गुप्त मतदान प्रणाली | 22 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये

गुप्त मतदान प्रणाली

मेन्स के लिये

गुप्त मतदान प्रणाली को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी, इस प्रणाली का महत्त्व और इससे संबंधित समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि गुप्त मतदान का सिद्धांत (Principle of Secret Ballot) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की आधारशिला है।

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी भी लोकतंत्र में गुप्त मतदान प्रणाली यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि मतदाता का चुनाव पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो।

पृष्ठभूमि 

  • सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक निर्णय के बाद आया है, जिसमें 25 अक्तूबर, 2018 को प्रयागराज ज़िला पंचायत की बैठक के निर्णय को रद्द कर दिया था, जिसमें पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया था।
    •  इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध हुए मतदान के दौरान निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे मतदान की गोपनीयता भंग हुई थी।
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपनी जाँच में पाया था कि पंचायत के कुछ सदस्यों ने मतदान की गोपनीयता के नियम का उल्लंघन किया था। 

उच्च न्यायालय के विरुद्ध याचिकाकर्त्ताओं का तर्क

  • सर्वोच्च न्यायालय में अपीलकर्त्ताओं ने तर्क दिया था कि मतपत्रों की गोपनीयता का सिद्धांत एक पूर्ण सिद्धांत नहीं है और इस विशेषाधिकार की स्वैच्छिक छूट अनुज्ञेय है।
  • याचिकाकर्त्ताओं ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 94 का उल्लेख करते हुए कहा कि मतदाता स्वैच्छिक रूप से मतपत्र की गोपनीयता के विशेषाधिकार को छोड़ सकता है, इस प्रकार मतदाता को इस सिद्धांत का पालन करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • मतपत्रों की गोपनीयता का सिद्धांत संवैधानिक लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण शर्त है, जो कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के उद्देश्यों की प्राप्ति में काफी लाभदायक है।
  • न्यायालय के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 94 मतदाता के पक्ष में एक विशेषाधिकार का प्रावधान करती है, जिसके तहत कोई भी उसे यह खुलासा करने के लिये मज़बूर नहीं कर सकता है कि उसने किसके पक्ष में मतदान किया था, किंतु तब यह विशेषाधिकार समाप्त हो जाता है जब मतदाता विशेषाधिकार का प्रयोग न करने का फैसला करता है और स्वयं ही इस बात का खुलासा करता है कि उसने किसके पक्ष में मतदान किया है।

गुप्त मतदान प्रणाली

  • गुप्त मतदान प्रणाली का अभिप्राय मतदान की उस विधि से होता है जो यह सुनिश्चित करती है कि सभी मत गुप्त रूप से डाले जाएँ, ताकि मतदाता किसी अन्य व्यक्ति से प्रभावित न हो और मतदान के समय किसी को भी यह ज्ञात न हो कि विशिष्ट मतदाता ने किसे वोट दिया है।
  • सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि गुप्त मतदान वह मतदान पद्धति है जिसमें मतदाता की पसंद गोपनीय होती है।
  • भारत में गुप्त मतदान की शुरुआत वर्ष 1951 में पेपर बैलेट के साथ हुई थी।

गुप्त मतदान प्रणाली का महत्त्व

  • भारतीय राजनीतिक प्रणाली, जिसमें चुनाव अभियानों के दौरान धन और ‘बाहुबल’ का प्रयोग एक आम बात हो गई है, में गुप्त मतदान प्रणाली उन लोगों के लिये एक मात्र रास्ता होता है, जो स्वतंत्र रूप से बिना किसी हस्तक्षेप के अपने मताधिकार का प्रयोग करने के इच्छुक हैं।
  • गुप्त मतदान धन और बल की शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है, ध्यातव्य है कि कई बार राजनेताओं द्वारा एक विशिष्ट व्यक्ति के पक्ष में मतदान करने के लिये मतदाताओं को मज़बूर किया जाता है और उन्हें धमकी दी जाती है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्हें भविष्य में किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होगा।
  • इस प्रकार मतपत्र की गोपनीयता सुनिश्चित करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक मतदाता किसी अन्य व्यक्ति से प्रभावित होकर अपने मताधिकार का प्रयोग न करे।

भारत में गुप्त मतदान प्रणाली से संबंधित समस्याएँ

  • चुनाव संचालन नियम-1961 के नियम 59A में यह निर्धारित किया गया था मतगणना शुरू होने से पूर्व विभिन्न बूथों से आए पेपर मतपत्र मतगणना केंद्रों पर बड़े पैमाने पर एक साथ मिला दिये जाएंगे, जिससे किसी एक विशिष्ट बूथ से संबंधी सूचना प्राप्त करना संभव नहीं था।
  • किंतु वर्ष 2008 से EVM की शुरुआत के साथ ही इस तरह का भौतिक मिश्रण संभव नहीं था अतः बूथ-स्तरीय डेटा प्राप्त करना अपेक्षाकृत काफी आसान हो गया।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर चुनाव में ‘टोटलाइज़र’ (Totaliser) मशीन के उपयोग का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था जिससे मतपत्र की गोपनीयता बनी रहती, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने बिना सुनवाई किये ही इस याचिका को खारिज कर दिया।
    • ध्यातव्य है कि ‘टोटलाइज़र’ (Totaliser) मशीन मतगणना के समय एक निर्वाचन क्षेत्र के सभी EVMs से प्राप्त मतों को एक साथ मिला देती है।

स्रोत: द हिंदू