राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन: नीति आयोग | 03 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग ने एक चर्चा पत्र (Discussion Paper) के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत ग्रामीण एवं शहरी कवरेज को क्रमशः 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत तक कम करने की सिफारिश की है।

  • इसमें नवीनतम जनसंख्या आँकड़ों के अनुरूप लाभार्थियों के संशोधन का भी प्रस्ताव किया गया है, जो कि वर्तमान में वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

  • अधिसूचित: 10 सितंबर, 2013
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
  • कवरेज: लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
  • पात्रता
    • राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घर।
    • अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए घर।
  • प्रावधान
    • प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो।
    • हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
    • गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्‍व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधानहै।
    • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन।
    • खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
    • ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।


प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान लाभार्थियों की संख्या:

    • अंत्योदय अन्न योजना के तहत फरवरी 2021 तक लगभग 2.37 करोड़ परिवार या 9.01 करोड़ व्यक्ति शामिल थे।
    • वहीं लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले घरों में कुल 70.35 करोड़ व्यक्ति शामिल थे।
  • नीति आयोग की सिफारिशों का महत्त्व

    • नीति आयोग के अनुमान के मुताबिक, यदि ग्रामीण-शहरी कवरेज अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है तो नवीनतम जनसंख्या संबंधी आँकड़ों के आधार पर मौजूदा लाभार्थियों की कुल संख्या 81.35 करोड़ से बढ़कर 89.52 करोड़ (8.17 करोड़ की वृद्धि) हो जाएगी।
      • इसके परिणामस्वरूप 14,800 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी की आवश्यकता होगी।
    • यदि कवरेज अनुपात को नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार संशोधित किया जाता है तो केंद्र सरकार को 47,229 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।
    • बचत की इस राशि का उपयोग अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे-स्वास्थ्य और शिक्षा में किया जा सकता है।
  • चुनौतियाँ
    • कोरोना वायरस महामारी के दौरान कवरेज अनुपात में कमी करना समाज के गरीब वर्ग पर दोहरा बोझ (बेरोज़गारी और खाद्य असुरक्षा) डालेगा।
    • कई राज्यों द्वारा इस कदम का विरोध किया जा सकता है।
  • अन्य सिफारिशें

    • शांता कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने कवरेज अनुपात को जनसंख्या के 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत तक करने की सिफारिश की थी।
      • समिति के मुताबिक, जनसंख्या का 67 प्रतिशत कवरेज काफी अधिक है और इसे लगभग 40 प्रतिशत तक सीमित किया जाना चाहिये, जिसके तहत आसानी से BPL परिवारों को कवर किया जा सकेगा।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में केंद्रीय पूल से जारी खाद्यान्नों के केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) में संशोधन की सिफारिश की गई थी, जो बीते कई वर्षों से अपरिवर्तित है।

केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP)

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत रियायती दरों पर लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
  • केंद्र सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज खरीदती है और इसे केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) पर राज्यों को बेचती है।
  • केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) का निर्धारण किया जाता है, किंतु यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक नहीं होता है।


स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस