तंजानिया में नई प्रजाति के पौधे की खोज | 18 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तंजानिया के उसाम्बरा (Usambara) पर्वतीय क्षेत्र में 20 मीटर तक बढ़ने वाले फूल के पौधे की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।

Iddi Plants

प्रमुख बिंदु

  • मिशोगिन इडडी पौधे का नामकरण अमानी नेचर रिज़र्व के वनस्पति वैज्ञानिक इडडी रजाबू (Iddi Rajabu) के नाम पर किया गया है।

अमानी नेचर रिज़र्व उष्णकटिबंधीय पूर्वी अफ्रीका में तंजानिया के टांगा राज्य में संरक्षित क्षेत्र है। इसकी स्थापना वर्ष 1997 में उसाम्बरा पर्वत की वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिये की गई थी।

  • मिशोगिन इडडी (Mischogyne iddi) पौधों की लम्बाई 20 मीटर और पत्तियों का व्यास 13 से 45 सेंटीमीटर के बीच होता है। इस पौधे की पत्तियाँ इस वंश की अन्य प्रजातियों की तुलना में बड़ी होती हैं।
  • मिशोगिन इडडी पौधा कस्टर्ड ऐप्पल या एनानेसिया परिवार से संबंधित है जिसकी अन्य ज्ञात प्रजातियाँ मिशोगिन इलियटियाना (M. elliotiana), मिशोगिन गैबोनेंसिस (M. gabonensis), मिशोगिन कॉन्सेंसिस (M. congensis) हैं।
  • इस वंश की प्रजातियाँ अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में 1000-4000 मिमी. की वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों से लेकर अंगोला के सूखे तटीय क्षेत्रों तक पाई जाती हैं।
  • IUCN ने इस पौधे को लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी में रखा गया है।
  • कृषि के विस्तार से वन क्षेत्रों का ह्रास हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कम संख्या वाले ये पौधे संकटग्रस्त की श्रेणी में शामिल होते जा रहे है। इनके उत्पादक क्षेत्र को और अधिक विस्तारित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति इन प्रजातियों की अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिये छोटे-छोटे वन क्षेत्रों को आपस में जोड़ा जाना चाहिये।
  • उसाम्बरा पर्वत, उष्णकटिबंधीय पूर्वी अफ्रीका में स्थित है, जिसकी पूर्वी सीमाएँ आर्क पर्वत को स्पर्श करती हैं। कम सघन वन क्षेत्रों के कारण उसाम्बरा पर्वतों को जलवायु परिवर्तन से खतरा है।
  • आर्क पर्वत पूर्वी अफ्रीका में जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है। कुछ समय पहले ही इन पहाड़ियों से गिरगिट और पॉलीसेराटोकार्पस आस्कमब्रीयन-इरिंगा (Polyceratocarpus Askhambryan-Iringae) नामक पौधे की नई प्रजातियों की खोज की गई थी।

प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ

(International Union for Conservation of Nature- IUCN)

  • इसकी स्थापना 5 अक्तूबर, 1948 को फ्राँस में हुई थी, उस समय इसका नाम इंटरनेशनल यूनियन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ नेचर (International Union for Protection of Nature- IUPN) था।
  • वर्ष 1956 में इसका नाम बदल कर इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (International Union for Conservation of Nature- IUCN) कर दिया गया।
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है।
  • विज़न- ऐसे संसार का निर्माण करना, जो प्रकृति की कीमत समझने के साथ ही इसका संरक्षण भी करें।
  • मिशन- संसार भर के लोगों को प्रकृति की विविधता बनाए रखने के लिये प्रोत्साहन और सहयोग देना तथा प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रयोग सुनिश्चित करना।
  • यह पौधों और जंतुओं की रेड डेटा बुक भी जारी करता है।
  • प्रत्येक चार वर्ष में एक बार IUCN वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस का अयोजन किया जाता है।
  • वैश्विक चुनौतियों से निपटने और प्रकृति संक्षरण के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये सरकार, सिविल सोसाइटी, उद्यमी वर्ग आदि इसमें भाग लेते हैं।
  • भारत में वर्ष 1969 में नई दिल्ली में वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस का आयोजन किया गया था।
  • वर्ष 2016 में अमेरिका के हवाई में इसका आयोजन किया गया था।
  • वर्ष 2020 में इसका आयोजन फ्राँस में किया जाएगा।

स्रोत: डाउन टू अर्थ