उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार से जुड़े हैं भारत के हित | 28 Apr 2017

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि केंद्र द्वारा चार उर्वरक संयंत्रों का पुनरुद्धार किये जाने कि योजना है। इसकी कुल लागत 50,000 करोड़ रुपये होगी तथा इस प्रकार भारत उर्वरक आयातक(fertilizer importer) की तुलना में उर्वरक निर्यातक(fertilizer exporter) देश बन जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि बरुनी(बिहार), गोरखपुर(उत्तर प्रदेश), सिंदरी(झारखंड) और तालचर(ओड़िसा) में स्थापित ये संयंत्र शुरू किये जाएंगे तो उत्पादन में लगभग 75 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि होगी।इन संयंत्रों की सम्पूर्ण क्षमता 320 लाख मीट्रिक टन होगी। फलस्वरूप, उर्वरक आयातक देश के स्थान पर भारत एक उर्वरक निर्यातक देश बन जाएगा।
  • गौरतलब है कि वर्तमान में कृषि में उर्वरकों के उत्पादन में कमी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। और इन चारों संयंत्रों का निर्माण से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  • बंद पड़े हुए उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार तथा पूर्वी भारत को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने के लिये गैस पाइपलाइन के निर्माण हेतु सरकार द्वारा  50,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा।
  • 50,000 करोड़ के इस निवेश में से भी 20,000 करोड़ रुपये का निवेश गोरखपुर(उत्तर प्रदेश), बरुनी(बिहार) और सिंदरी(झारखंड) के संयंत्रों के पुनरुद्धार में किया जाएगा।
  • सरकार एक सहायता संघ के माध्यम से ओडिशा के तालचर संयंत्र में 8000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।इस सहायता संघ में भारतीय उर्वरक निगम (Fertilizer Corporation of India), भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (Gas Authority of India Limited),राष्ट्रीय रसायन एवं उर्वरक लिमिटेड (Rashtriya Chemical and Fertilizer Limited) और कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) शामिल होंगे।
  • उल्लेखनीय है कि तालचर संयंत्र, कोयला गैस प्रणाली के क्रियान्वयन के लिये बनाया गया देश पहला संयंत्र होगा।

निष्कर्ष
भारत पहले ही मौजूदा उर्वरक संयंत्रों की क्षमता में सुधार कर चुका है| बिना किसी अतिरिक्त लागत के वर्तमान में इन संयंत्रों की क्षमता 245 लाख मीट्रिक टन है जबकि इससे पूर्व इनकी क्षमता मात्र 225 लाख मीट्रिक टन थी। नीम के आवरण (neem coating) के कारण उर्वरक के प्रत्येक कण की गुणवत्ता में वृद्धि होगी तथा इससे उर्वरकों की मांग में तो 10% तक की कमी आएगी तथा कृषि के उत्पादन में 10% तक बढ़ोतरी होगी।