बढ़ता हुआ समुद्र जल स्तर | 06 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

शटल रडार टोपोग्राफी मिशन

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्र जल स्तर से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ (Climate Central) नामक संगठन द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्र जल स्तर से भविष्य में तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 36 मिलियन व्यक्तियों के प्रभावित होने की आशंका है।

मुख्य बिंदु:

  • इस नए शोध के अनुसार, भारत में तटीय क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति जो कि पहले के अनुमानों से लगभग सात गुना अधिक हैं, बढ़ते हुए समुद्र स्तर के कारण खतरे की चपेट में हैं।
  • इस शोध के अनुसार, भारत में लगभग 36 मिलियन लोग तटीय क्षेत्रों में रहते हैं, ये तटीय क्षेत्र वर्ष 2050 तक वार्षिक बाढ़ तट रेखा से नीचे आ जाएंगे, इससे इन क्षेत्रों में बाढ़ का जोखिम, बुनियादी ढाँचे तथा आजीविका के नुकसान सहित स्थायी विस्थापन जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं।

शोध की प्रक्रिया:

  • ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ के वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो पहले की तुलना में अधिक सटीकता के साथ समुद्र स्तर से भूमि तल की ऊँचाई (भूमि उत्थान स्तर) मापता है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया तथा विश्व के अन्य भागों में पहले किये गए भूमि उत्थान मापन में काफी त्रुटियाँ थीं।
  • इनमें से अधिकांश भूमि उत्थान के आँकड़े नासा (NASA) के शटल रडार टोपोग्राफी मिशन (Shuttle Radar Topography Mission- SRTM) के तहत उपग्रह द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि उपग्रह से प्राप्त भूमि उत्थान के आँकड़ों में पृथ्वी पर स्थित पेड़ों और इमारतों के शीर्ष को भी भूमि तल के विस्तार के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, इस प्रकार SRTM द्वारा अमेरिका के तटीय शहरों में किये गए भूमि उत्थान मापन में भूमि उत्थान स्तर को औसतन 15.5 फीट अधिक मापा गया।
  • क्लाइमेट सेंट्रल के वैज्ञानिकों द्वारा इस कमी को दूर करने के लिये विकसित उपकरण का नाम ‘कोस्टलडैम’ (CoastalDEM- Coastal Digital Elevation Model) है। यह उपकरण 51 मिलियन आँकड़ों के आधार पर कृत्रिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग प्रक्रिया का प्रयोग करता है।
  • इस उपकरण के माध्यम से भूमि उत्थान मापन प्रक्रिया में केवल 2.5 इंच से कम की त्रुटि आती है।
  • इस शोध के अनुसार, 300 मिलियन व्यक्ति में से 80 मिलियन व्यक्ति जिन्हें पहले के अनुमानों में शामिल नहीं किया गया था, तटीय क्षेत्रों में वार्षिक बाढ़ तट रेखा से नीचे रहते हैं।
  • इस सदी के अंत तक तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 200 मिलियन व्यक्तियों के घर स्थायी रूप से उच्च ज्वार रेखा से नीचे होंगे।
  • वार्षिक बाढ़ तटीय रेखा से नीचे रहने वाले 300 मिलियन व्यक्तियों में से 80% चीन, भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड में रहते हैं, इनमें से 43 मिलियन व्यक्ति केवल चीन में रहते हैं।

भारत के सुभेद्य क्षेत्र:

Mumbai

  • इस नए उपकरण की सहायता से यह पता चला है कि भारत में पश्चिमी तट रेखा पर स्थित भुज, जामनगर, सूरत, पोरबंदर, भरूच और मुंबई बढ़ते हुए समुद्र जल स्तर के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
  • पूर्वी तटीय क्षेत्र में पश्चिम बंगाल और ओडिशा की संपूर्ण तटीय सीमा तथा कलकत्ता भी विशेष रूप से संवेदनशील स्थिति में है।
  • नए मापन के अनुसार, काकीनाडा के आस-पास के क्षेत्रों को छोड़कर दक्षिणी राज्यों को खतरे से बाहर बताया गया है।
  • इस शोध के अनुसार, भारत में वर्ष 2050 तक वार्षिक बाढ़ तटीय रेखा की ऊँचाई में वृद्धि होगी जिससे भारत के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 36 मिलियन लोग प्रभावित होंगे।

शटल रडार टोपोग्राफी मिशन:

(Shuttle Radar Topography Mission- SRTM)

  • SRTM को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा 11 फरवरी, 2000 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था।
  • SRTM द्वारा पृथ्वी की लगभग 80% भूमि के स्थलाकृतिक आँकड़े एकत्रित किये गए हैं।
  • SRTM ने पहली बार भूमि उत्थान स्तर के बारे में वैश्विक आँकड़े एकत्रित किये थे।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस