भारत में मेंढक की सात नई प्रजातियों की खोज | 28 Feb 2017

सन्दर्भ 

भारतीय शोधकर्ताओं ने भारत में केरल और तमिलनाडु के जंगलों में चार नए, बेहद छोटे आकार के मेंढक खोजे हैं | पश्चिमी घाट के जंगलों में इनके अलावा तीन बड़ी प्रजातियों के मेंढक भी मिले हैं | इस तरह रात को पाए जाने वाले इन नए मेंढकों की सात नई प्रजातियों की खोज की गई है जिनमें से चार विश्व की सबसे छोटी प्रजातियों में से हैं| 

प्रमुख बिंदु 

  • कई वर्षों की खोज के बाद भारतीय शोधकर्ताओं को ये सात नई प्रजातियाँ मिली हैं |दुनिया के सबसे छोटे मेढकों की श्रेणी में आने वाले ये मेढक जमीन पर रहते हैं और रात में कीट-पतंगों जैसी आवाजें निकालते हैं| 
  • ये नन्हें मेंढक इतने छोटे हैं कि सिक्के या अंगूठे के नाखून पर भी बैठ सकते हैं|
  • रात में पाए जाने वाले मेढकों का समूह निक्टीबाट्रेचस (Nyctibatrachus genus -Night frogs) नाम से जाना जाता है| 
  • इस समूह में पहले से 28 मान्यता प्राप्त प्रजातियाँ  हैं | जिनका आकार 18 मिमी से भी कम है |
  • भारत के पश्चिमी घाटों पर पाया जाने वाला यह समूह 7-8 करोड़ साल पुरानी प्रजाति का माना जा रहा है|
  • इनमें से अधिकांश नए मेढक मानव बस्ती से सटे सुरक्षित इलाकों में रहते है तो कुछ घने जंगलों और दलदली इलाकों में भी पाए गए हैं|
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसडी बीजू शोध के नेतृत्वकर्ता हैं उन्होंने अब तक भारत में उभयचरों की 80 से अधिक नए नस्लों की खोज की है|
  • ये नन्हें मेढक इतनी अधिक तादाद में मिले हैं जिससे इस बात पर आश्चर्य किया जा रहा है कि अब तक इन पर पर्यावरणविदों का ध्यान कैसे नहीं गया? 
  • संभवतः आकार में बहुत छोटे होने, एकांतप्रिय और कीटों की तरह आवाज करने के कारण शोधकर्ता इन्हें अब तक नज़रअंदाज करते आ रहे थे|

विश्व के सबसे छोटे मेंढक

  • विजयन नाईट फ्रॉग(Nyctibatrachus pulivijayani)(13.6 mm) को पश्चिमी घाट में अगस्त्मलाई पहाड़ियों में पाया गया था| यह अंगूठे की अंगुली पर आराम से बैठ सकता है|
  • द ब्राज़ील पैरेलल (आकार-13.5 mm)
  • मनालर नाईट फ्रॉग (Nyctibatrachus manalari-13.1mm) को दक्षिण के स्थलों के चाय बागानों से संलग्न खंडित वन भागों में पाया गया था| 
  • सबरीमाला नाईट फ्रॉग ( Nyctibatrachus sabarimalai-12.3mm) केरल में सबरीमाला तीर्थाटन केंद्र के आस-पास के स्थलों में पाया गया था |
  • रोबिन्मूर नाईट फ्रॉग (Nyctibatrachus robinmoorei) एक पाँच रूपए के सिक्के पर बैठ सकता है | यह सिक्के के 24 मिलीमीटर व्यास के लगभग आधे 12.2 mm आकार का होता है|
  • मेढकों की सभी प्रजातियों में सबसे छोटी प्रजाति (आकार-7.7 mm) 
  • सबसे छोटा मेढक एक पैसे के सिक्के से भी छोटे आकार का है| इसकी खोज क्रिस्टोफर ऑस्टिन द्वारा वर्ष 2012 में पापुआ न्यू गिनी में की गई थी| यह मेढक इतना छोटा है कि ऑस्टिन को इसके नजदीकी से लिए गये चित्रों को भी बड़ा करना पड़ा था| 
  • ब्राज़ील के अटलांटिक वनों में भी भारत में पाए जाने वाले मेढकों के आकार के मेढक मिलते हैं | इनमें से ब्राज़ील के गोल्डन फ्रॉग को वर्ष 2009 में खोजा गया था|

महत्त्व 

  • मेढकों की यह जो नई प्रजातियाँ मिली हैं उनका वैश्विक रूप से भी काफी महत्व है | भारत के पश्चिमी तट के समानांतर चलने वाली पर्वत श्रृंखलाओं में सैंकड़ों की तादाद में ऐसे दुर्लभ प्रजाति के पौधों और जन्तुओं की भरमार है  लेकिन इनका जीवन खतरे में है| 
  • पश्चिमी घाट पर पाए जाने वाले मेढकों में से एक तिहाई, यानी लगभग 32 फीसदी से अधिक मेढक पहले से खतरे में हैं| हाल ही में खोजी गई इन सात प्रजातियों में से पांच पर गंभीर खतरा है| उन्हें तुरंत संरक्षण देने की आवश्यकता है| 
  • वैश्विक उभयचर सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2006 से 2015 के मध्य मेढकों की खोज के कुल 1,581 मुख्य स्थल हैं इनमे से 182  ब्राज़ील के अटलांटिक वन, 159  पश्चिमी घाट-श्री लंका, 159   इंडो-बर्मा, 1,081 अन्य स्थानों पर अवस्थित हैं|
  • ध्यातव्य है कि इस इलाके में उभयचरों की खास प्रजातियाँ  मौजूद है, जो जैविक रूप से काफी विविधतापूर्ण हैं| किन्तु, इस क्षेत्र में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के चलते इन प्रजातियों पर खतरा बढ़ता जा रहा है| इन नई प्रजातियों की खोज होने के बाद अब इस इलाके में उभयचरों को संरक्षण देने में प्राथमिकताएँ तय करने में सहायता मिलने की उम्मीद की जा रही है|