बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल | 23 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
सरकार द्वारा मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को निलंबित कर दिया गया था, इसे संसद का बजट सत्र पूरा होने पर फिर से शुरू किया जाएगा।
- यह निलंबन COVID-19 महामारी को देखते हुए किया गया था। सरकार ने COVID मामलों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए संसद के शीतकालीन सत्र को भी रद्द कर दिया था।
 
प्रमुख बिंदु:
प्रश्नकाल (विवरण):
- संसद सत्र का पहला घंटा प्रश्नकाल के लिये होता है। हालाँकि केवल वर्ष 2014 में प्रश्नकाल का समय राज्यसभा में सुबह 11 बजे की बजाय दोपहर 12 बजे से कर दिया गया था।
 - इस एक घंटे के दौरान संसद सदस्य (सांसद) मंत्रियों से सवाल पूछते हैं और अपने- अपने मंत्रालय के कामकाज से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देना मंत्रियों का उत्तरदायित्व होता है।
 - प्रश्नकाल के दौरान निजी सदस्यों (सांसद जो मंत्री नहीं हैं) से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
 
विनियमन: इसका विनियमन संसदीय नियमों के अनुसार किया जाता है।
- दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) के पीठासीन अधिकारी प्रश्नकाल के संचालन के लिये अंतिम प्राधिकारी होते हैं।
 
प्रश्नों के प्रकार: तीन प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं-
- तारांकित प्रश्न (तारांकन द्वारा प्रतिष्ठित): तारांकित प्रश्नों का उत्तर मौखिक दिया जाता है तथा इसके बाद पूरक प्रश्न पूछे जाते हैं।
 - अतारांकित प्रश्न: अतारांकित प्रश्नों के मामले में लिखित रिपोर्ट आवश्यक होती है, इसलिये इनके बाद पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं।
 - अल्प सूचना के प्रश्न: ये ऐसे प्रश्न होते हैं जिन्हें कम-से-कम 10 दिन का पूर्व नोटिस देकर पूछा जाता है। इनका उत्तर भी मौखिक दिया जाता है।
 
आवर्ती: प्रश्नकाल का आयोजन दोनों सदनों में सत्र के सभी दिनों में किया जाता है परंतु दो दिन प्रश्नकाल नहीं होता है जो कि एक अपवाद है।
- पहला, जब राष्ट्रपति दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करता है।
- राष्ट्रपति का भाषण एक नई लोकसभा की शुरुआत और नए संसद वर्ष के पहले दिन होता है।
 
 - दूसरा, जिस दिन वित्त मंत्री बजट पेश करता है।
 
प्रश्नकाल के बिना पूर्व के सत्र:
- पूर्व में भी राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित किया जा चुका है।
 
प्रश्नकाल का महत्त्व:
- सांसद का अधिकार: प्रश्न पूछना सदस्यों का एक अंतर्निहित और अपरिवर्तित संसदीय अधिकार है।
 - सरकार को जवाबदेह बनाए रखना:
- प्रश्नकाल के दौरान ही सदस्य प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू के संबंध में प्रश्न पूछ सकते हैं।
- इस दौरान राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में सरकार की नीतियों पर ज़ोर दिया जाता है।
 
 - ट्रायल की तरह प्रश्नकाल के दौरान प्रत्येक मंत्री को प्रशासनिक गलती और अपने कार्यों के लिये जवाबदेह होना होगा।
 
 - प्रश्नकाल के दौरान ही सदस्य प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू के संबंध में प्रश्न पूछ सकते हैं।
 - नीतियों का अनुकूलन: प्रश्नकाल के माध्यम से सरकार राष्ट्र की आवश्यकता को तुरंत समझ सकती है और उसके अनुसार अपनी नीतियों तथा कार्यों को अनुकूलित कर सकती है।
 - आयोग का गठन: कभी-कभी प्रश्नकाल एक आयोग की नियुक्ति, कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी या यहाँ तक कि विधान के निर्माण के लिये भी उत्तरदायी हो सकता है यदि सदस्य द्वारा उठाए गए मामले व्यापक सार्वजनिक महत्त्व के हों।
 
संसद सत्र:
- संसद सत्र आहूत करना:
- संसद सत्र आहूत करने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-85 में निर्दिष्ट है।
 - यह निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है, तथा सांसदों को सत्र के लिये बुलाया जाता है।
 
 
सत्रों का आयोजन:
- भारत में कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। संसद के एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं।
 - सत्र आहूत करने के लिये राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन को समय-समय पर सम्मन जारी करता है, परंतु संसद के दोनों सत्रों के मध्य अधिकतम अंतराल 6 माह से ज़्यादा का नही होना चाहिये। अर्थात् संसद को कम-से-कम वर्ष में दो बार मिलना चाहिये।
 - बजट सत्र: सबसे लंबा बजट सत्र (पहला सत्र) जनवरी के अंत में शुरू होता है और अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में समाप्त हो जाता है। बजट सत्र के दौरान एक अवकाश होता है ताकि संसदीय समितियाँ बजटीय प्रस्तावों पर चर्चा कर सकें।
 - मानसून सत्र: दूसरा सत्र तीन सप्ताह का मानसून सत्र होता है, जो आमतौर पर जुलाई माह में शुरू होता है और अगस्त में खत्म होता है।
 - शीतकालीन सत्र: शीतकालीन सत्र यानी तीसरे सत्र का आयोजन नवंबर से दिसंबर तक किया जाता है।