सागरमाला परियोजना | 07 May 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सागरमाला, सागरतट समृद्धि योजना।

मेन्स के लिये:

बुनियादी ढांँचा, वृद्धि और विकास, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (NSAC) की बैठक की अध्यक्षता की।

  • NSAC बंदरगाह आधारित विकास-सागरमाला परियोजनाओं के लिये नीति-निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान करने वाला शीर्ष निकाय है तथा इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करता है। इसका गठन मई 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किया गया था।
  • बैठक में एक नई पहल 'सागरतट समृद्धि योजना' के माध्यम से तटीय समुदायों के समग्र विकास पर चर्चा की गई।

सागरतट समृद्धि योजना:

  • प्रधानमंत्री ने मार्च 2021 में "मेरीटाइम इंडिया विज़न-2030" के विमोचन के दौरान सागरमाला - सागरतट समृद्धि योजना का शुभारंभ किया।
  • पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में चुनौतियों का समाधान करने के लिये इस विस्तृत परियोजना को तैयार किया है।
  • सागरतट समृद्धि योजना ने कुल 1,049 परियोजनाओं की पहचान की है, जिनकी अनुमानित लागत 3,62,229 करोड़ रुपए है।
  • जिन चार प्रमुख क्षेत्रों में यह पहल आती है उनमें शामिल हैं:
    • तटीय अवसंरचना विकास
    • तटीय पर्यटन
    • तटीय औद्योगिक विकास
    • तटीय सामुदायिक विकास

परियोजना के बारे में:

  • परिचय:
    • सागरमाला परियोजना को वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था जिसका उद्देश्य आधुनिकीकरण, मशीनीकरण और कंप्यूटरीकरण के माध्यम से 7,516 किलोमीटर लंबी समुद्री तट रेखा के आस-पास बंदरगाहों के इर्द-गिर्द प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को बढ़ावा देना है।
    • सागरमाला परियोजना का दृष्टिकोण आयात-निर्यात (EXIM) और घरेलू व्यापार हेतु न्यूनतम बुनियादी ढांँचा निवेश के साथ रसद लागत को कम करना है।
    • सागरमाला परियोजना वर्ष 2025 तक भारत के व्यापार निर्यात को 110 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक बढ़ा सकती है, साथ ही लगभग 10 मिलियन नई नौकरियांँ (प्रत्यक्ष रोज़गार में चार मिलियन) पैदा कर सकती है।
    • मंत्रालय ने संभावित एयरलाइन ऑपरेटरों के साथ सागरमाला सीप्लेन सर्विसेज़ की महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है।

Exim

  • सागरमाला कार्यक्रम के घटक:
    • बंदरगाह आधुनिकीकरण और नए बंदरगाह विकास: मौजूदा बंदरगाहों का अवरोध और क्षमता विस्तार तथा नए ग्रीनफील्ड बंदरगाहों का विकास।
    • पोर्ट कनेक्टिविटी बढ़ाना: घरेलू जलमार्गों (अंतर्देशीय जल परिवहन और तटीय शिपिंग) सहित मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स समाधानों के माध्यम से बंदरगाहों की आंतरिक भूमि से कनेक्टिविटी को बढ़ाना, कार्गो आवाजाही की लागत और समय का अनुकूलन करना।
    • बंदरगाह संबद्ध औद्योगीकरण: EXIM और घरेलू कार्गो की लॉजिस्टिक लागत तथा समय को कम करने के लिये बंदरगाह-समीपस्थ औद्योगिक क्लस्टर और तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित करना।
    • तटीय सामुदायिक विकास: कौशल विकास और आजीविका निर्माण गतिविधियों, मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन आदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत् विकास को बढ़ावा देना।
    • तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन: सतत् और पर्यावरण के अनुकूल तटीय तथा अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से कार्गो को स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहन।

स्रोत: पी.आई.बी.