RIC समिट | 28 Feb 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की 16वीं बैठक (RIC Meeting) 27 फरवरी, 2019 को चीन के झेजियांग में संपन्न हुई।

  • RIC की बैठक इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि रूस, भारत और चीन ऐसे देश हैं जो अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं और दुनिया की घटनाओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

संयुक्त बयान

  • बैठक में RIC ने बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
  • यह बैठक प्रतिनिधियों को शामिल करने, इसे मजबूत बनाने तथा विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को और बढ़ाने के साथ संयुक्त राष्ट्र सहित सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के उद्देश्य से बुलाई गई ताकि यह वैश्विक चुनौतियों का जवाब दे सके।
  • शिखर सम्मेलन के दौरान RIC को बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के लिये ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन के महत्वपूर्ण प्रभावी तंत्र के रूप में स्वीकार किया गया।
  • सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रीय मंचों और संगठनों, जैसे- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-Plus), एशिया-यूरोप बैठक (ASEM), द कांफ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (CICA) तथा एशिया कोऑपरेशन डायलॉग (ACD) के महत्त्व को दोहराया गया।
  • RIC बैठक में आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की गई। इसमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (The Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया। इसमें आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों को लागू करने का भी आह्वान किया गया।
  • RIC बैठक में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने वाले, इसे पोषित करने वाले, उकसाने वाले या समर्थन करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये और उन्हें न्याय तंत्र के दायरे में लाया जाना चाहिये।
  • RIC बैठक में मादक पदार्थों की तस्करी, बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग, जैविक तथा रासायनिक हथियारों के निषेध के विरुद्ध कन्वेंशन को अपनाने का भी आह्वान किया गया।
  • RIC बैठक के दौरान अफगानिस्तान में एक अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान स्वामित्व वाली शांति और सुलह प्रक्रिया के माध्यम से शांति का आह्वान किया गया, कोरियाई प्रायद्वीप में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक परिवर्तनों का स्वागत किया गया, ईरान-परमाणु समझौते का समर्थन किया गया तथा फिलिस्तीन मुद्दे के निपटारे के लिये दो-राज्य समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया गया गया।
  • सम्मेलन में यमन, सीरिया और वेनेजुएला में उत्पन्न संकट के राजनयिक और राजनीतिक समाधान निकालने का भी आह्वान किया।

स्रोत : द हिंदू