90 प्रजातियों को मारने वाले घातक कवक के संबंध में चेतावनी | 06 Apr 2019

चर्चा में क्यों?

चिली में आयोजित वर्ल्ड आर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ एक्वेटिक कॉन्फ्रेंस (World Organization for Animal Health Aquatic Conference) में एक अमेरिकी जीव विज्ञानी ने चेतावनी दी है कि उभयचरों को प्रभावित करने वाली एक घातक बीमारी वैश्विक महामारी के रूप में सामने आई है जो पहले ही 90 प्रजातियों का सफाया कर चुकी है।

प्रमुख बिंदु

  • Chytridiomycosis नामक यह रोग Batrachochytrium dendrobatidis नामक एक कवक के कारण होता है जो मेंढकों, उभयचर मेढ़कों (Toads) तथा अन्य उभयचरों की त्वचा पर हमला करता है।
  • ये जीव साँस लेने के लिये त्वचा का उपयोग करते हैं तथा अपने शरीर के जल स्तर को नियंत्रित करते हैं, इस रोग की वज़ह से होने वाली क्षति अंतत: हृदयाघात और मृत्यु का कारण बनती है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा वर्णित यह पहला वैश्विक जंगली रोग’ (The first global wild disease) अभी तक 60 से अधिक देशों में फ़ैल चुका है और एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है।
  • इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी के कारण पिछले पाँच वर्षों में पहले ही लगभग 90 प्रजातियाँ गायब हो चुकी हैं और 500 से अधिक प्रजातियाँ प्रभावित हैं।
  • कवक का तेज़ी से वैश्विक प्रसार का कारण पशु व्यापार नियमों और हवाई अड्डे की निगरानी में कमी के साथ-साथ बिना परीक्षण के वन्यजीवों का आयात करने की अनुमति देना है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, इस समस्या को हल करने के लिये विनियमन (Regulation) पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हालाँकि वैश्वीकरण लोगों के लिये एक बेहतर स्थिति है लेकिन इसका जानवरों पर बुरा प्रभाव भी दिखाई देता है।
  • वर्तमान में यह बीमारी एशिया के साथ व्यापार करने वाले लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में व्यापक रूप से फैल रही है जहाँ इस कवक (fungus) की उत्पत्ति तथा प्रसार हुआ।
  • वैज्ञानिकों का यह भी मानना ​​है कि फंगस के आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutation) ने इसे और खतरनाक बना दिया होगा।
  • जलीय पर्यावरणीय गुणवत्ता को बनाए रखने में उभयचर प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन एवं phys.org