निजी बैंकों की समीक्षा | 15 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक के बारे में 

मेन्स के लिये: 

पी के मोहंती समिति का बैंकिंग क्षेत्र में महत्त्व एवं कार्य 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा निज़ी क्षेत्रों के बैंकों के स्वामित्व, संचालन एवं कॉर्पोरेट संरचना की समीक्षा करने के लिये एक समिति/आंतरिक कार्य समूह का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस पाँच सदस्यीय आंतरिक कार्य समूह (Internal Working Group -IWG ) का गठन सेंट्रल बोर्ड के निदेशक पी के मोहंती की अध्यक्षता में  किया है।
  • यह कदम वर्ष 2020 की शुरुआत में आरबीआई तथा निजी क्षेत्र के बैंक कोटक महिंद्रा बैंक के बीच मे प्रवर्तकों की हिस्सेदारी की समीक्षा के संबंध में अदालत से बाहर हुए समाधान की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। 
  • केंद्रीय बैंक द्वारा कोटक महिंद्रा बैंक की हिस्सेदारी को 26 प्रतिशत पर सीमित रखने की अनुमति दी गई साथ ही वोटिंग के अधिकार की सीमा 15 प्रतिशत तय की गई।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा नियमों के तहत, निजी क्षेत्र के बैंक के प्रवर्तक को तीन वर्ष में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 40 प्रतिशत, दस वर्ष में 20 प्रतिशत और 15 वर्ष में 15 प्रतिशत पर आवश्यक रूप से लाने का प्रावधान किया गया है। 
  • यह समिति 30 सितंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

आंतरिक कार्य समूह/समिति के कार्य:

  • इस कार्य समूह द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के बैंकों के लिये स्वामित्त्व तथा कॉर्पोरेट ढाँचे पर मौजूदा दिशा निर्देशों की समीक्षा की जाएगी।
  • कार्य समूह/समिति  भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों के लाइसेंसिंग से संबंधित दिशा-निर्देशों तथा स्वामित्व और नियंत्रण से जुड़े नियमनों की समीक्षा करने के साथ-साथ  उपयुक्त सुझाव भी प्रस्तुत करेगी ।
  • अपने सुझाव प्रस्तुत करते समय समिति को स्वामित्त्व  और नियंत्रण पर अत्यधिक ध्यान देने वाले मुद्दे तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार एवं घरेलू ज़रूरतों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। 
  • समिति द्वारा शुरुआती-लाइसेंसिंग स्तर पर प्रवर्तकों की शेयरधारिता से संबंधित नियमों और शेयरधारिता घटाने की समय-सीमा की भी समीक्षा की जाएगी। 
  • गठित समूह बैंकिंग लाइसेंस के लिये आवेदन करने तथा सभी संबंधित मुद्दों पर सिफारिश करने के लिये व्यक्तियों/संस्थाओं के लिये पात्रता एवं मानदंडों की जाँच एवं समीक्षा करेगा। 
  • यह गैर-सहकारी वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) के माध्यम से वित्तीय सहायक कंपनियों के संचालन पर मौजूदा नियमों का अध्ययन करेगी तथा सभी बैंकों को एक समान विनियमन में स्थानांतरित करने हेतु अपने सुझाव प्रस्तुत करेगी । 

गठित समिति का महत्त्व:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गठित इस कार्य समूह की समीक्षा द्वारा विभिन्न समयावधि में स्थापित बैंकों के लिये लागू नियमों को तर्कसंगत एवं उचित रूप से लागू किया जा सकेगा। 
  • बैंकिंग  लाइसेंस प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। 

स्रोत: बिज़नेस टुडे