प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना अपने लक्ष्य से पीछे | 19 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (Pradhan Mantri Grameen Awas Yojana-PMGAY) के तहत शुरू किये गए एक करोड़ घरों को पूरा करने के लक्ष्य का केवल 66% हिस्सा ही हासिल किया जा सका है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ग्रामीण गरीबों को आवास प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2019 तक एक करोड़ घरों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से अभी तक सिर्फ 66% ही हासिल किया गया है।
  • इस पर केंद्र सरकार ने तर्क देते हुए ने बताया है कि राज्य सरकारें भूमिहीन लाभार्थियों को भूमि आवंटन में देरी कर रही हैं क्योंकि बहुत से लाभार्थियों के पास PMAY घरों का निर्माण कराने के लिये खुद की ज़मीन नहीं है।
  • हालाँकि ग्रामीण विकास मंत्रालय अभी भी मार्च के अंत (तय की समय सीमा) तक तय लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने की उम्मीद कर रहा है, जबकि अभी लगभग 15 लाख घरों का निर्माण किया जाना बाकी है, बहुत से घरों का आधा निर्माण कार्य हो चुका है जिनके अतिशीघ्र पूरा होने की संभावना जताई जा रही है।
  • पिछले कुछ दिनों में राज्यों को लिखे गए पत्र में मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि लगभग 4.72 लाख चिह्नित भूमिहीन लाभार्थियों में से केवल 12% को ही मकान निर्माण के लिये भूमि उपलब्ध कराई गई थी।

भूमि आवंटन से संबंधित उपलब्ध आँकड़े


एक आँकड़े के अनुसार, जुलाई 2018 तक कुछ सबसे पिछड़े हुए राज्यों महाराष्ट्र में लगभग 1.39 लाख भूमिहीन लाभार्थियों में से केवल 890 को ही भूमि प्रदान की गई। असम में 48,283 भूमिहीन लाभार्थियों में से 574 को भूमि प्रदान की गई। बिहार में 5,348 लाभार्थियों में से केवल 55 लोगों को भूमि आवंटित की गई, जबकि पश्चिम बंगाल ने अपने 34,884 भूमिहीन लाभार्थियों में से एक को भी भूमि आवंटित नहीं की।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना - (ग्रामीण विकास मंत्रालय)


उद्देश्य - पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करके आवास इकाइयों के निर्माण और मौजूदा गैर-लाभकारी कच्चे घरों के उन्नयन में गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे के ग्रामीण लोगों की मदद करना।

लाभार्थी - लाभार्थी एससी / एसटी, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी / एसटी श्रेणियाँ, विधवाओं या कार्रवाई में मारे गए रक्षा कर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्तियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित लोग हैं।

लाभार्थियों का चयन - 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) के आँकड़ों के अनुसार लाभार्थियों का चयन किया जाता है।

समय सीमा- इस परियोजना को तीन साल की अवधि के लिये लागू किया जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना - (शहरी मामलों का मंत्रालय)

  • यह मिशन 2015- 2022 के लिये लागू किया जा रहा है। यह शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) एवं अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से केंद्रीय सहायता प्रदान करता है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार सभी वैधानिक शहर और बाद में अधिसूचित शहर मिशन के अंतर्गत शामिल किये जाएंगे।

इसके निम्नलिखित प्रावधान हैं -

♦ निजी भागीदारी के माध्यम से संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करने वाले मौजूदा झुग्गी निवासियों का इन-सीटू (उसी स्थान पर) पुनर्वास किया जाएगा।
♦ क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी।
♦ साझेदारी में किफायती आवास।
♦ लाभार्थी के नेतृत्व वाले निजी घर निर्माण / मरम्मत के लिये सब्सिडी।

  • सहकारी संघवाद की भावना के तहत यह मिशन राज्यों को उनके राज्य में आवास की मांग को पूरा करने के लिये उपरोक्त चार माध्यमों से सबसे अच्छा विकल्प चुनने हेतु सुविधा प्रदान करता है।
  • मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, परियोजना तैयार करने और अनुमोदन की प्रक्रिया राज्यों पर छोड़ दी गई है ताकि परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा सके।

स्रोत – द हिंदू