प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा सुधार | 06 Jan 2017

पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि हमारे देश में तमाम ऐसे परिवार हैं जो आज भी बेघर हैं, एक अदद घर की उम्मीद में पूरी जिंदगी कटी जा रही है लेकिन लोगों को खुद की छत नहीं नसीब हो रही है। ऐसे ही लोंगो के लिये केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना का आरम्भ किया गया था। हालाँकि इस योजना की घोषणा तो जून 2015 में ही कर दी गयी थी, लेकिन कम आय वर्ग के लोगों और आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों को खुद का घर दिलाने के उद्देश्यों वाली यह योजना उतनी सफ़ल नहीं हो पायी थी, लेकिन नववर्ष की पूर्व संध्या पर प्रधानमन्त्री के द्वारा की गई कुछ महत्त्वपूर्ण घोषणाओं से इस योजना को नया बल मिलता दिख रहा है।

योजना के कार्यान्यवन में सुधार के आसार क्यों ?

  • विदित हो कि इस नयी योजना के अंतर्गत मध्यम आय अर्जित करने वाले लोगों के लिये दो नई श्रेणियाँ बनाने की बात की गई है और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये एक नई योजना की भी बात की गई है। दरअसल पहले इस योजना के अंतर्गत 6.5 प्रतिशत की रियायती दर पर एक लाख से 6 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन नई घोषणाओं के बाद अब 9 लाख रुपए और 12 लाख रुपए तक के आवास ऋण अब क्रमशः 3 प्रतिशत और 4 प्रतिशत ब्याज दर के साथ दिये जाएंगे।
  • प्रथमदृष्टया, इस योजना के माध्यम से 6 लाख रूपए तक की आय वाला व्यक्ति 24 लाख रूपए तक का ऋण प्राप्त कर सकता है, और ऐसी उम्मीद है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 65 प्रतिशत ग्राहक 25 लाख रूपए के आवास ऋण के स्लैब में हैं। इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री आवास योजना में लाए जा रहे वर्तमान सुधार लोगों को आवास उपलब्ध कराने की दिशा में एक क्रन्तिकारी कदम साबित हो सकता है।
  • गौरतलब है कि इन नई योजनाओं के कार्यान्वयन में लगभग 1,000 करोड़ की लागत आने की सम्भावना है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार नवम्बर 2015 तक 15,291 लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के घटक ‘क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना’ के तहत 272.13 करोड़ रुपए की राशि का लाभ उठाया।

कौन कर सकते हैं आवेदन?

प्रधानमंत्री आवास योजना में आर्थिक रूप से कमज़ोर( Economically weaker section-EWS) और कम आय वाला वर्ग(Low income group-LIG) के लोग आवेदन कर सकते हैं। ध्यातव्य है कि  3 लाख रूपए तक की वार्षिक आय वाले वर्ग को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग या ईडब्ल्यूएस कहा जाता है वहीं, 3 से 6 लाख रूपए तक की वार्षिक आय वाले वर्ग को कम आय वाला वर्ग या एलआईजी कहा जाता है।