर आवास विखंडन एवं विनाश, आक्रामक विदेशी प्रजातियों, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के अति उपयोग के कारण दबाव बढ़ रहा है, वहीं भारत उन कुछ देशों में शामिल है जहाँ वन आच्छादन बढ़ रहा है और जंगलों में वन्य जीवन भी बहुतायत संख्या में हैं।
  • भारत राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता लक्ष्यों को अर्जित करने की राह पर अग्रसर है और यह वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।
  • गौरतलब है कि सीबीडी सहित अंतर्राष्ट्रीय संधियों के पक्षकार देशों द्वारा राष्ट्रीय रिपोर्टों की प्रस्तुति अनिवार्य होती है।
  • एक ज़िम्मेदार देश के रूप में भारत ने कभी भी अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को नहीं छोड़ा है।
  • भारत अब तक नियत समय पर सीबीडी को पांच राष्ट्रीय रिपोर्ट सौंप चुका है।
  • छठीं राष्ट्रीय रिपोर्ट को वैश्विक एआईसीएचई (AICHI) जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप संधि प्रक्रिया के तहत विकसित किया गया हैं। यह 12 राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों को अर्जित करने की दिशा में हुई प्रगति की ताजा जानकारी उपलब्ध कराता है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें-

  • 15वें भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2017 के मुताबिक भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहाँ वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गयी है।
  • भारत ने दो राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) प्राप्त कर लिये और आठ अन्य NBT प्राप्त करने की राह पर हैं साथ ही शेष दो NBT को भी भारत 2020 के निर्धारित समय तक पूरा करने का प्रयास कर रहा है।

♦ भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20% से अधिक भाग जैव विविधता संरक्षण के अंतर्गत आता है। भारत आइची लक्ष्य 11 के 17% स्थलीय अवयव को प्राप्त कर चुका है।
♦ भारत ने 2015 में पहले Internationally recognized certificate of Compliance (IRCC) का प्रकाशन किया था। तब से IRCC के 75% भाग का प्रकाशन हो चुका है। इस प्रकार पहुँच व लाभ की हिस्सेदारी (ABS) पर नगोया प्रोटोकॉल के लक्ष्य को भारत प्राप्त कर रहा है।

  • शेरों की संख्या 2015 में 520 से ऊपर पहुँच चुकी है तथा हाथियों की संख्या 2015 में 30,000 से ऊपर चली गयी है।
  • एक सींग वाला भारतीय गैंडा जो 20 वीं शताब्दी के शुरूआत में विलुप्ति के कागार पर था, अब इसकी संख्या 2400 हो गयी है।
  • पूरे विश्व में कुल दर्ज किये गए प्रजातियों की 0.3% से ऊपर की जनसंख्या क्रांतिक रूप से संकटापन्ना की श्रेणी में आ चुकी है जबकि भारत में ऐसी सिर्फ 0.08% प्रजातियाँ दर्ज की गयी है।
  • कृषि, मत्स्यन, वानिकी आदि के लिये संपोषणीय प्रबंधन अपनाया गया है ताकि प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किये बिना सभी को भोजन एवं पोषण संबंधी सुरक्षा प्राप्त हो सके।

जैव विविधता क्या है?

  • जैव विविधता का अर्थ पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों की विविधता से है। अर्थात् किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों एवं वनस्पतियों की संख्या एवं प्रकारों को जैवविविधता माना जाता है।
  • 1992 में रियो डि जेनेरियाें में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में जैव विविधता की मानक परिभाषा के अनुसार-

जैव विविधता समस्त स्रोतों यथा-अन्तर्क्षेत्रीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के जीवों के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिक समूह जिनके ये भाग है, में पायी जाने वाली विविधताएँ हैं। इसमें एक प्रजाति के अंदर पायी जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा परिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है।

जैव विविधता अभिसमय (सीबीडी)

  • यह अभिसमय वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है।
  • सीबीडी पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैवविविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के परिस्थितिकीय आधारों को बनाएँ रखने हेतु प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की गयी है।
  • सीबीडी में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल हैं जिनमें 168 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।
  • भारत सीबीडी का एक पक्षकार (party) है।
  • इस कन्वेंशन में राष्ट्रों के जैविक संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों की पुष्टि किये जाने के साथ तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए है-

♦ जैव विविधता का संरक्षण
♦ जैव विविधता घटकों का सतत उपयोग
♦ आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी

  • जैव विविधता कन्वेंशन के तत्वाधान में कार्टाजेना जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को 29 जनवरी, 2000 को अंगीकार किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप ऐसे सजीव परिवर्तित जीवों (LMO) का सुरक्षित अंतरण, प्रहस्तरण और उपयोग सुनिश्चित करना है जिसका मानव स्वास्थ्य को देखते हुए जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत् उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • 2010 में नगोया, जापाना के आइची प्रांत में आयोजित सीबीडी के 10 वें सम्मेलन में जैवविविधता के अद्यतन रणनीतिक योजना जिसे आईची लक्ष्य नाम दिया गया, को स्वीकार किया गया।
  • उसके एक भाग के रूप में लघु-अवधि रणनीतिक योजना-2020 के तहत 2011-2020 के लिये जैवविविधता पर एक व्यापक रूपरेखा तैयार की गयी। इसके अंतर्गत सभी पक्षकारों के लिये जैव विविधता के लिये कार्य करने हेतु एक 10 वर्षीय ढाँचा उपलब्ध कराया गया है।
  • यह लघुवधि योजना 20 महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों, जिसे सम्मिलित रूप से आइची लक्ष्य (Aichi Targets) कहते है, का एक समूह है।
  • भारत ने 20 वैश्विक Aichi जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप 12 राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) विकसित किये है।

स्रोत: PIB, The Hindu