प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम | 21 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम से संबंधित विषय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry Of Micro, Small and Medium Enterprises-MSME) द्वारा ‘प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ (Prime Minister’s Employment Generation Programme- PMEGP) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। 

प्रमुख बिंदु:

  • PMEGP ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (Khadi and Village Industries Commission- KVIC), राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (State Khadi and Village Industries Board- KVIB) और ज़िला उद्योग केंद्रों (District Industries centres- DIC) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
  • PMEGP एक प्रमुख क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और बेरोज़गार युवाओं की मदद कर गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोज़गार के अवसर पैदा करना है।
  • इस कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, निजी क्षेत्र के कुछ चयनित बैंकों और सहकारी बैंकों द्वारा KVIC के माध्यम से MSME मंत्रालय द्वारा मार्जिन मनी सब्सिडी (Margin Money Subsidy) के साथ ऋण प्रदान किया जाता है।
  • PMEGP के तहत वर्ष 2019-20 के दौरान सूक्ष्म उद्यमों को स्थापित करने के लिये 79236 लाभार्थियों की सहायता करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनमें से 15 मार्च, 2020 तक 54361 लाभार्थियों को पहले ही सहायता दी जा चुकी है।

पात्रता हेतु मानदंड:

  • 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इस योजना के तहत आवेदन करने का पात्र है।
  • विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की अधिकतम लागत 25 लाख रुपए और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपए है।
  • केवल नई इकाइयों की स्थापना हेतु PMEGP के तहत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 
  • सामान्य श्रेणी के लाभार्थी ‘ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% ऋण और शहरी क्षेत्रों में परियोजना लागत का 15% ऋण’ प्राप्त कर सकते हैं।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, भूतपूर्व सैनिकों, दिव्यांगों, पहाड़ी और सीमा क्षेत्रों आदि से संबंधित लाभार्थी ‘ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना की लागत का 35% ऋण और शहरी क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% ऋण’ प्राप्त कर सकते हैं।
  • MSME मंत्रालय ने मौजूदा PMEGP/MUDRA इकाइयों के विस्तार/उन्नयन के लिये दूसरी वित्तीय सहायता का एक नया घटक भी पेश किया है जिसमें वर्ष 2018-19 से विनिर्माण इकाई की परियोजना लागत 1 करोड़ रुपए एवं सेवा/व्यापार इकाई की परियोजना लागत 25 लाख रुपए पर 15% ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम के तहत आवंटित और वितरित किये गए ऋणों का विवरण निम्नलिखित है:

वर्ष 

आवंटित ऋण (करोड़ रुपए में)

ऋण का वितरण (करोड़ रुपए में)
2016-17

1082.90

1280.94
2017-18

1082.90

1312.40
2018-19

2068.80

2070.00

2019-20
(15/03/2020 तक)

2396.44

1622.50

खादी और ग्रामोद्योग आयोग 

(Khadi and Village Industries Commission): 

  • यह 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956' के तहत एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है। 
  • यह भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of MSME) के अंतर्गत आने वाली एक मुख्य संस्था है।
  • उद्देश्य:
    • सामाजिक उद्देश्य: रोज़गार देना। 
    • आर्थिक उद्देश्य: बिक्री योग्य वस्तुओं का उत्पादन करना। 
    • व्यापक उद्देश्य: गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना एवं एक मज़बूत ग्रामीण सामुदायिक भावना का निर्माण करना। 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के संवर्द्धन एवं विकास को सरल एवं सुविधाजनक बनाने हेतु 2 अक्तूबर, 2006 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (MSMED Act), 2006 विनियमित किया गया था। इस अधिनियम के तहत MSMEs को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:

1. विनिर्माण क्षेत्र के उद्यम- इसमें उद्यमों को संयंत्र और मशीनरी (Plant & Machinery) में किये गए निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया गया है।

उद्यम का प्रकार संयंत्र एवं मशीनरी में किया गया निवेश (रुपए में)
सूक्ष्म (Micro) 25 लाख तक
लघु (Small) 25 लाख से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम
मध्यम (Medium)

5 करोड़ से अधिक किंतु 10 करोड़ से कम

2. सेवा क्षेत्र के उद्यम- सेवाएँ प्रदान करने में लगे उद्यमों को उपकरणों (Equipment) में  निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है।

उद्यम का प्रकार उपकरणों में किया गया निवेश (रुपए में)
सूक्ष्म (Micro) 10 लाख तक
लघु (Small) 10 लाख से अधिक किंतु 2 करोड़ से कम
मध्यम (Medium) 2 करोड़ से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम

स्रोत: पीआईबी