सिल्वर इकॉनमी | 22 Aug 2025
प्रिलिम्स के लिये: सिल्वर इकॉनमी, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, अटल पेंशन योजना, SACRED पोर्टल
मेन्स के लिये: भारत में जनसांख्यिकीय बदलाव और उनका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, सिल्वर इकॉनमी का महत्त्व और भारत में विकास के प्रमुख कारक।
चर्चा में क्यों?
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस (World Senior Citizen Day) प्रतिवर्ष 21 अगस्त को वरिष्ठ नागरिकों के योगदान को स्वीकार करने, वैश्विक स्तर पर उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सिल्वर इकॉनमी के बढ़ते महत्त्व को उजागर करने के लिये मनाया जाता है।
नोट: विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की शुरुआत वर्ष 1988 में हुई थी, जब संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 21 अगस्त को वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान करने और उनके लिये सहायक नीतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निर्धारित किया।
- यह अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस से अलग है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस’ के रूप में घोषित किया था, जिसे पहली बार वर्ष 1991 में मनाया गया था।
सिल्वर इकॉनमी क्या है?
- परिचय: यह वरिष्ठ नागरिकों के लिये सभी आर्थिक गतिविधियों, वस्तुओं और सेवाओं को संदर्भित करता है।
- भारत के लिये महत्त्व: जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह (2020) के अनुसार, भारत की बुजुर्ग आबादी 2011 में 103.8 मिलियन (जनसंख्या का 8.6%) से बढ़कर वर्ष 2031 तक 193.4 मिलियन हो जाएगी।
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) रिपोर्ट 2023 के अनुसार, देश में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या का प्रतिशत वर्ष 2050 तक दोगुना होकर कुल जनसंख्या के 20% से अधिक होने का अनुमान है, जो वर्ष 2046 तक बच्चों (0-15 वर्ष) से अधिक हो जाएगी। वरिष्ठ नागरिक अब आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नागरिक बनते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, बीमा, आवास और वेलनेस जैसे क्षेत्रों में नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
- सिल्वर इकॉनमी विकास के मुख्य चालक:
- सक्रिय वृद्धावस्था (Active Aging): भारत अब सक्रिय वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहा है, जहाँ वरिष्ठ नागरिक पहले से अधिक स्वस्थ, स्वतंत्र, और आश्रित नहीं, बल्कि योगदानकर्त्ता के रूप में देखे जा रहे हैं। 45 से 64 वर्ष की आयु वर्ग के पेशेवर आज भारत के सबसे संपन्न वर्ग में आते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वरिष्ठ नागरिक अब एक महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता वर्ग बन चुके हैं।
- पिछली पीढ़ियों के विपरीत, आज के वरिष्ठ नागरिक तेज़ी से कार्यबल का हिस्सा बन रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था में अधिक मूल्य जोड़ रहे हैं।
- घरेलू देखभाल सेवाएँ: भारत में 75% से अधिक वरिष्ठ नागरिक दीर्घकालिक (क्रॉनिक) बीमारियों से पीड़ित हैं, जिससे घर-आधारित स्वास्थ्य सेवा की माँग तेज़ी से बढ़ रही है।
- स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी: टेलीहेल्थ, रिमोट मॉनिटरिंग और पहनने योग्य उपकरण (फॉल डिटेक्टर, जीपीएस ट्रैकर, आपातकालीन अलर्ट) बुजुर्गों की देखभाल में बदलाव ला रहे हैं।
- केवल वैश्विक रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग बाज़ार के ही 12.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate- CAGR) से बढ़ने का अनुमान है, और यह वर्ष 2030 तक ₹56.94 बिलियन तक पहुँच सकता है।
- आयुष आधारित सेवाएँ: आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के प्रति प्राथमिकता बढ़ रही है, विशेष रूप से रोकथाम संबंधी देखभाल के लिये, क्योंकि इनके दुष्प्रभाव न्यूनतम होते हैं।
- समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए, यह क्षेत्र भविष्य में मज़बूत विकास क्षमता रखता है।
- सक्रिय वृद्धावस्था (Active Aging): भारत अब सक्रिय वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहा है, जहाँ वरिष्ठ नागरिक पहले से अधिक स्वस्थ, स्वतंत्र, और आश्रित नहीं, बल्कि योगदानकर्त्ता के रूप में देखे जा रहे हैं। 45 से 64 वर्ष की आयु वर्ग के पेशेवर आज भारत के सबसे संपन्न वर्ग में आते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वरिष्ठ नागरिक अब एक महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता वर्ग बन चुके हैं।
भारत की सिल्वर इकॉनमी में चुनौतियाँ क्या हैं?
