रेल-समुद्र-रेल परिवहन | 26 Aug 2023

प्रिलिम्स के लिये:

रेल-समुद्र-रेल परिवहन, कोयला, शक्ति नीति

मेन्स के लिये:

भारत में कोयला निकासी में वृद्धि करने में चुनौतियाँ, कोयले से संबंधित पहलें

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

कोयला मंत्रालय ने रेल-समुद्र-रेल परिवहन को बढ़ावा देने के लिये एक पहल की है जिसका उद्देश्य घरेलू कोयले की सुचारु आवाजाही के लिये रेल-समुद्र-रेल (RSR) परिवहन को जोड़ना है।

रेल-समुद्र-रेल परिवहन:

  • परिवहन:
    • यह एक अभिनव मल्टीमॉडल परिवहन रणनीति है।
      • यह खदानों से बंदरगाहों और अंतिम उपयोगकर्ताओं तक निर्बाध कोयला परिवहन के लिये रेल और समुद्री मार्गों को एकीकृत करता है।
    • इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक दक्षता में वृद्धि करने के साथ ही परिवहन लागत को कम करना है।
  • कोयले के परिवहन से संबंधित चुनौतियों का हल:
    • RSR को उत्पादन केंद्रों से उपभोग क्षेत्रों तक कुशल कोयला परिवहन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
      • कुल घरेलू कच्चा कोयला भेजने का लगभग 75 प्रतिशत मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ-साथ ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यों का था।
      • कोयला मंत्रालय ने ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये कोयला उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता को पहचानते हुए वित्त वर्ष 2030 तक लगभग 7.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का लक्ष्य रखते हुए कोयला उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि का अनुमान लगाया है।
  • तटीय नौवहन का लाभ उठाना:
    • तटीय शिपिंग कोयला सहित माल परिवहन के एक किफायती और पर्यावरण अनुकूल साधन के रूप में उभरा है।
      • RSR पहल के हिस्से के रूप में भारत के दक्षिणी और पश्चिमी तटों पर बंदरगाहों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है।
      • यह अनुकूलन गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में स्थित बिजलीघरों तक कोयले की कुशल आवाजाही को सक्षम बनाता है।
  • लागत अनुकूलन और प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण:
    • RSR का चयन करने से महत्त्वपूर्ण लागत बचत हो सकती है।
      • दक्षिणी भारत में अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिये प्रति टन लगभग 760-1300 रुपए की संभावित बचत।
      • यह लागत बचत घरेलू स्तर पर उत्पादित कोयले को आयातित कोयले की कुल लागत के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना सकती है।
  • भीड़भाड़ कम करना और लॉजिस्टिक्स बढ़ाना:
    • वर्तमान में रेलवे लगभग 55% कोयला निकासी का प्रबंधन करता है। कोयला मंत्रालय का लक्ष्य वित्त वर्ष 2030 तक कोयला निकासी में रेलवे की हिस्सेदारी को 75% तक बढ़ाना है।
      • इस पहल का एक प्राथमिक लक्ष्य पारंपरिक रेल मार्गों पर भीड़भाड़ को कम करना है, जिनमें अक्सर उच्च यातायात के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ता है। रेल-समुद्र-रेल (RSR) सहित वैकल्पिक मार्गों पर ध्यान केंद्रित करने से इस भीड़ को कम करने तथा रसद/लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने की अपेक्षा है।
  • विकास और भविष्य की संभावनाएँ:
    • कोयले के रेल-समुद्र-रेल परिवहन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, इसमें पिछले चार वर्षों में लगभग 125% की वृद्धि हुई है।
    • यह विकास पथ परिवहन के वैकल्पिक साधन के रूप में RSR की प्रभावशीलता और व्यवहार्यता को इंगित करता है। अगले सात वर्षों के भीतर भारत का कोयला उत्पादन लगभग दोगुना होने की उम्मीद के साथ देश भर के उपभोग केंद्रों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में RSR की सफलता और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
  • रेल-समुद्र-रेल कोयला निकासी में चुनौतियाँ:
    • कुशल रेल-समुद्र-रेल कोयला परिवहन और बढ़ी हुई क्षमता को संभालने के लिये मज़बूत रेल और बंदरगाह बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है।
    • प्रतिकूल मौसम की स्थिति, तकनीकी खराबी और परिवहन शृंखला में व्यवधान जैसी संभावित चुनौतियों से निपटने के लिये जोखिम न्यूनीकरण रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है।
    • सुचारु कार्यान्वयन के लिये रेल-समुद्र-रेल रणनीति कार्यान्वयन में शामिल विभिन्न मंत्रालयों के बीच निर्बाध सहयोग सुनिश्चित करना।

भारत में कोयला क्षेत्र से संबंधित पहल:

कोयला

  • यह एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है जो तलछटी चट्टानों के रूप में पाया जाता है और इसे अक्सर 'ब्लैक गोल्ड' के नाम से जाना जाता है।
  • यह ऊर्जा का एक पारंपरिक स्रोत है और व्यापक रूप से उपलब्ध है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में लोहा और इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। कोयले से प्राप्त विद्युत को तापीय विद्युत कहते हैं।
  • विश्व के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत शामिल हैं।
  • भारतीय कोयले में राख की मात्रा अधिक होती 35 से 45% तक होती है, विश्व के अन्य हिस्सों के कोयले में राख की मात्रा लगभग 15% होती है, और इसमें सल्फर की मात्रा भी कम होती है, लगभग 0.5%।
  • भारत में विभिन्न प्रकार का कोयला:
    • एन्थ्रेसाइट (80-95% कार्बन, जम्मू-कश्मीर), बिटुमिनस (60-80% कार्बन, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश), लिग्नाइट (40-55% कार्बन, राजस्थान, असम, तमिलनाडु), पीट (Peat) (40% से कम कार्बन, प्रारंभिक लकड़ी से कोयला बनने का चरण)।
  • प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य:
    • झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और तेलंगाना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था।
  2. वर्तमान में कोयला ब्लॉक का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।
  3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • वर्ष 1972 में इंदिरा गांधी सरकार के तहत कोयला क्षेत्र का दो चरणों में राष्ट्रीयकरण किया गया था। अतः कथन 1 सही है।
  • कोयला ब्लॉक का आवंटन लॉटरी के आधार पर न होकर नीलामी के माध्यम से किया जाता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • कोयला क्षेत्र भारत में एकाधिकार क्षेत्र है। भारत के पास दुनिया का 5वाँ सबसे बड़ा कोयला भंडार है, लेकिन एकाधिकार फर्मों द्वारा कोयला उत्पादन की अक्षमता के कारण यह घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता है। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प a सही उत्तर है।


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013)

  1. उच्च भस्म अंश 
  2. निम्न सल्फर अंश 
  3. निम्न भस्म संगलन तापमान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)