राइस फोर्टिफिकेशन | 14 Feb 2022

प्रीलिम्स के लिये:

फूड फोर्टिफिकेशन और संबंधित योजनाएंँ।

मेन्स के लिये:

फूड फोर्टिफिकेशन और उसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने राज्यसभा में सूचित किया है कि सरकार ने कुल 174.64 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2019-20 में शुरू होने वाले 3 वर्ष की अवधि के लिये "सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल का फोर्टिफिकेशन और इसके वितरण" (Fortification of Rice & its Distribution under Public Distribution System) पर केंद्र प्रायोजित पायलट योजना को मंज़ूरी प्रदान की है। 

प्रमुख बिंदु 

  • योजना के बारे में: 
    • देश के लोगों में एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2019-20 में 3 साल की अवधि के लिये इस योजना को मंज़ूरी दी।
    • इस योजना के तहत भारतीय खाद्य निगम को वर्ष 2021-2022 तक एकीकृत बाल विकास सेवा और मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत देश के सभी ज़िलों में फोर्टिफिकेशन चावल की खरीद और वितरण हेतु एक व्यापक योजना को अपनाने का आह्वान किया गया है।. 
    • देश में विशेष रूप से चिह्नित 112 आकांक्षी ज़िलों को चावल की आपूर्ति किये जाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  • योजना का उद्देश्य:
    • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से देश के 15 ज़िलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण करना, इसके तहत कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में प्रति राज्य एक ज़िले का चयन किया जाएगा।
    • फोर्टिफाइड चावल के वितरण हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चयनित ज़िलों में ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’ के लाभार्थियों को कवर करना।
    • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और ‘खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग’ के बीच क्रॉस लर्निंग व सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा।
    • विभिन्न आयु एवं लिंग समूहों में लक्षित सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को कम करने के लिये लक्षित आबादी हेतु फोर्टिफाइड चावल के प्रावधान, कवरेज और उपयोग के साथ-साथ फोर्टिफाइड चावल की खपत की दक्षता/प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।

फूड फोर्टिफिकेशन और इसकी आवश्यकता:

  • फूड फोर्टिफिकेशन:
    • फूड फोर्टिफिकेशन या फूड एनरिचमेंट का आशय चावल, दूध और नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिन्स और खनिजों (जैसे आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन A और D) को संलग्न करने की प्रक्रिया से है, ताकि उनकी पोषण सामग्री में सुधार लाया जा सके।
    • प्रसंस्करण से पहले ये पोषक तत्त्व मूल रूप से भोजन में मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  • चावल का फोर्टिफिकेशन
    • खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिये चावल का फोर्टिफिकेशन एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।
      • FSSAI के मानदंडों के अनुसार, 1 किलो फोर्टिफाइड चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
    • इसके अलावा चावल को जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3 और विटामिन बी6 के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ अकेले या संयोजन में भी मजबूत किया जा सकता है।
    • चावल को अकेले या संयोजन में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों जैसे,जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3 और विटामिन बी6 के साथ भी फोर्टिफाइड किया जा सकता है,
  • फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता
    • भारत में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर बहुत अधिक है। खाद्य मंत्रालय के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला एनीमिक है और हर तीसरा बच्चा अविकसित है।
    • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 में भारत को 116 देशों में से 101वाँ स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था।
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी या सूक्ष्म पोषक तत्त्व कुपोषण, जिसे "छिपी हुई भूख" के रूप में भी जाना जाता है, एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम है।
    • चावल भारत के प्रमुख खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका सेवन लगभग दो-तिहाई आबादी करती है। भारत में प्रति व्यक्ति चावल की खपत 6.8 किलोग्राम प्रतिमाह है। इसलिये सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ चावल को मज़बूत करना गरीबों के आहार को पूरक करने का एक विकल्प है।

फोर्टिफिकेशन से संबंधित विभिन्न पहल:

  • FSSAI विनियमन:
    • अक्तूबर 2016 में FSSAI ने खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2016 को मज़बूत करने वाली सूची जारी की जैसे-  गेहूँ का आटा और चावल (आयरन, विटामिन बी12 एवं फोलिक एसिड के साथ), दूध तथा खाद्य तेल (विटामिन ए और डी के साथ) व भारत में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के कुपोषण के उच्च बोझ को कम करने के लिये डबल फोर्टिफाइड नमक (आयोडीन और आयरन के साथ)।
  • पोषण संबंधी रणनीति:
    •  भारत की राष्ट्रीय पोषण रणनीति, 2017 ने पूरक आहार और आहार विविधीकरण के अलावा एनीमिया, विटामिन ए तथा आयोडीन की कमी को दूर करने के लिये फूड फोर्टिफिकेशन को एक हस्तक्षेप के रूप में सूचीबद्ध किया था।
  • मिल्क फोर्टिफिकेशन प्रोजेक्ट:
    • वर्ष 2017 में मिल्क फोर्टिफिकेशन प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा विश्व बैंक तथा  टाटा ट्रस्ट के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया गया था।

स्रोत: पी.आई.बी.