Rapid Fire करेंट अफेयर्स (10 May) | 10 May 2019

  • अमेरिका के वर्मोन्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का सर्वाधिक सामना करने वाले भारत और चीन द्वारा कार्बन उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य वाली मजबूत जलवायु नीति बनाने से इन्हें सर्वाधिक स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कीमत तब तक अधिक लग सकती है, जब तक कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से होने वाली मौतों के तथ्यों को इसमें शामिल न किया जाए। अध्ययन में यह भी पाया गया कि पेरिस जलवायु समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में तत्काल, उल्लेखनीय कटौती आर्थिक रूप से फायदेमंद है, अगर इसमें मनुष्य के स्वास्थ्य लाभों को शामिल कर लिया जाए। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किये जाने से के वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें भी कम होंगी।
  • भारतीय इस्पात संघ ने ईरान से इस्पात आयात को लेकर भारतीय बैंक संघ से चिंता जताई है। UAE के ज़रिये ईरान से बढ़ता इस्पात आयात बहुत कम दामों पर भारत पहुँच रहा है और इसने उद्योग के सामने चिंता खड़ी कर दी है। चीन की तुलना में इसकी कीमतों का अंतर करीब 5,000 रुपयए प्रति टन है। गौरतलब यह भी है कि ईरान से भारत को होने वाले इस्पात आयात से CATSA के प्रावधान वाले अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन हो रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 में ईरान से भारत को होने वाले इस्पात आयात में 66 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 में ईरान ने शून्य निर्यात दर्ज किया। माना जाता है कि इस अवधि में निर्यात UAE के ज़रिये किया गया। इस वर्ष के लिये भारतीय व्यापारियों ने ईरान से आयात करने के लिये 72,000 टन इस्पात की बुकिंग की हुई है। ज्ञातव्य है कि ईरान आसियान देशों को लगभग 30 प्रतिशत इस्पात निर्यात करता है।
  • अमेरिका के परमाणु करार से हटने के ठीक एक साल बाद ईरान ने भी आंशिक तौर पर इस समझौते से हटने की घोषणा कर दी है। ईरान ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी ने अगर अगले 60 दिनों में हमारे तेल और बैंकिंग क्षेत्रों को बचाने के वादे को पूरा नहीं किया तो ईरान फिर से परमाणु संवर्द्धन की राह पर लौट जाएगा। ईरान ने परमाणु मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास दोबारा भेजने पर कड़ी प्रतिक्रिया की चेतावनी भी दी, लेकिन साथ ही कहा कि उनका देश बातचीत के लि तैयार है। संयुक्त राष्ट्र के जाँचकर्त्ताओं के अनुसार अमेरिका के हटने के बाद भी ईरान परमाणु समझौते का पालन कर रहा था। ज्ञातव्य के हटने का ऐलान किया था। इसके बाद उसने ईरान के तेल निर्यात को रोकने के साथ ही उस पर कई अन्य प्रतिबंध लगा दिए। ईरान पर यह कार्रवाई उसके परमाणु कार्यक्रम और आतंकी गतिविधियों के नाम पर की गई थी। गौरतलब है कि ईरान ने 2015 में दुनिया के 6 ताकतवर देशों अमेरिका, फ्राँस, रूस, चीन, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ परमाणु समझौता किया था। इस समझौते के तहत सहमति बनी थी कि परमाणु कार्यक्रम बंद करने पर ईरान को प्रतिबंधों से राहत दी जाएगी और उसकी मदद भी की जाएगी।
  • कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अपने प्रयासों के तहत जर्मनी ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये पहली बार देश में छह करोड़ डॉलर (544 करोड़ रुपए) की लागत से ई-हाईवे तैयार किया है। हाल ही में फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट और नज़दीकी इंडस्ट्रियल पार्क के बीच 10 किलोमीटर लंबे इलेक्ट्रिक हाईवे का परीक्षण किया गया। इसमें विशेषतौर पर तैयार किये गए ट्रक चलाए गए, जो ट्रेन के इलेक्ट्रिक इंजनों की तरह सड़क के ऊपर लगी केबल से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ट्रकों में मोटर लगाई गई है, जो केबल से बिजली प्राप्त करती है। इलेक्ट्रिक केबल की ऊर्जा से ट्रक 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। इस सिस्टम को जर्मन कंपनी सीमेंस ने विकसित किया है। यह सिस्टम जीवाश्म ईंधन से चलने वाले ट्रकों के मुकाबले काफी ऊर्जा बचाता है। साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भी इससे कमी आएगी।
  • वैज्ञानिकों ने खतरनाक डायनासोर टायरेनोसोरस रेक्स की एक नई प्रजाति की पहचान की है। ये डायनासोर आकार में विशाल और मांसाहारी होते थे, लेकिन नई प्रजाति के डायनासोर टायरेनोसोरस रेक्स की तुलना में काफी छोटे होते थे। इस प्रजाति के डायनासोर का अस्तित्व 9.2 करोड़ साल पहले क्रीटेशस काल में था। यह वह समय था जब धरती पर विशाल आकार के डायनासोर पाए जाते थे। इस नई प्रजाति को सस्किट्रायननस हेजेल नाम दिया गया है। यह करीब 0.9 मीटर ऊँचा और 2.7 मीटर लंबा था और इसका वज़न 20 से लेकर 41 किलोग्राम तक होने का अनुमान लगाया गया है। पूरी तरह विकसित होने पर टायरेनोसोरस रेक्स डायनासोर का वज़न मोटे तौर पर नौ टन होता था। टायरेनोसोरस रेक्स की तरह सस्किट्रायननस हेजेल भी मांसाहारी था और छोटे जानवरों का शिकार करता था। यह खोज एक डायनासोर के जीवाश्म से की गई है।
  • अमेरिका के डीप कार्बन ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिकों ने दुनिया के 20 से अधिक देशों और कई गहरे महासागरीय क्षेत्रों में मीथेन के अजैविक उत्पत्ति स्त्रोतों का पता लगाया है। इससे पता चला है कि कुछ विशेष चट्टानों में पाए जाने वाले ओलिविन नामक खनिज और पानी आपस में क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। यह हाइड्रोजन कार्बन स्त्रोतों, जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड से क्रिया करके मीथेन बनाती है। वैज्ञानिक इसी को अजैविक मीथेन कहते हैं क्योंकि यह बिना किसी जैविक आधार के निर्मित होती है। अध्ययन में यह भी पता चला है कि कुछ विशिष्ट सूक्ष्मजीव वास्तव में अजैविक मीथेन बनाने में मदद करते हैं। पृथ्वी में बहुत अधिक गहराई में मिलने वाले मीथोनोजेन नामक ये सूक्ष्मजीव भू-रासायनिक क्रियाओं के दौरान बनने वाली हाइड्रोजन का उपयोग करके अपशिष्ट के रूप में मीथेन गैस का उत्सर्जन करते हैं। मीथेन ईंधन के रूप में उपयोग की जाती है और यह गैस धरती में पड़ी दरारों से निकलती है।