राज्यों के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता योजना | 14 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

तमिलनाडु को छोड़कर सभी राज्यों नेराज्यों के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता योजना” का लाभ उठाया है।

प्रमुख बिंदु:

  • पृष्ठभूमि: केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज' के तहत घोषणा की थी कि वह राज्यों के लिये 50 वर्षों हेतु 12,000 करोड़ रुपए के विशेष ब्याज मुक्त ऋण की पेशकश करेगी (विशेष रूप से पूंजीगत व्यय के लिये)।
  • उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों के पूंजीगत व्यय को बढ़ाना है, जो COVID-19 महामारी के कारण कर राजस्व में हुई कमी की वजह से इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
  • तीन भाग:
    • भाग–I में उत्तर पूर्वी क्षेत्र शामिल हैं (निर्धारित राशि 200 करोड़ रुपए)।
    • भाग-II अन्य सभी राज्यों के लिये (निर्धारित राशि 7500 करोड़ रुपए)।
    • भाग-III  के तहत योजना का उद्देश्य राज्यों में विभिन्न नागरिक केंद्रित सुधारों को आगे बढ़ाना है।
      • भाग-III के तहत  2000 करोड़ रुपए निर्धारित किये गए हैं।
      • यह राशि केवल उन राज्यों के लिये उपलब्ध होगी जो वित्त मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट चार अतिरिक्त सुधारों में से कम-से-कम तीन सुधारों को कार्यान्वित करते हैं।
      • ये चार सुधार हैं : एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस, शहरी स्थानीय निकाय / उपयोगिता सुधार और बिजली क्षेत्र में सुधार।
  • वर्तमान स्थिति:
    • वित्त मंत्रालय ने 27 राज्यों के पूंजीगत व्यय प्रस्तावों के तहत 9,879.61 करोड़ रुपए अनुमोदित किये हैं।
      • इसमें से पहली किश्त के रूप में 4,939.81 करोड़  रुपए जारी किये गए हैं।
    • स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जल आपूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे विविध क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।

पूंजीगत व्यय

  • परिभाषा:
    • पूंजीगत व्यय मशीनरी, उपकरण, भवन, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा आदि के विकास पर सरकार द्वारा खर्च किया गया धन है। 
    • पूंजीगत व्यय पूँजी निवेश के रूप में गैर- आवर्ती प्रकार के व्यय होते हैं। 
    • इस प्रकार के व्यय में अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता में सुधार की उम्मीद होती है।
    • पूंजीगत व्यय में निम्न मदें शामिल हैं- निवेश, ऋण भुगतान, ऋण वितरण, शेयरों की खरीद, भूमि, भवन, मशीनों और उपकरणों पर व्यय आदि।
  • पूंजीगत व्यय के लाभ:
    • पूंजीगत व्यय जो कि परिसंपत्तियों के निर्माण को बढ़ावा देता है, प्रकृति में दीर्घकालिक होते हैं, इसके अलावा उत्पादन हेतु सुविधाओं में सुधार कर और परिचालन दक्षता को बढ़ाकर यह  कई वर्षों तक राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता प्रदान करता है।
    • यह श्रम भागीदारी भी बढ़ाता है, अर्थव्यवस्था को संतुलित करता है और भविष्य में अधिक उत्पादन करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • राजस्व व्यय से भिन्नता:
    • राजस्व व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा एक वित्तीय वर्ष में किये जाने वाले उस अनुमानित व्यय से है जिसके फलस्वरूप न तो परिसंपत्तियों का निर्माण हो और न ही देयताओं में कमी आए।
    • राजस्व व्यय आवर्ती प्रकार के होते हैं जो साल-दर साल किये जाते हैं। उदाहरणतः ब्याज अदायगी, सब्सिडी, राज्यों को अनुदान, सरकार द्वारा दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन, वेतन, छात्रवृति इत्यादि।

स्रोत: PIB