RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (30 नवंबर) | 30 Nov 2019

50वाँ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

20 नवंबर, 2019 से गोवा में शुरू हुए 50वें इंटरनेशनल इंडियन फिल्म फेस्टिवल का 28 नवंबर, 2019 काे समापन हुआ। इस दौरान 76 देशों की 190 फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई। बेस्ट फिल्म का गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड ब्लेस हैरिसन को फिल्म पार्टिकल्स के लिये मिला। बेस्ट एक्टर मेल सिल्वर पीकॉक अवॉर्ड सियू जॉर्ज को फिल्म मारिघेल्ला के लिये मिला। बेस्ट एक्ट्रेस फीमेल का सिल्वर पीकॉक अवॉर्ड ऊषा जाधव को फिल्म माई घाट क्राइम नंबर 103/2005 के लिये मिला। भारतीय निर्देशक लिजो जोस पेलिसरी ने अपनी फिल्म जल्लीकट्टू के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता। प्रसिद्ध संगीतकार इलैया राजा को लीजेंड्स ऑफ इंडिया कैटेगरी में सम्मानित किया गया।


इसरो का ‘विक्रम’ प्रोसेसर

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने भविष्य में सभी भारतीय रॉकेटों का मार्गदर्शन और नियंत्रण करने के लिये स्वदेश निर्मित विक्रम प्रोसेसर बनाया है। 'विक्रम’' प्रोसेसर ने 27 नवंबर को 'कार्टोसैट-3' सैटेलाइट के साथ लॉन्च किये गए PSLV-C47 रॉकेट का मार्गदर्शन किया। गौरतलब है कि PSLV-C47 रॉकेट में पहली बार स्वदेश निर्मित प्रोसेसर का इस्तेमाल हुआ। PSLV-C47 रॉकेट को ‘विक्रम’ प्रोसेसर के साथ फिट किया गया था, जिसे चंडीगढ़ स्थित सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला द्वारा अंतरिक्ष विभाग के तहत डिज़ाइन, विकसित और निर्मित किया गया था। ‘विक्रम’ प्रोसेसर का उपयोग रॉकेट के नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण व सामान्य प्रसंस्करण अनुप्रयोगों के लिये भी किया जा सकता है।


ज्ञानपीठ पुरस्कार

प्रख्यात मलयाली कवि अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी को 55वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने उनका चयन वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिये किया है। वर्ष 1926 में जन्मे अक्कतीम ने कविताओं के अलावा नाटक, संस्मरण, आलोचनात्मक निबंध, बाल साहित्य और अनुवाद का उत्कृष्ट काम किया है। इनकी कई रचनाओं का कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। अक्कीतम की ज्यादातर रचनाओं को क्लासिक माना जाता है। उनकी कविताओं में भारतीय दार्शनिक व सामाजिक मूल्यों का समावेश मिलता है जो कि आधुनिकता और परंपरा के बीच एक सेतु की तरह हैं। अक्कीतम में अब तक 55 पुस्तकें लिखी हैं। इनमें से 45 कविता संग्रह है। पद्मश्री से सम्मानित अक्कीतम को वर्ष 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1972 और 1988 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा मातृभूमि पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी रचनाओं का कई भारतीय भाषाओं के अलावा विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है। विदित हो कि भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिये दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था।


एंटी-टैंक मिसाइल ‘स्पाइक’

हाल ही में भारतीय सेना ने मध्य प्रदेश में इंदौर ज़िले के समीप महू के इंफैंट्री स्कूल में टैंक भेदी स्पाइक LR' (लांग-रेंज) का सफल परीक्षण किया। इससे सेना की युद्ध क्षमता में और इजाफा होगा। स्पाइक LR चार किलोमीटर की दूरी तक शत्रु के टैंक पर अचूक निशाना साध सकती है। स्पाइक LR चौथी पीढ़ी की मिसाइल है, जिसे हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। स्पाइक LR 'दागो और भूल जाओ' की क्षमता के साथ ही 'दागो, देखो और फिर निशाना साधो' (फायर, ऑब्जर्व एंड अपडेट) तकनीक से भी लैस है। यह हवा में ही लक्ष्य बदलने की क्षमता भी रखती है। इसे ऊँचे या कम ऊँचाई वाले ट्रैक से दागा जा सकता है। भारतीय सेना ने इसका DRDO के ज़रिये देश में निर्माण का फैसला किया है। फिलहाल तात्कालिक जरूरतें पूरी करने के लिये सीमित मात्रा में इन्हें इज़राइल से हासिल किया गया हैं। भारत ने 240 स्पाइक मिसाइलों के लिये इज़राइल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इन टैंक रोधी गाइडेड मिसाइलों और इसके लांचर को उत्तरी युद्ध क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया है और इस समय इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।


जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र

उत्तर प्रदेश सरकार ने विलुप्ति के कगार पर पहुँचे गिद्धों के संरक्षण और उनकी संख्या बढ़ाने के लिये महराजगंज में ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ बनाने का फैसला किया है। गोरखपुर वन प्रभाग के में 5 हेक्टेयर क्षेत्रफल में यह केंद्र बनाया जा रहा है। संरक्षण व प्रजनन केंद्र से संबंधित सर्वेक्षण का 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है। यह केंद्र हरियाणा के पिंजौर में बने देश के पहले जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसके लिये महराजगंज की तहसील फरेंदा के गाँव भारी-वैसी का चयन किया गया है। इसका निर्माण वन्यजीव अनुसंधान संगठन और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी मिलकर करेंगे। कैंपा योजना के तहत इसके लिये धन की व्यवस्था की जाएगी। कैंपा (CAMPA-Compensatory Afforestation Management & Planning Authority) फंड का इस्तेमाल वनों के कटने से होने वाले नुकसान, पर्यावरण संरक्षण, खनन और विकास उपक्रम की स्थापना की वजह से विस्थापित लोगों की मदद के लिये किया जाता है। गौरतलब है कि महाराजगंज वन प्रभाग के मधवलिया रेंज में अगस्त माह में 100 से अधिक गिद्ध देखे गए थे। प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए गो-सदन के पास भी यह झुंड दिखा था। गो-सदन में निर्वासित पशु रखे जाते हैं, जो वृद्ध होने के कारण जल्दी ही मर जाते हैं। मृत पशुओं के मिलने से यहां गिद्धों का दिखना भी स्वभाविक है। इसीलिये भारी वैसी गाँव का चयन किया गया है। वर्ष 2013-14 की गणना के अनुसार राज्य के 13 ज़िलों में करीब 900 गिद्ध थे।