- स्वास्थ्य देखभाल में अंतराल: सीमित वृद्ध रोगी देखभाल सुविधाएँ, उच्च व्यक्तिगत व्यय और कम बीमा कवरेज (केवल लगभग 18% भारतीय वरिष्ठ नागरिक बीमित हैं) किफायती स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को सीमित करते हैं।
- वित्तीय असुरक्षा: बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों के पास पेंशन या बचत नहीं है, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में, जिससे वे परिवार के समर्थन पर निर्भर रह जाते हैं।
- डिजिटल विभाजन: कम डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच वरिष्ठ नागरिकों को टेलीमेडिसिन, ई-कॉमर्स या डिजिटल वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने से रोकती है।
- सामाजिक अलगाव: संयुक्त परिवार प्रणाली का टूटना, शहरीकरण तथा बदलती पारिवारिक संरचनाएँ वरिष्ठ नागरिकों में अकेलेपन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाती हैं।
- नीति और बुनियादी अवसंरचना में अंतराल: आयु-मैत्रीपूर्ण अवसंरचना (आवास, परिवहन, सार्वजनिक स्थान) की अनुपस्थिति और वरिष्ठ देखभाल के लिये लक्षित नीतियों की कमी विकास को धीमा कर देती है।
- कार्यबल में बाधाएँ: सक्रिय उम्र बढ़ने की क्षमता के बावजूद, आयु आधारित रूढ़िवाद और अनुकूल कार्य मॉडल की कमी वरिष्ठ नागरिकों के लिये रोज़गार के अवसरों को सीमित करती है।
- जागरूकता और पहुँच: स्वास्थ्य बीमा, आयुष अभ्यास और सरकारी योजनाओं के बारे में सीमित जागरूकता वरिष्ठ नागरिकों को उपलब्ध सहायता प्रणालियों तक पहुँचने से रोकती है।
भारत की सिल्वर इकॉनमी को सुदृढ़ करने हेतु किन सुधारों की आवश्यकता है?
- स्वास्थ्य-केंद्रित सुधार: वृद्ध रोगी देखभाल सेवाओं का विस्तार करें, जिसमें रोकथाम, संवर्धन, उपचार और पुनर्वास पर ध्यान दिया जाएँ। वरिष्ठ नागरिकों तथा देखभालकर्त्ताओं के बीच स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देना ताकि स्वयं-देखभाल और समय पर हस्तक्षेप को प्रोत्साहन मिले।
- वृद्धों के समग्र स्वास्थ्य कवरेज के लिये वरिष्ठ देखभाल को आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) में एकीकृत करना।
- वित्तीय सुरक्षा सुधार: आयु-विशिष्ट बीमा उत्पाद तैयार करें ताकि व्यक्तिगत व्यय को कम किया जा सके।
- विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिये अटल पेंशन योजना (APY) के तहत पेंशन कवरेज का विस्तार करना।
- वृद्धों की आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखने के लिये SACRED पोर्टल के तहत पुन: कौशल विकास और अनुकूल रोज़गार अवसरों को बढ़ावा देना।
- सामाजिक समावेशन और समर्थन: अकेलापन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिये सामाजिक सहभागिता तथा सहकर्मी-समर्थन नेटवर्क को बढ़ावा देना।
- समुदायों को वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं, गरिमा और संवेदनशीलताओं के प्रति संवेदनशील बनाना।
- वृद्ध-मैत्रीपूर्ण अवसंरचना और आवास: आयु-अनुकूल सार्वजनिक स्थान, आवास और परिवहन प्रणाली का विकास करना।
- डिजिटल समावेशन सुधार: विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को लक्षित करके डिजिटल साक्षरता अभियान शुरू करना। स्वास्थ्य, वित्त और सामाजिक सेवाओं के लिये उपयोगकर्त्ता-अनुकूल तकनीकी प्लेटफॉर्म प्रदान करना।
- आर्थिक और बाज़ार सुधार: वरिष्ठ देखभाल अवसंरचना और सेवाओं के विकास के लिये SAGE प्रोग्राम के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- लक्षित फंडिंग और इनक्यूबेशन समर्थन के माध्यम से सिल्वर इकॉनमी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देना।
- वरिष्ठ नागरिकों को मुख्य प्रवाह की आर्थिक गतिविधियों में शामिल करना, चाहे वे उपभोक्ता के रूप में हों या योगदानकर्त्ता के रूप में।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. सिल्वर इकॉनमी भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है। इस संभावनाओं को विकसित करने वाले कारकों और इसे साकार करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2008)
- ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के 60 वर्ष अथवा उससे अधिक आयु के सभी नागरिक इस योजना के पात्र हैं।
- इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता प्रति लाभार्थी 300 प्रति माह की दर से है। योजना के तहत राज्यों से समतुल्य राशि देने का आग्रह किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
मेन्स:
प्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरूकता के न होने और नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण इतना प्रभावी नहीं होता है। (2019)