रेलवे सुधार दिग्भ्रमित | 08 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रेनों की आवाजाही को सुनिश्चित करने में आने वाली बाधाओं को दूर न कर स्टेशनों का आधुनिकीकरण एक मुखौटा के समान है। साथ ही इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा गया है कि यह यात्रियों को प्रदान की जाने वाली सेवा की गुणवत्ता की जाँच करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण मानकों में से एक है।

प्रमुख बिंदु:

  • कुछ महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ जैसे -  लंबी गाड़ियों के आसान बोर्डिंग के लिये पर्याप्त लंबाई के साथ प्लेटफॉर्म निर्माण, ट्रेनों को सक्षम बनाना और स्टेशनों में उनके रखरखाव के लिये पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करना और पर्याप्त यार्ड क्षमता, ट्रेनों के समय पर आगमन एवं प्रस्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान करती है।
  • 15 चयनित स्टेशनों पर मौजूदा बुनियादी ढाँचे की समीक्षा के दौरान लेखापरीक्षक ने देखा कि प्लेटफार्म, स्टेशनों पर वॉशिंग पिट लाइनों और स्थिर लाइनों जैसे बुनियादी ढाँचे को स्टेशनों पर संचालित होने वाले ट्रेनों की संख्या के अनुसार नहीं बढ़ाया गया है।
  • पर्याप्त वॉशिंग पिट लाइनों और स्थिर लाइनों के अभाव में रखरखाव के उद्देश्य से खाली ट्रेनों की आवाजाही को बढ़ावा मिलता है जिससे लाइनों में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • इस तरह  स्पष्ट है कि स्टेशनों के आधुनिकीकरण / पुनर्विकास और नई इमारतों का निर्माण किये जाने से पहले से अधिक प्लेटफॉर्म जोड़कर स्टेशनों के आगे विस्तार की संभावना पर विचार किया जाना चाहिये।
  • स्टेशनों के आधुनिकीकरण / पुनर्विकास के क्रम में बुनियादी ढाँचा संबंधी अवरोधों, अतिरिक्त प्लेटफार्मों का निर्माण, वॉशिंग पिट लाइनों तथा स्थिर लाइनों का विकास और यार्ड की रीमॉडलिंग आदि को शामिल किया जाना चाहिये।