SAT का आदेश : रिलायंस के NW18 अधिग्रहण की फिर से हो जाँच | 23 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (The Securities Appellate Tribunal -SAT) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) को निर्देश दिया है कि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (RIL) द्वारा नेटवर्क 18  मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स (NW 18) और टीवी 18  ब्रॉडकास्ट (TV18) को लेकर हासिल किये गए नियंत्रण की एक बार फिर से जाँच करे और यह सुनिश्चित करे कि क्या इन कंपनियों पर नियंत्रण हासिल करने के लिये रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा लिस्टिंग अनुबंध (Listing Agreement) का उल्लंघन किया गया है।

क्या थी शिकायत?

NW 18  के दो छोटे निवेशकों ने न्यायाधिकरण से की गई शिकायत में दावा किया था कि RIL यह स्पष्ट करने में असफल रहा था कि उसने अपने विशेष लाभ के लिये स्थापित  ‘इंडिपेंडेंट मीडिया ट्रस्ट’ (Independent Media Trust -IMT) के माध्यम से NW 18 और TV 18 पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण हासिल किया है।

पृष्ठभूमि

जनवरी 2017 में सेबी ने यह कहते हुए इन निवेशकों की शिकायत को समाप्त कर दिया था कि यह ट्रस्ट शेयर बाज़ार की सूची में सम्मिलित कंपनी का ट्रस्ट नहीं है इसलिये लिस्टिंग अनुबंध के खंड 36 के अंतर्गत किसी भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं थी। सेबी के इस निर्णय के बाद निवेशकों ने अपना रुख SAT की ओर किया था।

क्या कहता है लिस्टिंग अनुबंध का खंड 36?

लिस्टिंग अनुबंध के खंड 36  के अंतर्गत यह अनिवार्य है कि “जब एक सूचीबद्ध कंपनी किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी पर ट्रस्ट या किसी अन्य इकाई के माध्यम से अप्रत्यक्ष नियंत्रण प्राप्त करती है, तो ऐसे अधिग्रहण को स्टॉक एक्सचेंज के सामने स्पष्ट किया जाना चाहिये।"

SAT द्वारा पूर्व में दिये गए निर्देश

यह पहली बार नहीं है कि न्यायाधिकरण ने पूंजी बाज़ार के निगरानीकर्त्ता को इस मामले की फिर से जाँच करने के लिये आदेश दिया है।

  • अप्रैल 2016 में एसएटी ने सेबी को यह पता लगाने के लिये कहा कि आरआईएल को टेकओवर विनियमों के पालन के बिना दोनों कंपनियों का नियंत्रण मिला है या नहीं। 
  • फरवरी 2012 में IMT, जिसकी एकमात्र लाभ प्राप्तकर्त्ता रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड है, ने राघव बहल एंड बहल ग्रुप की छः नियंत्रक कंपनियों के साथ निवेश समझौता किया था। 
  • यह निवेश शून्य कूपन, वैकल्पिक और पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर (Zero Coupon, Optionally & Fully Convertible Debentures -ZOCDs) जारी करके किया गया था।

इस संबंध में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग का आदेश

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने मई 2012 में एक आदेश पारित किया था जिसमें विशेष रूप से यह माना गया था कि IMT ने ZOCDs की सदस्यता प्राप्त कर शेयर धारण करने वाली कंपनियों पर नियंत्रण हासिल किया था और इसके परिणामस्वरूप NW18 और TV18 पर इसका नियंत्रण अप्रत्यक्ष था।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)

  • यह एक बाज़ार नियामक है। 
  • यह भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। 
  • इसकी स्थापना सेबी अधिनियम, 1992 के तहत 12 अप्रैल, 1992 में की गई थी।  इसका मुख्यालय मुंबई में है। 
  • नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं। 

सेबी के प्रमुख कार्य 

  • प्रतिभूति बाज़ार का नियमन करना तथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना। 
  • प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना। 
  • प्रतिभूति बाज़ार के विकास का उन्नयन करना।

प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT)

  • प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण, भारत अधिनियम प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, 1992 की धारा 15 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है जो न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और अधिकारों का प्रयोग करने के लिये भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड या अधिनियम के तहत अधिनिर्णीत अधिकारी द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई और उसका निपटान करता है।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (competition Commission of India-CCI) भारत की एक विनियामक संस्था है।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत इस अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन एवं प्रवर्तन के लिये की गई थी और यह मार्च, 2009 में विधिवत गठित हुआ। 

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के लक्ष्य 

  • प्रतिस्पर्द्धा पर विपरीत प्रभाव डालने वाले व्यवहारों को रोकना।
  • बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा का संवर्द्धन और उसे बनाए रखना।
  • उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा।
  • व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।