शोधकर्ताओं ने विकसित किया कृत्रिम रेटिना | 06 May 2017

समाचारों में क्यों?

  • गौरतलब है कि शोधकर्ताओं ने पहली बार कोमल ऊतकों वाला ऐसा एक कृत्रिम रेटिना बनाया है, जिसकी मदद से वे लोग भी देख सकेंगे जिनकी आँखों में रोशनी नहीं है। उल्लेखनीय है कि अब तक कृत्रिम रेटिना का निर्माण केवल सख्त पदार्थों से ही होता रहा है। 
  • ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार यह रेटिना, दृष्टिपटल बायोनिक प्रत्यारोपण उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इससे ऐसी नई और अनुकूल तकनीकों का विकास करने में मदद मिलेगी।
  • इससे आँखों की गंभीर बीमारियों का उपचार करने में मदद मिलेगी। बायोनिक उन वस्तुओं या तकनीक को कहते हैं जिनमें जीववैज्ञानिक और विद्युतीय, दोनों अवयवों का इस्तेमाल किया जाता है।

कैसे हुआ है रेटिना का निर्माण?

  • शोधकर्ता वेनेसा रेस्ट्रेपो-स्चिल्ड की अगुआई में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस रेटिना का निर्माण किया है।
  • इस रेटिना या दृष्टिपटल का निर्माण स्वच्छ जल की बूंदों (हाइड्रोजेल) और जैववैज्ञानिक कोशिकाओं की झिल्ली के प्रोटीन से किया गया है। यह दो स्तरों वाला है। इसकी रूपरेखा किसी कैमरे की तरह बनाई गई है।
  • इसमें लगी कोशिकाएँ पिक्सल की तरह काम करती हैं। वे रोशनी को खोजकर उस पर प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे श्वेत-श्याम तस्वीर का निर्माण होता है। 

कैसे देखती हैं आँखें?

  • फोटोग्राफी जिस तरह रोशनी के प्रति कैमरा पिक्सल की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है, रेटिना पर निर्भर हमारी आँखों की दृष्टि भी ठीक उसी तरह कार्य करती हैं।
  • रेटिना हमारी आँखों के पिछले हिस्से में होता है। इसमें प्रोटीन कोशिकाएँ होती हैं, जो रोशनी की किरणों को विद्युतीय संकेतों में बदल देती हैं। जब हम कोई चीज देखते हैं तो उससे टकराकर लौटी किरण रेटिना तक आकर विद्युतीय संकेत में बदल जाती है।
  • ये विद्युतीय संकेत तंत्रिका प्रणाली के जरिये दिमाग तक पहुँचते हैं, जिन पर दिमाग प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप आँखों द्वारा देखे गए दृश्य की तस्वीर बन जाती है। वास्तव में देखने की यही प्रक्रिया होती है।     

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह शोध?

  • शोधकर्ता का मानना है कि उनके द्वारा विकसित रेटिना काफी हद तक कुदरती रेटिना की कार्य प्रक्रिया का अनुकरण करता है। इसमें इस्तेमाल किये गए कृत्रिम पदार्थ विद्युतीय संकेतों का निर्माण करते हैं। ये संकेत हमारी आँखों के पीछे अवस्थित तंत्रिकाओं को उसी तरह उत्तेजित कर देते हैं, जिस तरह कुदरती रेटिना करता है।
  • शोधकर्ताओं ने कहा, अभी तक कृत्रिम रेटिना बनाने में सख्त पदार्थों का इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन नए रेटिना में कुदरती और जैविक अवयवों इस्तेमाल किया गया है।