डेली अपडेट्स

COVID-19 महामारी में RBI की भूमिका | 30 Mar 2020 | भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रीलिम्स के लिये

रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, नकद आरक्षित अनुपात

मेन्स के लिये 

RBI द्वारा लिये गए निर्णय के प्रभाव

चर्चा में क्यों?

भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रकोप से बचाने के लिये वित्त मंत्रालय के पश्चात् भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी रेपो रेट (Repo Rate) में 75 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

RBI द्वारा लिये गए प्रमुख निर्णय

इन उपायों की आवश्यकता

प्रभाव

रेपो दर 

(Repo Rate)

रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लेते हैं। रेपो दर में कटौती कर RBI बैंकों को यह संदेश देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिये ऋण की दरों को आसान करना चाहिये।

रिवर्स रेपो दर 

(Reverse Repo Rate)

यह रेपो रेट के ठीक विपरीत होता है अर्थात् जब बैंक अपनी कुछ धनराशि को रिज़र्व बैंक में जमा कर देते हैं जिस पर रिज़र्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। रिज़र्व बैंक जिस दर पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

नकद आरक्षित अनुपात

(Cash Reserve Ratio- CRR)

प्रत्येक बैंक को अपने कुल कैश रिज़र्व का एक निश्चित हिस्सा रिज़र्व बैंक के पास रखना होता है, जिसे नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है। ऐसा इसलिये किया जाता है जिससे किसी भी समय किसी भी बैंक में बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्त्ताओं को यदि रकम निकालने की ज़रूरत महसूस हो तो बैंक को पैसा चुकाने में दिक्कत न आए। 


स्रोत: द हिंदू