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पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल | 15 Sep 2022 | भारतीय राजनीति

प्रिलिम्स के लिये:

भारत निर्वाचन आयोग, मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, चिह्न  आदेश 1968

मेन्स के लिये:

राजनीतिक दलों का विनियमन, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारत के निर्वाचन आयोग ने 86 गैर-मौजूद पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties-RUPPs) को असूचीबद्ध कर दिया है और अतिरिक्त 253 दलों को निष्क्रिय RUPPs के रूप में घोषित किया है।

RUPPs को निर्वाचन आयोग द्वारा असूचीबद्ध करने का कारण:

 राजनीतिक दलों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP):

राजनीतिक दलों के रूप में मान्यता हेतु निर्धारित शर्तें:

राष्ट्रीय दलों की मान्यता के लिये शर्तें

राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें

  • यदि निम्नलिखित में से कोई भी शर्त पूरी होती है तो एक दल को ाष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी जाती है :
    • यदि यह लोकसभा या विधानसभा के आम चुनाव में किन्हीं चार या अधिक राज्यों में डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करता है और इसके अलावा यह किसी राज्य या राज्यों से लोकसभा में चार सीटें जीतता है, अथवा
    • यदि वह आम चुनाव में लोकसभा में 2% सीटें जीतता है और ये उम्मीदवार तीन राज्यों से चुने जाते हैं, अथवा
    • यदि इसे चार राज्यों में एक राज्य स्तरीय  पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • एक राज्य में यदि निम्नलिखित में से कोई भी शर्त पूरी होती है:
    • यदि यह संबंधित राज्य की विधानसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करता है और इसके अलावा यह संबंधित राज्य की विधानसभा में 2 सीटें जीतता है, अथवा
    • यदि यह संबंधित राज्य से लोकसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करता है और इसके अलाव, यह संबंधित राज्य से लोकसभा में 1 सीट जीतता है, अथवा
    • यदि यह संबंधित राज्य की विधानसभा के आम चुनाव में 3% सीटें जीतता है या विधानसभा में 3 सीटें, जो भी अधिक हो या
    • यदि वह संबंधित राज्य से लोकसभा के आम चुनाव में राज्य को आवंटित प्रत्येक 25 सीटों या उसके किसी भी अंश के लिये लोकसभा में 1 सीट जीतता है या
    • यदि यह राज्य से लोकसभा या राज्य की विधानसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए कुल वैध मतों का 8% प्राप्त करता है। यह शर्त वर्ष 2011 में जोड़ी गई थी।

चुनाव चिह्न  (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 द्वारा ECI को प्राप्त शक्तियाँ:

जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA), 1951:  

UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. भारत में, उम्मीदवारों को तीन निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने वाला कोई कानून नहीं है।
  2. वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में देवी लाल ने तीन लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा।
  3. मौजूदा नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ता है, तो उसकी पार्टी को उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों के उप-चुनावों का खर्च वहन करना चाहिये, जिन्हें उसने खाली किया है बशर्ते वह सभी निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुआ हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1  
(c) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2 
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वर्ष 1996 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया गया ताकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एक उम्मीदवार के लिये सीटों की संख्या को 'तीन' से 'दो' तक सीमित किया जा सके। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • वर्ष 1991 में, देवी लाल ने तीन लोकसभा सीटों, सीकर, रोहतक और फिरोजपुर से चुनाव लड़ा। अत: कथन 2 सही है।
  • जब भी कोई उम्मीदवार एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ता है और एक से अधिक सीटों पर जीतता है, तो उम्मीदवार को केवल एक सीट बरकरार रखनी होती है, जिससे बाकी सीटों पर उपचुनाव होता है। यह परिणामी रिक्ति के विरुद्ध उपचुनाव कराने के लिये सरकारी खजाने, सरकारी जनशक्ति और अन्य संसाधनों पर एक अपरिहार्य वित्तीय बोझ डालता है। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.