उदय कोटक समिति की सिफारिशें एवं इनका महत्त्व | 09 Oct 2017

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बाज़ार नियामक सेबी द्वारा नियुक्त एक समिति ने देश में कॉर्पोरेट संचालन में सुधार और बेहतरी से संबंधित रिपोर्ट सौंपी है। बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता वाली समिति ने कंपनी बोर्ड का संचालन करने वाले नियमों, पारदर्शिता एवं खुलासों से संबंधित अनुमानों और संबंधित पक्ष के लेन-देन के परीक्षण जैसे मसलों को लेकर कई सुधारों की अनुशंसा की है।

समिति की महत्त्वपूर्ण सिफारिशें

  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की कंपनियों के कामकाज के संचालन पर एक उच्चस्तरीय समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को उनके प्रशासनिक मंत्रालय से स्वतंत्र करने का सुझाव दिया है।
  • सूचीबद्ध कंपनियों के लिये कामकाज के संचालन संबंधीनियमों में बदलाव के संबंध में समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिये पारदर्शी कामकाज तय करना चाहिये। साथ ही उनके उद्देश्य और प्रतिबद्धताओं का भी खुलासा करना चाहिये।
  • रिपोर्ट कहती है, सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उनके प्रशासनिक मंत्रालय से स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिये, जिससे उनकी निर्णय प्रक्रिया तेज़ हो सकेगी और उनके परिचालन में स्वायत्तता आ सकेगी। इससे सार्वजनिक उपक्रम बेहतर वाणिज्यिक लक्ष्य हासिल कर सकेंगे और वे प्रतिस्पर्धी बाज़ार में प्रतिभाओं को आकर्षित कर सकेंगी।

निष्कर्ष

  • समिति ने कई अहम सुझाव दिये हैं जिनकी मदद से छोटे शेयरधारकों को बचाया जा सकता है। समिति ने यह भी कहा है कि किसी कंपनी का चेयरमैन कम-से-कम गैर कार्यकारी निदेशक होना चाहिये, ताकि प्रबंधन में स्वायत्तता सुनिश्चित की जा सके। सूचना साझा करने जैसे सवालों को लेकर भी समिति ने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये हैं।
  • देश का कारोबारी जगत लंबे समय से कारोबारी संचालन की दिक्कतों से दो-चार है। इसकी वज़ह से पर्यवेक्षकों के मन में बोर्ड की निगरानी और अंकेक्षण की गुणवत्ता को लेकर भरोसा कम हो गया है। ऐसे में सेबी के लिये उचित यही होगा कि वह जितनी जल्दी हो सके समिति की अधिक से अधिक अनुशंसाओं को क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़े।
  • दरअसल, जिन सुधारों की अनुशंसा प्राप्त हुई है उन्हें लागू तो हमें ही करना है। इन परिस्थितियों में यदि राजनीतिक इच्छा-शक्ति का अभाव दिखा तो इन सुधारों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नई अनुशंसाएँ लागू होने के बाद कोटक समिति की रिपोर्ट के अनुरूप उनकी मूल भावना का भी ध्यान रखा जाए।