शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2022 | 17 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

शंघाई सहयोग संगठन (SCO), अफगानिस्तान, रूस, लचीली आपूर्ति शृंखला, बाजरे का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष, पारंपरिक दवाओं के लिये वैश्विक केंद्र।

मेन्स के लिये:

भारत और शंघाई सहयोग संगठन (SCO)।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2022 उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया गया।

  • समरकंद घोषणा पर सदस्य राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।
  • भारत ने वर्ष 2023 के लिये SCO की अध्यक्षता संँभाली।

शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएंँ:

  • समरकंद घोषणा ने "बातचीत और परामर्श के माध्यम से देशों के बीच मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये प्रतिबद्धता" की वकालत की।
  • संप्रभुता, स्वतंत्रता, राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता, समानता, पारस्परिक लाभ, आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप की बात की गई और इस बात पर ज़ोर दिया गया कि बल के उपयोग की धमकी के लिये पारस्परिक सम्मान के सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सतत विकास के आधार हैं।
  • सदस्य देश आतंकवादियों, अलगाववादी और चरमपंथी संगठनों की एक एकीकृत सूची बनाने के लिये सामान्य सिद्धांतों तथा दृष्टिकोणों को विकसित करने की योजना बना रहे हैं जिनकी गतिविधियांँ SCO सदस्य राज्यों के क्षेत्रों में प्रतिबंधित हैं।
  • रूस भी अपनी गैस के निर्यात के लिये अधिक ग्राहकों की तलाश कर रहा है क्योंकि पश्चिमी देश इस पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं।
  • रूस ने सुझाव दिया कि संगठन को अपनी बड़ी एथलेटिक प्रतियोगिता आयोजित करने के बारे में सोचना चाहिये।
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य:
    • संपर्क: भारत ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों से एक-दूसरे को पारगमन का पूरा अधिकार देने का आग्रह किया, क्योंकि इससे संपर्क बढ़ेगा और क्षेत्र में विश्वसनीय एवं लचीली आपूर्ति शृंखला स्थापित करने में मदद मिलेगी।
    • खाद्य सुरक्षा: पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रही है, भारत ने बाजरा को बढ़ावा देने तथा खाद्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को हल करने की पहल पर ज़ोर दिया।
      • इस संदर्भ में भारत बाजरा को लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि SCO 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में चिह्नित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
    • पारंपरिक चिकित्सा पर कार्य समूह: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अप्रैल 2022 में गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा के लिये अपना वैश्विक केंद्र खोल
      • WHO द्वारा स्थापित पारंपरिक चिकित्सा के लिये यह पहला और एकमात्र विश्वव्यापी केंद्र था।
    • पर्यटन: लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत तथा SCO सदस्य राज्यों की पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने के लिये वाराणसी को 2022-2023 के लिये SCO पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया था।
      • इसके अलावा यह भारत और SCO सदस्य देशों के बीच पर्यटन, सांस्कृतिक व मानवीय आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
    • यह SCO के सदस्य देशों, विशेष रूप से मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ भारत के प्राचीन सभ्यतागत संबंधों को भी रेखांकित करता है।
      • इस प्रमुख सांस्कृतिक आउटरीच कार्यक्रम के ढांँचे के तहत, 2022-23 के दौरान वाराणसी में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा

शंघाई सहयोग संगठन (SCO):

  • परिचय:
    • यह एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसे वर्ष 2001 में बनाया गया था।
    • SCO चार्टर वर्ष 2002 में हस्ताक्षरित किया गया था और वर्ष 2003 में लागू हुआ।
    • यह एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता बनाए रखना है।
    • इसे उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है, यह नौ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है तथा सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
  • आधिकारिक भाषाएँ:
    • रूसी और चीनी।
  • स्थायी निकाय:
  • अध्यक्षता:
    • अध्यक्षता एक वर्ष पश्चात् सदस्य देशों द्वारा रोटेशन के माध्यम से की जाती है।
  • उत्पत्ति:
    • वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले, कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
    • शंघाई फाइव (1996) सीमाओं के सीमांकन और विसैन्यीकरण वार्त्ता की एक शृंखला से उभरा, जिसे चार पूर्व सोवियत गणराज्यों ने चीन के साथ सीमाओं पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये आयोजित किया था।
    • वर्ष 2001 में संगठन में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर SCO कर दिया गया।
    • भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने।
    • वर्तमान सदस्य: कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान।
    • ईरान 2023 में SCO का स्थायी सदस्य बनने के लिये तैयार है।
      • भारत को वर्ष 2005 में SCO में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और इसने आमतौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस