बैठने का अधिकार | 08 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये

बैठने का अधिकार, राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत

मेन्स के लिये

बैठने के अधिकार का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम, 1947 में संशोधन के लिये एक विधेयक पेश किया है।

  • इस विधेयक में कर्मचारियों के लिये अनिवार्य रूप से बैठने की सुविधा प्रदान करने हेतु एक उपधारा जोड़ने की मांग की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • विधेयक की मुख्य बातें:
    • प्रस्तावित संशोधन: अधिनियम की प्रस्तावित धारा 22-A में कहा गया है कि प्रत्येक प्रतिष्ठान के परिसर में सभी कर्मचारियों के बैठने की उपयुक्त व्यवस्था होगी ताकि वे अवसर पड़ने पर बैठने का लाभ उठा सकें।
    • विधेयक की आवश्यकता: दुकानों और प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान खड़े रहने के लिये मजबूर किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
    • महत्त्व: इससे बड़े और छोटे प्रतिष्ठानों के हज़ारों कर्मचारियों, विशेष रूप से कपड़ा और आभूषण शोरूम में काम करने वालों को लाभ होगा।
  • समान विधान: कुछ वर्ष पहले केरल में कपड़ा शोरूम के कर्मचारियों ने 'बैठने के अधिकार' की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था।
    • इसने केरल सरकार को उनके लिये बैठने की व्यवस्था करने हेतु वर्ष 2018 में केरल दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (Kerala Shops and Establishments Act) में संशोधन करने के लिये प्रेरित किया।

आगे की राह

  • बैठने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा) के अनुसरण में एक नया कदम है जो राज्य को कार्यस्थल पर न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियाँ प्रदान करने हेतु प्रावधान करने के लिये प्रेरित करता है।
  • इसलिये संसद को इसका संज्ञान लेकर बैठने के अधिकार को अखिल भारतीय आधार पर कानून बनाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू