‘संकल्प से सिद्धि’ मुहिम | 07 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

जनजातीय मामले मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के तहत भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ- ट्राइफेड (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED) ने संकल्प से सिद्धि- गाँव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम (Sankalp se Siddhi - Village and Digital Connect Drive) लॉन्च की है।

  • इस मुहिम/अभियान/ड्राइव का मुख्य उद्देश्य इन गाँवों में वन धन विकास केंद्रों (VDVKs) को सक्रिय बनाना है।

प्रमुख बिंदु

संकल्प से सिद्धि मुहिम के विषय में:

  • 100 दिनों (1 अप्रैल, 2021 से आरंभ) की इस मुहिम से 150 टीमें (ट्राइफेड एवं राज्य कार्यान्वयनकारी एजेंसियों/मेंटरिंग एजेंसियों/पाटनर्स से प्रत्येक क्षेत्र में 10) जुड़ेंगी। प्रत्येक टीम द्वारा 10 गाँवों का दौरा किया जाएगा। 
    • इस प्रकार अगले 100 दिनों में प्रत्येक क्षेत्र में 100 गाँवों तथा देश भर में 1500 गाँवों को कवर किया जाएगा। 
  • दौरा करने वाली टीमें स्थानों की भी पहचान करेंगी तथा वृहद् उद्यमों के रुप में ट्राइफूड (TRIFOOD) एवं स्फूर्ति (SFURTI) इकाइयों की क्लस्टरिंग हेतु संभावित वन धन विकास केंद्रों का चयन करेंगी। 
  • इस पहल के परिणामस्वरूप 1500 गाँवों में वन धन विकास केंद्रों के सक्रिय हो जाने के बाद अगले 12 महीनों के दौरान 200 करोड़ रुपए की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है।
  • टीमों द्वारा जनजातीय कारीगरों तथा अन्य समूहों की भी पहचान की जाएगी और उन्हें आपूर्तिकर्त्ता के रूप में पैनल में शामिल किया जाएगा, इसके परिणामस्वरूप ट्राइब्स इंडिया नेटवर्क (भौतिक विक्रय केंद्रों एवं tribesIndia.com दोनों) के ज़रिये बड़े बाज़ारों तक उनकी पहुँच सुलभ हो सकेगी।

TRIFED की अन्य सहभागिताएँ:

  • गाँव एवं डिजिटल कनेक्ट पहल:  
    • इस पहल की शुरुआत यह सुनिश्चित करने के लिये की गई थी कि मौजूदा योजनाएँ और पहल आदिवासियों तक पहुँचती हैं अथवा नहीं। इसके तहत देश भर के क्षेत्रीय अधिकारियों ने उल्लेखनीय जनजातीय आबादी वाले चिह्नित गाँवों का दौरा किया तथा विभिन्न कार्यक्रमों एवं पहलों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण किया।
  • आदिवासियों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करने हेतु योजनाएँ:
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के ज़रिये गौण वन उपज (Minor Forest Produce- MFP) की मार्केटिंग हेतु तंत्र तथा MFP के लिये मूल्य शृंखला का विकास जैसी योजनाएँ वनोपज संग्रहकर्त्ताओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराती हैं।
    • ये योजनाएँ जनजातियों के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याएँ जैसे- उपज के शीघ्र नष्ट होने की प्रकृति, धारण क्षमता की कमी, विपणन अवसंरचना का अभाव, बिचौलियों द्वारा शोषण आदि का समाधान करते हुए संसाधन आधार की निरंतरता सुनिश्चित करती हैं।
  • टेक फॉर ट्राइबल्स:
    • टेक फॉर ट्राइबल्स अर्थात् आदिवासियों हेतु तकनीक कार्यक्रम का उद्देश्य प्रधानमंत्री वन धन योजना (Pradhan Mantri Van Dhan Yojana- PMVDY) के तहत नामांकित वनोपज संग्रहकर्त्ताओं के क्षमता निर्माण एवं उद्यमिता कौशल संवर्द्धन के माध्यम से 5 करोड़ जनजातीय उद्यमियों को लाभ पहुँचाना है।
      • वन धन विकास योजना जनजातीय मामले मंत्रालय तथा ट्राइफेड की एक पहल है। इसकी शुरुआत जनजातीय उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन के माध्यम से जनजातियों की आय में वृद्धि करने हेतु की गई है।
    • यह कार्यक्रम जनजातीय उद्यमियों को गुणवत्ता प्रमाणपत्र युक्त विपणन उत्पादों के साथ अपना व्यवसाय चलाने हेतु सक्षम और सशक्त बनाएगा जिससे उनकी सफलता की उच्च दर सुनिश्चित होगी।
  • वन धन विकास केंद्र:
    • वन धन विकास योजना के तहत ही वन धन विकास केंद्र उपलब्ध कराए गए हैं।
    • वन धन विकास केंद्रों (VDVK) का उद्देश्य आदिवासियों को कौशल उन्नयन एवं क्षमता निर्माण हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना तथा प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन सुविधाओं की स्थापना करना है।
    • यहाँ आदिवासियों को प्रशिक्षित किया जाता है और फिर उन्हें वनों से एकत्रित उत्पादों में गुणों के संवर्द्धन हेतु कार्यशील पूंजी प्रदान की जाती है।
  • ट्राइफूड (TRIFOOD) योजना: 
    • यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ट्राइफेड की एक संयुक्त पहल है। इस योजना के तहत गौण वन उपजों के गुणवत्ता संवर्द्धन हेतु प्रोत्साहन दिया जाता है।

स्रोत: पी.आई.बी.