प्रवासियों की वास्तविक समय ऑनलाइन निगरानी | 26 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

भौगोलिक सूचना तंत्र

मेन्स के लिये:

वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

'इंडिया ऑब्ज़र्वेटरी' (India Observatory) जो कि एक ओपन-सोर्स डेटाबेस के रूप में कार्य करती है, ने एक 'भौगोलिक सूचना तंत्र' (Geographic Information System- GIS) आधारित डैशबोर्ड का निर्माण किया है जो प्रवासियों की आवाजाही को दर्शाने में सक्षम है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस मंच का निर्माण गैर-लाभकारी संगठन ‘वन पारिस्थितिक सुरक्षा’ (Forest Ecological Security- FES) आनंद, गुजरात के सहयोग से किया गया है, जिसे 'CoAST इंडिया' (Collaboration/Covid Action Support Group) कहा जाता है।
  • यह मंच 55 संगठनों के माध्यम से जमीनी स्तर पर; विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। 

वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS):

  • वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) में वेब तथा अन्य परिसंचालनों का उपयोग कर स्थानिक जानकारी का अनुप्रयोग, सूचनाओं को संसाधित एवं प्रसारित किया जाता है। 
  • यह उपयोगकर्त्ताओं को आँकड़ों के एकत्रीकरण, विश्लेषण एवं परिणामों को अधिक से अधिक व्यक्तियों तक प्रसारित करने में मदद करता है तथा नीति निर्माताओं के लिये उपयुक्त आँकड़ों को उपलब्ध कराने में मदद करता है।

प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी में प्रयुक्त GIS में बदलाव :

  • वन पारिस्थितिक सुरक्षा (FES) संगठन मुख्यतः वनों, जल निकायों, संरक्षण आदि पारिस्थितिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। जो 'उपग्रह आधारित निगरानी' के माध्यम से इनकी निगरानी करता है। 
  • पारिस्थितिक निगरानी के लिये 1,800 से अधिक मापदंडों का उपयोग किया जाता है। FES द्वारा इसी प्रणाली में आवश्यक बदलाव करके प्रवासियों की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग (Real Time Tracking) की जाएगी। 

उत्तर प्रदेश द्वारा प्रवासी श्रमिकों का कौशल मानचित्र:

  • उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 मई, 2020 को लॉकडाउन के दौरान राज्य में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिये कौशल मानचित्र को जारी किया गया। 
  • कौशल आधारित मानचित्र का उपयोग करके सरकार इन श्रमिकों को इनके कौशल और अनुभव के अनुसार राज्य में रोज़गार प्रदान करेगी तथा इसके लिये एक प्रवासी आयोग का गठन करेगी।

प्रवासी GIS डैशबोर्ड के मुख्य तत्त्व:

  • प्रवासियों को डैशबोर्ड पर वास्तविक समय निगरानी के लिये चार प्रकार के तत्त्वों की जानकारी होना आवश्यक है: 
    • प्रवासियों और समाज के सुभेद्य लोगों के स्थान की जानकारी; 
    • उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं की पहचान;
    • मार्गों में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता,
    • गैर-सरकारी संगठन तथा नागरिक समाज संगठन को जोड़ना।

प्रवासी मानचित्रण की कार्यप्रणाली:

  •  COVID-19 महामारी के व्यापक प्रसार के बाद 'रैपिड कम्युनिटी रिस्पॉन्स COVID' (Rapid Community Response to Covid- RCRC) नामक एक समूह का गठन किया गया तथा प्रवसियों की निगरानी की लिये डैशबोर्ड का निर्माण किया गया। 
  • लोगों की आवाजाही, भोजन की आवश्यकता, वित्तीय सहायता, चिकित्सा देखभाल आदि की नियमित सूचना डैशबोर्ड के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है तथा सूचनाओं को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।
  • 15 अप्रैल को प्रवासियों की आवाजाही को दर्शाने वाले 'प्रवासी मानचित्र' (Migrant Map) कार्य कर रहा है।
  • आँकड़ों का डैशबोर्ड पर मानचित्रण करने के लिये संकटग्रस्त लोगों द्वारा की जाने वाली फोन कॉल का उपयोग किया गया।
  • प्रवास से संबंधित आँकड़ों को सरकारों और छोटे स्थानीय नागरिक समूहों को उपलब्ध कराया जाता है ताकि प्रवासियों को वास्तविक समय पर सहायता उपलब्ध कराई जा सके। 
  • ‘प्रवासी मानचित्र’ के माध्यम से, वास्तविक समय प्राप्त प्रवास संबंधी स्थानिक आँकड़ों की क्षेत्र में उपलब्ध प्रशासनिक सुविधाओं यथा परिवहन, स्वास्थ्य सुविधाओं, वायु परिवहन आदि से मेल किया जाता है तथा आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाया जाता है। 

GIS प्रणाली में ओपन-सोर्स डेटा का महत्त्व:

  • ओपन-सोर्स डेटा का महामारी प्रबंधन की दृष्टि से बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि ये आँकड़े स्थानीय रूप से उपलब्ध होते हैं तथा इन आँकड़ों की प्राप्ति के लिये किसी बड़े संगठन या सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • भू-स्थानिक आँकड़ों की सरकार, नागरिक समाज और उद्योग सभी के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। हालाँकि वर्तमान समय में भारत में 'राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण' या 'भारतीय सर्वेक्षण' के पास उपलब्ध आँकड़ों को 'रणनीतिक' दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जाता है तथा ये आँकड़े बड़े पैमाने पर जनता के लिये उपलब्ध नहीं होते है।

निष्कर्ष: 

  • वेब आधारित GIS, स्थानीय सूचना के प्रसार एवं उनकी विशिष्टताओं एवं सम्बद्ध कार्यों के लिये उपयोगी है। प्राकृतिक अनुसंधान स्थानिक आँकड़ों के प्रदर्शन हेतु भारत में अनेक महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग विकसित किये हैं। पारंपरिक रूप में स्थानिक आँकड़ों को GIS आँकड़ों के प्रसार के लिये तैयार किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस