Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 फरवरी, 2020 | 10 Feb 2020

बासमती की दो किस्मों का जीनोम निरूपण

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बासमती की दो किस्मों की जीनोम श्रृंखला का पूरा निरूपण करने में सफलता प्राप्त की है। इसमें से एक है बासमती 334 और दूसरी है ईरान की दोम सुफीद। इस प्रकार के शोध से फसलों की नई और बेहतर उपज देने वाली किस्मों के विकास में मदद मिलेगी। ‘जीनोम बायोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, बासमती चावल दो प्रकार के चावल समूहों का हाइब्रिड उत्पाद होता है। इस चावल का नामकरण हिंदी के शब्द ‘बास’ से हुआ है, जिसका अर्थ खुशबू होता है। यह लंबे दाने वाला चावल होता है और मुख्यत: दक्षिण एशिया में उगाया जाता है। भारत में बासमती धान की खेती बीते सैकड़ों वर्षों से की जा रही है, भारत तथा पाकिस्तान को बासमती धान का जनक माना जाता है।

‘पार्थ’ गन शॉट लोकेटर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहे डेफएक्सपो 2020 के दौरान भारतीय सेना ने ‘पार्थ’ नाम से एक गन शॉट लोकेटर प्रस्तुत किया है। इस उपकरण का निर्माण आर्मी इंस्टीट्यूट और एक निजी संस्था द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह गन शॉट लोकेटर 400 मीटर की दूरी से किये गए फायर की सटीक लोकेशन का पता लगाने में सक्षम है। इस उपकरण के माध्यम से सुरक्षाबलों पर छिपकर हमला करने वाले आतंकियों का पता लगाना आसान हो जाएगा। इस उपकरण की एक खास बात यह है कि स्वदेश में निर्मित यह गन शॉट लोकेटर विदेश में निर्मित गन शॉट लोकेटर से 20 गुना किफायती है। महाभारत के चर्चित पौराणिक किरदार अर्जुन को श्रीकृष्ण अक्सर ‘पार्थ’ के नाम से पुकारते थे। उन्हीं के नाम पर इस गन शॉट लोकेटर उपकरण का नाम भी रखा गया है।

गिरिराज किशोर

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार और कालजयी रचना 'पहला गिरमिटिया' के लेखक गिरिराज किशोर का 83 वर्ष की उम्र में 9 फरवरी, 2020 को निधन हो गया। गिरिराज किशोर हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक भी थे। गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई, 1937 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में हुआ था। वर्ष 1966 से 1975 तक वे कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर रहे। इसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1975 से 1983 तक IIT कानपुर में कुलसचिव के पद पर भी कार्य किया। गिरिराज किशोर का उपन्यास ‘ढाई घर’ काफी प्रसिद्ध हुआ और वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को वर्ष 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा गिरिराज किशोर कृत ‘पहला गिरमिटिया’ उपन्यास भी खासा चर्चित रहा, जो कि महात्मा गांधी के अफ्रीका प्रवास पर आधारित है। गिरिराज किशोर को 23 मार्च, 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिये उनके योगदान को देखते हुए पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उनकी रचनाओं में ‘पेपरवेट’, ‘नीम के फूल’, ‘चार मोती बेआब’, ‘शहर दर शहर’ तथा ‘हम प्यार कर लें’ कहानी संग्रह और ‘इन्द्र सुनें’, ‘दो यात्राएँ’, ‘यथा प्रस्तावित’, ‘चिड़ियाघर’, ‘असलाह’, ‘ढाई घर’ तथा ‘पहला गिरमिटिया’ उपन्यास प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुछ नाटकों जैसे- प्रजा ही रहने दो, नरमेध, घास और घोड़ा, चेहरे-चेहरे किसके चेहरे नाटकों की रचना भी की थी।

15 जनवरी के बाद चीन गए विदेशियों का भारत में प्रवेश पर प्रतिबंध

भारत सरकार देश में कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिये अनवरत प्रयास कर रही है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए नागर विमान महानिदेशालय (DGCA) ने 15 जनवरी या उसके पश्चात् चीन जाने वाले विदेशियों को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। DGCA ने सभी एयरलाइंस को सूचना जारी करते हुए कहा है कि 5 फरवरी से पहले चीनी नागरिकों को जारी सभी वीज़ा निलंबित कर दिये जाएँ। हालाँकि चीन से आने वाले विमानों के चालक दल में शामिल चीनी या विदेशी नागरिकों को इस नियम से छुट दी गई है।