राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान | 14 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, सतत् विकास लक्ष्य (SDG)।

मेन्स के लिये:

पंचायती राज संस्थान (PRI), 15वाँ वित्त आयोग, ई-पंचायत पर मिशन मोड प्रोजेक्ट, ई-गवर्नेंस, सतत् विकास लक्ष्य (SDG)।

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1 अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2026 की अवधि के दौरान कार्यान्वयन हेतु ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ (RGSA) की संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दी है।

  • यह योजना अब 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट की अवधि के साथ समाप्त होगी।
  • इस योजना का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं (PRI) की शासन क्षमताओं को विकसित करना है।

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) क्या है?

  • पृष्ठभूमि: इस योजना को पहली बार वर्ष 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वर्ष 2018-19 से वर्ष 2021-22 तक की अवधि के लिये मंज़ूरी दी गई थी।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: पंचायती राज मंत्रालय।
  • घटक: मुख्य केंद्रीय घटकों में पंचायतों को प्रोत्साहन देना एवं केंद्रीय स्तर पर अन्य गतिविधियों सहित ई-पंचायत पर मिशन मोड परियोजना को लागू करना है।
    • राज्य घटकों में मुख्य रूप से क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण (CB&T) गतिविधियाँ, CB&T के लिये संस्थागत तंत्र के साथ-साथ सीमित स्तर पर अन्य गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • उद्देश्य: इसमें सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को पूरा करने के लिये पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की शासन क्षमताओं को विकसित करने की परिकल्पना की गई है।
    • SDGs के प्रमुख सिद्धांत, यानी किसी को पीछे नहीं छोड़ना, सबसे पहले एवं सार्वभौमिक कवरेज तक पहुँचना, लैंगिक समानता के साथ-साथ प्रशिक्षण, प्रशिक्षण मॉड्यूल और सामग्री सहित सभी क्षमता निर्माण हस्तक्षेपों को डिज़ाइन में शामिल किया जाएगा।
    • मुख्य रूप से राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी, अर्थात्:
      • गाँवों में गरीबी से मुक्ति एवं आजीविका में बढ़ोतरी
      • स्वस्थ गाँव
      • बच्चों के अनुकूल गाँव
      • जल पर्याप्त गाँव
      • स्वच्छ और हरा-भरा गाँव
      • गाँव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा
      • सामाजिक रूप से सुरक्षित गाँव
      • सुशासन वाला गाँव
      • ग्राम विकास में बढ़ोतरी।
  • फंडिंग पैटर्न: संशोधित RGSA में केंद्र एवं राज्य के घटक शामिल होंगे। योजना के केंद्रीय घटकों को पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।
    • राज्य घटकों के लिये वित्तपोषण पैटर्न केंद्र और राज्यों के बीच क्रमशः 60:40 के अनुपात में होगा, वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू-कश्मीर और पहाड़ी राज्यों में केंद्र और राज्य का हिस्सा 90:10 होगा।
    • साथ ही अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्रीय हिस्सा 100% होगा।
  • विज़न: यह "सबका साथ, सबका गांँव, सबका विकास" (Sabka Sath, Sabka Gaon, Sabka Vikas) हासिल करने की दिशा में एक प्रयास है।
  • महत्त्व:
    • सामाजिक-आर्थिक न्याय: चूंँकि पंचायतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व होता है और वे ज़मीनी स्तर के सबसे करीब संस्थान हैं, पंचायतों को मज़बूत करने से सामाजिक न्याय व समुदाय के आर्थिक विकास के साथ-साथ समानता तथा समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।
    • बेहतर लोक सेवा उपलब्ध कराना: पंचायती राज संस्थाओं द्वारा ई-गवर्नेंस के बढ़ते उपयोग से बेहतर सेवा वितरण और पारदर्शिता हासिल करने में मदद मिलेगी।
    • PIR का विकास: यह पर्याप्त मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के साथ राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर PIR के क्षमता निर्माण हेतु संस्थागत ढांँचे की स्थापना करेगा।
  • लाभार्थी: RGSA की स्वीकृत योजना से 2.78 लाख से अधिक ग्रामीण स्थानीय निकायों को मदद मिलेगी।
    • देश भर में पारंपरिक निकायों सहित ग्रामीण स्थानीय निकायों के लगभग 60 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि, पदाधिकारी और अन्य हितधारक इस योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी होंगे।
  • विस्तार: इस योजना का विस्तार देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तक है तथा भाग IX में शामिल क्षेत्रों के आलावा ग्रामीण स्थानीय सरकार की संस्थाएँ भी शामिल होंगी, जहाँ पंचायतें मौजूद नहीं हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न: (पीवाईक्यू):

प्रश्न.. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य निम्नलिखित में से किसे सुनिश्चित करना है? (2015)

  1. विकास में लोगों की भागीदारी।
  2. राजनीतिक जवाबदेही।
  3. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण।
  4. वित्त जुटाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • पंचायती राज व्यवस्था का सबसे मौलिक उद्देश्य विकास और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण में लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
  • पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना स्वतः ही राजनीतिक उत्तरदायित्व की ओर नहीं ले जाती है।
  • वित्त जुटाना पंचायती राज का मूल उद्देश्य नहीं है, हालांँकि यह ज़मीनी स्तर पर सरकार को वित्त और संसाधनों को हस्तांतरित करने में सहायक है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस