ऑपरेशन ट्विस्ट का पुनः उपयोग | 25 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये:

खुला बाज़ार परिचालन, ऑपरेशन ट्विस्ट,भारतीय रिज़र्व बैंक

मेन्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ऑपरेशन ट्विस्ट से अर्थव्यवस्था को सुधारने हेतु किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा खुला बाज़ार परिचालन (Open Market Operations-OMO) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की एक साथ खरीद और बिक्री करने हेतु पुनः निर्णय लिया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल, 2020 से RBI ने तरलता स्थिति तथा बाज़ार की स्थितियों की समीक्षा करके 10 हज़ार करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री का निर्णय लिया है।
  • RBI वर्ष 2026-30 के बीच परिपक्व होने वाले 10 हज़ार करोड़ के बॉन्ड खरीदेगी तथा इतनी ही धनराशि की ट्रेज़री बिल की  बिक्री करेगा। अतः इस निर्णय से 10 वर्ष के बॉन्ड पर  बॉन्ड यील्ड में 20 आधार अंक की कमी आएगी।

बॉन्ड यील्ड (Bond Yield):

  • बॉन्ड यील्ड बॉन्ड पर रिटर्न मिलने वाली धनराशि है।  बॉन्ड की कीमत में उतार-चढ़ाव से बॉन्ड यील्ड पर विपरीत असर पड़ता है। जब बॉन्ड की कीमत बढ़ती है तो बॉन्ड यील्ड घटता है तथा बॉन्ड की कीमत घटती है तो बॉन्ड यील्ड बढ़ता है।

Bond-price

ऑपरेशन ट्विस्ट के बारे में:

  • ऑपरेशन ट्विस्ट (Operation Twist) पहली बार वर्ष 1961 में अमेरिकी डॉलर को मज़बूत करने और अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिये लाया गया था।
  • ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ के अंतर्गत केंद्रीय बैंक दीर्घ अवधि के सरकारी ऋण पत्रों को खरीदने के लिये अल्पकालिक प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग करता है, जिससे लंबी अवधि के ऋणपत्रों पर ब्याज दरों के निर्धारण में आसानी होती है।
  • ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ से अल्पकालिक प्रतिभूतियों को दीर्घकालिक प्रतिभूतियों में परिवर्तित किया जाता है।

खुला बाज़ार परिचालन

(Open Market Operations-OMO):

  • खुला बाज़ार परिचालन (OMO) धन की कुल मात्रा को विनियमित या नियंत्रित करने के लिये मात्रात्मक मौद्रिक नीति उपकरणों में से एक है, जिसे RBI द्वारा अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने हेतु उपयोग में लाया जाता है।
  • RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री या खरीद के माध्यम से मुद्रा आपूर्ति की स्थिति को समायोजित करने के लिये खुले बाज़ार का संचालन किया जाता है।
  • केंद्रीय बैंक, आर्थिक प्रणाली के अंतर्गत तरलता में कमी लाने के लिये सरकारी प्रतिभूतियाँ बेचता है और इस प्रणाली को नियंत्रित रखने के लिये सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीदता है।
  • RBI द्वारा अर्थव्यवस्था में रुपए के मूल्य को समायोजित करने के लिये अन्य मौद्रिक नीति उपकरणों जैसे रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात और वैधानिक तरलता अनुपात के साथ OMO का उपयोग किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू