मधुमक्‍खी पालन विकास समिति की रिपोर्ट | 28 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Prime Minister Economic Advisory Council) के तहत गठित मधुमक्‍खी पालन विकास समिति (Beekeeping Development Committee- BDC) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है।

  • इस समिति का गठन प्रो. देबरॉय की अध्‍यक्षता में किया गया है।
  • BDC का उद्देश्य भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करना है जिससे कृषि उत्पादकता, रोज़गार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को बनाए रखने में मदद मिल सके।

समिति की सिफारिशें

  • मधुमक्‍खियों को कृषि उत्‍पाद के रूप में देखा जाना चाहिये तथा भूमिहीन मधुमक्‍खी पालकों को किसान का दर्जा दिया जाना चाहिये।
  • मधुमक्खियों की पंसद वाले पौधों को सही स्‍थानों पर लगाना चाहिये तथा ऐसे बागानों का प्रबंधन महिला स्वयं सहायता समूहों को सौंपा जाए।
  • राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी बोर्ड को संस्थागत रूप दिया जाए तथा कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के तहत इसे शहद और परागण बोर्ड का नाम दिया जाए। ऐसा निकाय कई तंत्रों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसमें नए एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्रों की स्थापना, उद्योग से जुड़े लोगों को और ज्‍यादा प्रशिक्षित करना, शहद की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिये एक कोष का गठन तथा मधुमक्‍खी पालन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर डेटा संग्रह जैसी बातें शामिल होंगी।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के तत्त्वावधान में उन्नत अनुसंधान के लिये एक विषय के रूप में मधुमक्‍खी पालन को मान्यता दी जाए।
  • मधुमक्‍खी पालकों का राज्‍य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
  • शहद सहित मधुमक्खियों से जुड़े अन्‍य उत्‍पादों के संग्रहण, प्रसंस्‍करण और विपणन के लिये राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय स्‍तर पर अवसंरचनाओं का विकास किया जाए।
  • शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिये प्रक्रियाओं को सरल बनाने और स्पष्ट मानकों को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है।

मधुमक्खी पालन से अर्थव्यवस्था को लाभ

  • अंतराष्‍ट्रीय खाद्य एंव कृषि संगठन-FAO के वर्ष 2017-18 के आँकडों के अनुसार शहद उत्‍पादन के मामले में भारत (64.9 हज़ार टन शहद उत्‍पादन के साथ) दुनिया में आठवें स्‍थान पर रहा जबकि चीन (551 हज़ार टन शहद उत्‍पादन ) के साथ पहले स्‍थान पर रहा।
  • FAO संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्‍थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्‍पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्‍थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्‍तर को उन्‍नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
  • इसका मुख्यालय रोम, इटली में है।
  • BDC की रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्‍खी पालन को केवल शहद और मोम उत्‍पादन तक सीमित रखे जाने की बजाए इसे परागणों,मधुमक्‍खी द्वारा छत्‍ते में इकठ्ठा किये जाने वाले पौध रसायन,रॉयल जेली और मधुमक्‍खी के डंक में युक्‍त विष को उत्‍पाद के रूप में बेचने के लिये भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है जिससे भारतीय किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं।
  • उपरोक्त के अलावा, 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में भी मधुमक्खी पालन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

मधुमक्खी आवास क्षेत्र में वृद्धि की आवश्यकता

  • खेती और फसलों के क्षेत्र के आधार पर, भारत में लगभग 200 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र की क्षमता है, जबकि इस समय देश में ऐसे 3.4 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र हैं। मधुमक्ख्यिों के आवास क्षेत्र का दायरा बढ़ने से बढ़ने से न केवल मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों की संख्‍या बढ़ेगी बल्कि समग्र कृषि और बागवानी उत्पादकता को भी बढ़ावा मिलेगा।

सरकार के प्रयासों से शहद निर्यात में वृद्धि

  • देश में मधुमक्‍खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा हाल में किये गये प्रयासों के कारण वर्ष 2014-15 और वर्ष 2017-18 के दौरान शहद का निर्यात (कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी पालन बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार) 29.6 हज़ार टन से बढ़कर 51.5 हज़ार टन पर पहुँच गया।

राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board-NBB)

  • NBB कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत संस्थान है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • यह सोसायटी अधिनियम 1860 के तहत सूचीबध्य संस्थान है।
  • यह कृषकों को लघु कृषक कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (Small Farmers Agri-Business Consortium- SFAC) के माध्यम से बीज उपलब्ध करवाता है।
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन के ज़रिये NBB को वित्त की प्राप्ति होती है।
  • NBB,खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग (KHADI AND VILLAGE INDUSTRY-KVIC),ICAR,NGO को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

निष्कर्ष

  • हालाँकि इस क्षेत्र में अभी भी काफी चुनौतियाँ मौजूद है पर इसके साथ ही इस उद्योग को प्रोत्‍साहित करने के लिये काफी संभावनाएँ भी हैं।

स्रोत: पी.आई.बी