गन्ने का मूल्य निर्धारण | 26 Aug 2021 | भारतीय अर्थव्यवस्था
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सीज़न 2021-22 के लिये गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में बढ़ोतरी को मंज़ूरी दी है।
गन्ना (Sugarcane)
- तापमान : उष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच।
- वर्षा : लगभग 75-100 सेमी.।
- मिट्टी का प्रकार : गहरी समृद्ध दोमट मिट्टी।
- शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्य : उत्तर प्रदेश> महाराष्ट्र> कर्नाटक> तमिलनाडु> बिहार।
- ब्राज़ील के बाद भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- इसे बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, क्योंकि इसके लिये अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
- इसमें बुवाई से लेकर कटाई तक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।
- यह चीनी, गुड़, खांडसारी और राब का मुख्य स्रोत है।
- चीनी उद्योग को समर्थन देने हेतु सरकार की दो पहलें हैं- चीनी उपक्रमों को वित्तीय सहायता देने की योजना (SEFASU) और जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति गन्ना उत्पादन योजना।
प्रमुख बिंदु
- गन्ने का मूल्य निर्धारण : गन्ने की कीमतें निम्न द्वारा निर्धारित की जाती हैं:
- केंद्र सरकार : उचित और लाभकारी मूल्य (FRP)
- केंद्र सरकार उचित और लाभकारी मूल्यों की घोषणा करती है जो कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर निर्धारित होते हैं तथा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) द्वारा घोषित किये जाते हैं।
- CCEA की अध्यक्षता भारत का प्रधानमंत्री करता है।
- FRP गन्ना उद्योग के पुनर्गठन पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
- राज्य सरकार : राज्य परामर्श मूल्य (SAP)
- प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों की सरकारों द्वारा राज्य परामर्श मूल्य (SAP) की घोषणा की जाती है।
- SAP आमतौर पर FRP से अधिक होता है।
- FRP और MSP के बीच तुलना:
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उचित और लाभकारी मूल्य (FRP)
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
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परिभाषा
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FRP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलों द्वारा किसानों से गन्ना खरीदा जाना है।
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MSP किसी भी फसल के लिये "न्यूनतम मूल्य" है जिसे सरकार किसानों हेतु लाभकारी मानती है और इसलिये "समर्थन" के योग्य है। यह वह कीमत भी है जिस पर सरकारी एजेंसियाँ फसल विशेष की खरीद करती हैं तो भुगतान करती हैं।
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अनुशंसा
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कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा अनुशंसित
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कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा अनुशंसित
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अनिवार्य फसलें
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अनिवार्य फसल गन्ना है।
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अनिवार्य फसलों में खरीफ मौसम की 14 फसलें, 6 रबी फसलें और अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
- अनाज (7): धान, गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी।
- दालें (5): चना, अरहर/तूर, मूँग, उड़द और अन्य दालें।
- तिलहन (8): मूँगफली, रेपसीड/सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, कुसुम बीज और नाइजर बीज।
- कच्चा कपास, कच्चा जूट, खोपरा, भूसी वाला नारियल
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कारक
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- गन्ने के उत्पादन की लागत;
- वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों की वापसी और कृषि वस्तुओं की कीमतों की सामान्य प्रवृत्ति;
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर चीनी की उपलब्धता;
- वह मूल्य जिस पर गन्ने से उत्पादित चीनी को चीनी उत्पादकों द्वारा बेचा जाता है;
- गन्ने से चीनी की प्राप्ति;
- उप-उत्पादों की बिक्री से होने वाली प्राप्ति अर्थात् गुड़, खोई और उन पर आरोपित मूल्य;
- गन्ने के उत्पादकों के लिये जोखिम और मुनाफे के कारण उचित मार्जिन
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- वस्तु की आपूर्ति और मांग की स्थिति।
- बाज़ार मूल्य रुझान (घरेलू और वैश्विक) तथा अन्य फसलों के साथ समानता।
- उपभोक्ताओं पर प्रभाव (मुद्रास्फीति)।
- पर्यावरण (मिट्टी और पानी का उपयोग)।
- कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें।
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कानूनी समर्थन
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गन्ने का मूल्य निर्धारण आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए), 1955 के तहत जारी गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के वैधानिक प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होता है।
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MSP अनिवार्य है, सांविधिक नहीं। वर्तमान में MSP या उनके कार्यान्वयन को अनिवार्य करने वाले किसी कानून के लिये कोई वैधानिक समर्थन नहीं है।
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नोट: कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है। यह एक सलाहकार निकाय है जिसकी सिफारिशें सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
स्रोत-पी.आई.बी.