पत्रकार एवं पत्रकारिता संस्थान अधिनियम, 2017 | 25 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स

मेन्स के लिये:

प्रेस स्वतंत्रता संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित पत्रकार एवं पत्रकारिता संस्थान ( हिंसा और संपत्ति की क्षति की रोकथाम) 2017 को स्वीकृति दे दी।

प्रमुख बिंदु:

freedom of press

  • इस अधिनियम में पत्रकारों या पत्रकारिता संस्थानों के मामले में नुकसान पहुँचाने वाले को 3 साल की सज़ा और 50000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • संस्थानों को किसी भी तरह की क्षति पहुँचाने या पत्रकारों के इलाज़ का व्यय अभियुक्त द्वारा ही वहन किया जाएगा।
  • इस अधिनियम के अनुसार, पत्रकारों पर हमला करना गैर- ज़मानती अपराध की श्रेणी में आएगा।
  • इसके तहत संविदा पर काम करने वाले पत्रकारों को भी सुरक्षा प्रदान की गई है।
  • साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिये इस तरह के कानून को पारित करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बन गया है।
  • अधिनियम के तहत इस तरह के मामलों की जाँच पुलिस उपाधीक्षक या उससे उच्च स्तर का अधिकारी द्वारा ही किये जाने का प्रावधान है।
  • झूठी शिकायतों या अधिनियम का गलत इस्तेमाल किये जाने पर पत्रकारों के विरुद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।

पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की आवश्यकता क्यों?

  • हाल ही में देश भर में पत्रकारों पर हमलों की संख्या तेजी से बढ़ी है, फलस्वरूप कई पत्रकार संगठन लंबे समय से इस तरह के क़ानून की मांग कर रहे थे।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders) के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (World Press Freesom index) 2019 में भारत को 180 देशों में 140वाँ स्थान दिया गया था।
  • इस सूचकांक में 2017 में भारत 136वें स्थान पर था, वहीं 2018 में इसे 138वें स्थान पर रखा गया था।
  • इस सूचकांक के अनुसार नॉर्वे, फ़िनलैंड और स्वीडन क्रमशः पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
  • पत्रकारों की सुरक्षा के इस अंतर्राष्ट्रीय सूचकांक में सबसे निचले पायदानों पर क्रमशः इरिट्रिया (178), उत्तरी कोरिया (179) और तुर्कमेनिस्तान (180) हैं।

स्रोत- द हिंदू